सीहोर जिले में चरम पर भ्रष्टाचार, जिम्मेदार लाचार!
- जिला प्रशासन नहीं कर पा रहा भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई, खुलेआम चल रहा है खेल

केस-1: जिला पंजीयक कार्यालय में जिला पंजीयक अधिकारी प्रेमनंदन सिंह के ड्राईवर रवि सोलंकी कार्यालय में बैठकर जिला अधिकारी की आईडी खोलकर काम कर रहे हैं। वे लगातार यहां पर बैठकर कार्य करते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं कई वेंडरों पर पैसे देने का दबाव भी बना रहे हैं। इसकी शिकायत भी कलेक्टर बालागुरू के. तक पहुंची है। सांसद आलोक शर्मा, विधायक सुदेश राय ने भी मामले में संज्ञान लिया, लेकिन इसके बाद भी ड्राईवर रवि सोलंकी को नहीं हटाया जा सका एवं न ही कोई कार्रवाई की गई। जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा मामले में खंडन भी जारी किया गया।
केस-2: एक अन्य मामला कृषि विभाग से जुड़ा है, जिसमें जिला कृषि आदान विक्रेता संघ सीहोर ने कृषि विभाग के उप संचालक अशोक उपाध्याय पर पैसे लेने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश के कृषि मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, संभागीय कमिश्नर, जिला कलेक्टर तक की है। शिकायत में कहा गया है कि उप संचालक कृषि अशोक उपाध्याय लगातार विक्रय केंद्रों पर पहुंचकर दबिश दे रहे हैं एवं जांच के नाम पर नीति विरूद्ध कार्रवाई कर रहे हैं और 50 हजार से एक लाख रूपए तक की मांग भी कर रहे हैं। इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
केस-3: एक गंभीर लापरवाही एवं भ्रष्टाचार का मामला मध्यान्ह भोजन से जुड़ा हुआ है। पीएम पोषण योजनान्तर्गत शा.प्रा. शाला हीरापुर में मध्यान्ह भोजन की अनियमितता से संबंधित शिकायत ग्राम पंचायत अहमतनगर सरपंच द्वारा की गई थी। शिकायत के बाद जांच दल गठित करके जांच कराई गई, जिसमें कई अनियमितताएं भी सामने आईं। अब यहां पर सख्त कार्रवाई की दरकार है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
सीहोर। जिले में भ्रष्टाचार एवं शासकीय कार्यों में लापरवाही किस कदर जारी है उसके लिए ये तीन उदाहरण पर्याप्त हैं। भ्रष्टाचार, लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी सीहोर जिले में कलेक्टर सहित अन्य जिम्मेदार इन पर कार्रवाई करने को लेकर लाचार बने हुए हैं। दरअसल सीहोर जिले में इस समय भ्रष्टाचार चरम पर है। हर कोई सिर्फ कमाई ही कमाई की तरफ नजर किए हुए हैं। यही कारण है कि जमीनी कार्यों पर किसी का भी ध्यान नहीं है।
इससे पहले कभी नहीं दिखी ऐसी स्थितियां-
सीहोर जिला हमेशा से सरकार की प्राथमिकताओं में रहा है। दरअसल केंद्रीय कृषि मंत्री एवं 17 वर्षों से अधिक समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला होने के कारण सीहोर हमेशा से प्राथमिकता वाला जिला रहा। यहां पर तैनात अधिकारियों में भी खौफ रहता था और वे जिम्मेदारी से कार्य करते थे, लेकिन इस समय सीहोर जिले में ऐसी स्थितियां बनी हुईं हैं, जो इससे पहले यहां पर कभी नहीं रही। चाहे प्रदेश सरकार की योजनाएं हो, केंद्र सरकार की योजनाएं हों या फिर अन्य शासकीय कार्य बेहद संजीदगी एवं जिम्मेदारियों के साथ उन्हें किया जाता रहा है। वर्तमान की स्थितियां इससे एकदम अलग हैं। सीहोर जिला जहां योजनाओं को जमीन पर उतारने में फिसड्डी साबित हो रहा है तो वहीं सीएम हेल्पलाइन शिकायतों के निपटारे में भी लगातार रैंक गिर रही है। यदि भ्रष्टाचार करने वाले जिलों की रैंक जारी की जाए तो निश्चित रूप से सीहोर जिला अव्वल आएगा। फिलहाल तो यहां पर भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की दरकार है।
अफसरों के नंबर भी नॉट रिचेबल-
अधिकारियों तक जनता की शिकायतें सीधे पहुंचे, अधिकारी और आमजनों के बीच सूचनाओं का आंदान-प्रदान हो, इसके लिए सरकार द्वारा सीयूजी नंबर भी सभी जिला कलेक्टर, कमिश्नरों को दिए गए हैं, जिन पर कोई भी व्यक्ति कार्यालय समय में बात कर सकें, लेकिन स्थिति यह है कि जो सरकारी सीयूजी नंबर अधिकारियों के पास है वह हमेशा नॉट रिचेबल ही बताता है। सीहोर जिला कलेक्टर का शासकीय सीयूजी नंबर 7587977500 भी नॉट रिचेबल ही आता है। एक अन्य शासकीय नंबर पर भी फोन रिसीव नहीं होते हैं। इसी तरह एमपीइनफो की साइड पर कमिश्नर-कलेक्टर के जो नंबर हैं वे भी सभी बंद बताए जा रहे हैं, लेकिन इन्हें अब तक अपडेट भी नहीं किया जा सका है। लोग इन नंबरों पर फोन लगाते हैं तो बात ही नहीं हो पाती है।