सुमित शर्मा, सीहोर
प्रदेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं, मूंग, चना, धान सहित अन्य फसलों की खरीदारी करने वाली कृषि साख सहकारी समितियां करोड़ों का खेल करती हैं। इस खेल में वेयर हाउस संचालक, मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कारपोरेशन के जिम्मेदारों की भी मिलीभगत होती है। ये भ्रष्टाचार का खेल बड़े पैमाने पर होता है, जिसका ताजा उदाहरण सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा के डिमावर स्थित सहकारी समिति में सामने आया है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा भैरूंदा के अधीन आने वाली कृषि उपज एवं साख सहकारी समिति डिमावर के जिम्मेदारों का एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पैसों के लेन-देन के साथ मूंग की उपज किसानों के पंजीयन पर दर्ज कराने एवं बिल बनाने की बातें की जा रही हैं। यह तो भ्रष्टाचार की सिर्फ एक बानगीभर है। यह खरीदी की गड़बड़ी का खेल सिर्फ मूंग में ही नहीं, बल्कि गेहूं, चना, धान सहित अन्य फसलों में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसमें करोड़ों के वारे-न्यारे किए जाते हैं।
नहीं होती सख्त कार्रवाई, क्योंकि मिलीभगत का है खेल-
हर साल समर्थन मूल्य पर गेहूं, मूंग, धान सहित अन्य फसलों की लाखों मैट्रिक टन में खरीदारी की जाती है। खरीदारी से पहले मुख्यमंत्री
बड़े पैमाने पर होती है धांधली –
प्रदेशभर सहित सीहोर जिले में हर साल समर्थन मूल्य पर सहकारी समितियों के माध्यम से गेहूं, चना, मूंग, धान, उड़द सहित अन्य फसलों की खरीदारी कराई जाती है। समितियों के पास अहम जिम्मेदारियों होती हैं। इन समितियों के साथ वेयर हाउस संचालक, मप्र वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कारपोरेशन के जिम्मेदारों की मिलीभगत भी होती है। इस मिलीभगत से व्यापारियों एवं बिचौलियों द्वारा जो फसल खरीदी जाती है उस फसल का पाला करके वेयर हाउस संचालक एवं कारपोरेशन की सांठगाठ से वेयर हाउसों में रखवा दिया जाता है। यह पाले का काम सबसे ज्यादा मूंग में किया जाता है। इसके बाद फिर इस घटिया किस्म की मूंग को समर्थन मूल्य पर किसानों के खाली पंजीयनों में चढ़ाकर बड़ा मुनाफा कमाया जाता है। ऐसा ही खेल धान, गेहूं में भी किया जाता है। बिचौलियों द्वारा गांव-गांव घूमकर छोटे किसानों से सस्ती दरों पर गेहूं, धान खरीद ली जाती है और फिर इसको मिलीभगत करके समर्थन मूल्य पर बेचकर लाभ कमाया जाता है। चने में तो सबसे बड़ी गड़बड़ी की जाती है। पानी का छिड़काव करके चने का वजन बढ़ाकर जहां सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया जाता है तो वहीं खरीदी करने वाली एजेंसियों सहित इनके अन्य जिम्मेदार यह करोड़ों का लाभ कमाते हैं।
लगाया जाता है सरकारी खजाने को चूना-
समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा किसानों से उपज लेकर जहां किसानों को बेहतर दाम दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी की जाती है, लेकिन सरकारी सिस्टम के कारण जहां किसानों को परेशानियां उठानी पड़ती है तो वहीं यह सिस्टम सरकारी खजाने को भी जमकर चूना लगाते हैं। दरअसल खरीदी के दौरान व्यापारियों एवं बिचौलियों से उपज खरीदकर पहले वेयर हाउसों में रखवा दी जाती है और इसके बाद किसानों से उपज लेने में आना-काना होती है। इस खेल में हर साल सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया जाता है।
इनका कहना है –
डिमावर स्थित सहकारी समिति का एक ऑडियो सामने आया है। इसकी जांच कराई जाएगी एवं दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
– पीएन यादव, सीईओ, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, सीहोर
डिमावर की सहकारी समिति का एक ऑडियो सामने आया है। यह समिति का मामला है, इसलिए समिति स्तर पर ही इसकी जानकारी दी जाएगी। हमारा काम समिति से सिर्फ पैसों के लेन-देन का होता है।
– खुशीराम बारेला, शाखा प्रबंधक, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, भैरूंदा, जिला-सीहोर