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आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षक अब आर-पार के मूड में, मांगें नहीं मानी तो 30 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी

- विशाल रैली निकालकर सौंपा मुख्यमंत्री के नाम जिला पंचायत सीईओ को ज्ञापन, कलेक्टर कार्यालय में भी बैठी धरने पर

सीहोर। आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षक ने अपनी वेतनवृद्धि, स्वास्थ्य विभाग में नियमितीकरण सहित 16 सूत्रीय मांगों कोे लेकर सीहोर जिला मुख्यालय पर विशाल रैली निकाली। रैली लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंची आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओें ने जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इनसे ज्ञापन लेने के लिए तहसीलदार कलेक्टर कार्यालय पहुंची, लेकिन आशा, उषा कार्यकर्ताओं ने तहसीलदार को ज्ञापन नहीं सौैंपा। वे अड़ गईं कि कलेक्टर को ही ज्ञापन देंगे। इस दौरान कलेक्टर से मुलाकात नहीं होने पर वे कलेक्टर कार्यालय में ही धरने पर बैठ गईं। हालांकि बाद में उन्हें बताया गया कि कलेक्टर प्रवीण सिंह अवकाश पर हैं, इसके बाद सीईओ जिला पंचायत हर्ष सिंह ने पहुंचकर आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षकों की बातों को सुना एवं उनसे ज्ञापन लिया। इस बार आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षक आर-पार के मूड में भी हैं। आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षक संघ की जिलाध्यक्ष चिंता चौहान ने बताया है कि सीहोर जिलेभर की सभी आशा, उषा बहनें 14 नवंबर से लगातार हड़ताल कर रही थीं। इस दौरान वे कड़कड़ाती ठंड में भी बैठी रहीं, लेकिन अब तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने उनसे मिलना मुनासिब नहीं समझा। हमारी मांगे मुख्य रूप से वेतनवृद्धि, स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी सहित 16 सूत्रीय मांगे हैं। जिन पर सरकार अमल करेे औैर हमारेे हमारा अधिकार दे। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर तक का समय दिया गया है, यदि इस दिन तक हमारी मांगों पर अमल नहीं किया गया तो हम अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जाएंगे।
2 हजार रूपए में कैसे चलाएं घर-
कलेक्टर कार्यालय पहुंची आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षकों ने कहा कि उनका वेतन 2 हजार रूपए है। इतने कम वेतन में वे परिवार कैसे चलाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा उनसे कई प्रकार का कार्य लिया जाता है। उनके दम पर सरकार करोड़ों-अरबों रूपए कमा रही हैं, लेकिन उनकी वेतनवृद्धि नहीं की जा रही है। उन्होेंने कहा कि यदि हमारी मांगों को नहीं माना गया तोे इस बार चुनाव में हम हमारी ताकत दिखाएंगे।
जिलेभर से पहुंची आशा, उषा कार्यकर्ता-
अपनी बहुप्रतिक्षित मांगों को लेकर जिलेभर से कार्यकर्ताएं जिला मुख्यालय के बाल बिहार ग्राउंड में एकत्रित हुईं। इसके बाद यहां से रैैली शुरू हुई, जो कलेक्टर कार्यालय पहुंची। रैली की अगुवाई आशा, उषा, आशा पर्यवेक्षक संघ की जिलाध्यक्ष चिंता चौहान ने की। चिंता चौहान ने बताया कि विभाग द्वारा हमारे ऊपर अतिरिक्त भार सौंपते हुए आयुष्मान कार्ड बनाने हेतु दबाव बनाया जा रहा है, जो कि कार्यकर्ताओं को मंजूर नहीं है, क्योंकि पहले से ही विभाग द्वारा हमें काफी जिम्मेदारियां दी हुई हैं।
ये हैं प्रमुख मांगें-
– मध्यप्रदेश की अधिकांश आशाएं अभी भी 2000 रूपए के वेतन में गुजारा करने के लिए विवश हैं। यह राशि भी केन्द्र सरकार द्वारा देय है। आन्ध्र प्रदेश सरकार अपनी और से 8,000 मिलाकर आशा को 10,000 रुपए मानदेय देती है, तेलंगाना में राज्य सरकार 7,500 रुपये मिलाकर 9,500 रूपए देती है। इसी तरह केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा सहित सभी राज्य सरकारें आशा एवं पर्यवेक्षकों को अपनी ओर से अतिरिक्त मानदेय दे रही है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने आशा एवं पर्यवेक्षक को अपनी ओर से विगत 15 वर्षों से कुछ भी नहीं दिया।
– आशाओं की प्रोत्साहन राशि के भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। आशाओं की प्रोत्साहन राशि में अनुचित कटौती को रोका जाए। प्रत्येक आशा से अब तक काटी गई सभी राशियों का एरियर सहित भुगतान किया जाए।
– आशाओं द्वारा की गई कोविड वैक्सीनेशन ड्यूटी, डीपीटी बूस्टर वैक्सीन, एनसीडी सर्वे, परिवार नियोजन, निर्वाचन कार्य सहित सभी काम का बकाया प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाए।
– प्रत्येक माह की 5 तारीख को आशा एवं पर्यवेक्षकों का भुगतान सुनिश्चित किया जाने हेतु ठोस कदम उठाया जाए। आशाओं के लिए निर्धारित कार्य के अलावा अन्य कार्य नहीं कराया जाए।
– आशाओं की बैठकों एवं पर्यवेक्षकों के वास्तविक यात्रा व्यय का भुगतान किया जाए। आशा एवं पर्यवेक्षकों को वेतन सहित 20 कैजुअल अवकाश एवं मेडिकल लीव का ठोस नियम बनाया जाए।
– आशा एवं पर्यवेक्षकों को शासन के कुशल श्रेणी के न्यूनतम वेतन की दर पर 6 माह का मातृत्व अवकाश एवं अन्य सुविधाएं दी जाए।
– बिना किसी जांच के आशाओं की सेवा समाप्ति पर तुरंत रोक लगाई जाए।
– विगत एक वर्ष में निष्क्रिम आशा बताकर आशाओं कि की गई सेवा समाप्ति की जांच कराया जाने एवं जबरन एवं अनुचित तरीके से सेवा सक्रिय आशाओं को बहाल किया जाए।
– पेंशन एवं सेवानिवृत्त लाभ लागू किए बिना आशा एवं पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्त न किया जाए। ड्यूटी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
– सभी पीएचसी, सीएचसी और अस्पतालों में सुरक्षित एवं सुविधायुक्त आशा रूम उपलब्ध कराएं।

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