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मांगलिक कार्यों के लिए अब 10 दिन और शेष…

सीहोर। खरमास 16 दिसंबर मंगलवार से प्रारंभ होगा, जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करेंगे और यह 14 जनवरी 2026 बुधवार को मकर संक्रांति के साथ समाप्त होगा। खरमास की अवधि में सभी मांगलिक कार्य सगाई, विवाह, यज्ञोपवीत संस्कार, गृह प्रवेश आदि अन्य शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं.
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य 16 दिसंबर मंगलवार के दिन वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में गोचर करेंगे। इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है क्योंकि सूर्य धनु राशि के लग्न भाव में गोचर करेंगे और करीब एक माह तक रहेंगे। खरमास के दिनों में सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं। इसके साथ ही बृहस्पति देव का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं बृहस्पति यानी गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। विवाह के लिए शुक्र और गुरु दोनों का उदय होना आवश्यक होता है। अगर दोनों में से एक भी अस्त रहेगा तो शुभ व मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है 13 दिसंबर से शुक्र देव 2 फरवरी तक अस्त रहेंगे जो की वैवाहिक दांपत्य जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार शास्त्र अनुसार सनातन धर्म में खरमास में मांगलिक कार्य करना वर्जित माना गया है। इस दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्य, शादी-विवाह, मुंडन, नामकरण, यज्ञोपवीत संस्कार गृह प्रवेश आदि वर्जित होते हैं। इसलिए शुभ कार्यों और लग्नों पर पूर्ण विराम लगने जा रहा है। एक माह पश्चात जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो खरमास पूर्ण हो जाएगा और गुरुदेव और शुक्र देव के उदित होने पर ही सभी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य 2 फरवरी के पश्चात प्रारंभ होंगे स
खरमास में करें ये काम
पं. शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार खरमास में सूर्य देव की उपासना की जानी चाहिए। इस दौरान सूर्य पाठ और सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए। प्रात: काल उगते हुए सूर्य को नमस्कार करना चाहिए।
इस दौरान तीर्थों में स्नान, दीपदान और जरूरतमंदों को उपयोगी चीजों का दान करना शुभ माना जाता है और इससे हर कार्य की सिद्धि होती है। पूजा पाठए कथा और व्रत करने में भी कोई दोष नहीं होता है।
खरमास की अवधि में जप तप और दान इत्यादि करने का फल अत्यसधिक मिलता है। इस माह में तुलसी माता व पीपल पूजा, गौ सेवा, सूर्य उपासना, भगवान श्री विष्णुजी के नाम जप, मंत्र जप, श्रीगीता, श्री रामचरितमानस, श्री सत्यनारायण जी के पाठ करना काफी शुभ फलदायक होते हैं।
खरमास के दौरान इन कार्यों को न करें
पं. शर्मा ने बताया कि धर्म शास्त्रों के अनुसार खरमास के दौरान तामसिक भोजन के सेवन बचना चाहिए। इस दौरान कोई भी नया कारोबार इस अवधि में शुरू नहीं करना चाहिए।

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