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सात जिलों में कोरोना जांच को जल्द शुरू होंगी आरटीपीसीआर लैब, सरकार ने दिए 17.5 करोड़ 

रांची
झारखंड में कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट से संभावित तीसरी लहर से निबटने को लेकर तैयारी तेज कर दी गयी है। संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए एक तरफ जहां अस्पतालों को तैयार किया जा रहा है, वहीं स्वास्थ्य विभाग राज्य में कोरोना जांच की रफ्तार को भी तेज करने की तैयारी में है। इसी के तहत राज्य में शीघ्र ही कोरोना जांच के लिए बायो सेफ्टी लेवल 2/3 का आरटीपीसीआर लैब की स्थापना की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव पर मंत्री परिषद के साथ साथ मुख्यमंत्री ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने लैबों की स्थापना के लिए 17.50 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रेझा फाउंडेशन के राज्य प्रभारी मनीष कुमार पंडित ने कहा कि लैबों की स्थापना का कार्य किया जा रहा है। रांची, जमशेदपुर, बोकारो व चाईबासा में 10 जनवरी तक काम पूरा हो जाएगा। गुमला, देवघर व गोड्डा में लैब की स्थाना में कुछ समय और लग सकता है। 

फाउंडेशन ही करेगा लैब का संचालन
प्रेझा फाउंडेशन द्वारा सभी सात अस्पतालों में लैब सेटअप करने के बाद इसके संचालन के लिए मानवबल उपलब्ध कराने के अलावा अस्पतालों में उपलब्ध मानव बल को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। जिससे एग्रीमेंट की अवधि समाप्त होने के बाद प्रयोगशाला का संचालन प्रभावित नहीं हो। लैब व उपकरणों का स्वामित्व राज्य सरकार के पास रहेगा। फाउंडेशन के साथ एकरारनामा की अवधि समाप्त होने के बाद इसे संबंधित अस्पताल को हस्तगत कराया जाएगा। जांच के लिए टेस्टिंग किट, आरएनए किट एवं वीटीएम किट सभी प्रयोगशालाओं के अनुरूप आईसीएमआर/राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। शेष कंज्युमेबल फाउंडेशन द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रयोगशाला संचालन के लिए प्रेझा फाउंडेशन कोविड जांच के लिए निविदा के माध्यम से आईसीएमआर एप्रुव्ड एजेंसी का चयन करेगी। उसके बाद झारखंड स्टेट मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रोस्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन, प्रेझा फाउंडेशन एवं पीपीपी डायग्नोस्टिक पार्टनर के बीच त्रिपक्षीय समझौता किया जाएगा। 

प्रति लैब 2.5 करोड़ खर्च होंगे
कोविड महामारी में कार्य की तीव्रता और निविदा प्रक्रिया में लगने वाले अधिक समय को देखते हुए मनोनयन के आधार पर पूर्वानुभव रखने वाले प्रेझा फाउंडेशन (पैनआईआईटी एलुमनी रीच फॉर झारखंड फाउंडेशन) को लैब लगाने की जिम्मेवारी दी गयी है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह द्वारा इस बाबत जारी पत्र में कहा गया है कि प्रेझा फाउंडेशन एक नॉन प्रोफिटेबल संस्थान है। फाउंडेशन के द्वारा डिजाइन, बिल्ड और ट्रांसफर के आधार पर 3-4 सप्ताह के अंदर प्रयोगशाल तैयार किया जाएगा। इसमें राज्य द्वारा सीएसआर कैपिटल ग्रांट प्रति संस्थान 2.5 करोड़ (टैक्स अलग) कुल 17.50 करोड़ रुपए संभावित खर्च किए जाएंगे। इस राशि का वहन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड को आपदा प्रबंधन, झारखंड द्वारा उपलब्ध कराए गए निधि से किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि सातों जिलों में लैब की स्थापना को लेकर पूर्व से किए गए सिविल कार्यों का आकलन कर शेष कार्य ही किया जाएगा। जिसका भुगतान किया जाएगा। मानवबल व संचालन का व्यय हर माह विपत्र के आधार पर किया जाएगा। 

पूर्व से सात लैब हैं संचालित
कोरोना की जांच के लिए फिलहाल राज्य में सात आरटीपीसीआर लैब संचालित हैं। जिसमें रिम्स, रांची व एमजीएम, जमशेदपुर में वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब के अलावा पीएमसीएच, धनबाद व यक्ष्मा आरोग्यशाला, इटकी में भी आरटीपीसीआर लैब संचालित है। इसके अलावा दुमका, पलामू व हजारीबाग मेडिकल कॉलेजों में प्रेझा फाउंडेशन के द्वारा आरटीपीसीआर लैब की स्थापना कर जांच की जा रही है।
 

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