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सड़कों पर गायों का डेरा, नहीं मिल रहा कहीं भी बसेरा

- सीहोर जिलेभर में आवारा पशुधन बना राहगीरों एवं किसानों के लिए मुसीबत

सुमित शर्मा, सीहोर
सड़कों पर घूम रही गौ माताओं के लिए भले ही प्रदेश सरकार ने कई नियम बना दिए हैं। गौशालाओं की राशियां बढ़ा दी हैं, लेकिन इसके बाद भी गौवंश सड़कों पर ही है। उन्हें कहीं भी स्थाई बसेरा नहीं मिल पा रहा है। सीहोर जिले में सीहोर से लेकर इछावर, भैरूंदा, रेहटी, बुधनी सहित आष्टा तक सड़कों पर गायों का डेरा है। मुख्य सड़क मार्ग पर इन गायों ने अपना स्थाई निवास बना लिया है। नगरीय क्षेत्र में भी गाय सड़कों पर बैठी रहती हैं। इनको लेकर न तो स्थानीय प्रशासन की जागरूकता देखने को मिल रही है, न ही गौ भक्तों का सहारा है। पशुपालन विभाग द्वारा लगातार इसकी मॉनीटरिंग की जा रही है, लेकिन संसाधनों एवं स्टॉफ की कमी गौवंशों को बचाने में आड़े आ रही है।
गौशालाएं बनी, लेकिन सुविधाओं के अभाव में बंद हैं-
गौवंश सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। जिले की रेहटी तहसील की ग्राम पंचायत चकल्दी, चंदपुरा सहित कई ग्राम पंचायतों में गौशालाओं का निर्माण कराया जा चुका है, लेकिन यह गौशालाएं भी सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं। यहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पानी, चारा सहित बिजली की उपलब्धता नहीं होने के कारण यह गौशालाएं भी खंडहर बन रही हैं। सड़कों पर गौ वंश के कारण जहां आने-जाने वाले राहगीरों को परेशानियां होती हैं वहीं दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी रहती है। इतना ही नहीं ये पशु किसानों के खेतों की फसलों को भी पूरी तरह से चट कर रहे हैं। 80 से 100 गायों का झुंड जिस खेत में घुसता है वहां पूरी फसल को खा जाता है।
जिलेभर में इतनी हैं मवेशियों की संख्या-
पशुपालन विभाग सीहोर के पास जो आंकड़े हैं उनमें जिलेभर में करीब 5 लाख 72 हजार गाय और भैसों की संख्या है। इसके अलावा जिलेभर में 19 गौशालाएं निजी संस्थाओं की संचालित हो रही है तो वहीं 30 गौशालाएं पंचायत स्तर पर बनकर तैयार हैं। 20 गौशालाएं अधर में लटकी हुईं। अब तो सरकार ने गौवंश के लिए प्रतिदिन की राशि भी बढ़ाकर 20 रूपए से 40 रूपए करने की घोषणा कर दी है, लेकिन इसके बाद भी कहीं न कहीं जागरूकता का अभाव देखने को मिलता है।
किसानों की गायें उनके लिए बन रही मुसीबत-
सड़कों पर रहने वाला ज्यादातर गौवंश स्थानीय किसानों एवं लोगों का है। वे लोग दुधारू पशु को तो अपने घरों में रखते हैं, लेकिन जैसे ही गाय ने दूध देना बंद किया उसको सड़क पर छोड़ देते हैं। इसके कारण सड़कों पर आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब यही पशु किसानों के लिए परेशानी बने हुए हैं। दिनभर तो गायें सड़कों पर बैठी रहती हैं, लेकिन रात में ये गायें किसानों के खेतों में घुसकर उनकी फसलों को पूरी तरह से चट कर रही हैं।

इनका कहना है-
सड़कों पर रहने वाले गौवंश को लेकर शासन स्तर पर तैयारियां हैं। इसको लेकर एक वर्कशॉप भी की गई थी, जिसमें हाईवे पर रहने वाले पशुओं को लेकर निर्देश दिए गए थे। फिलहाल नेशनल एवं स्टेट हाईवे पर पेट्रोलिंग वाहन एवं मोबाइल क्लीनिक से पशुओं की सुरक्षा एवं उनकी देखभाल की जा रही है। जल्द ही जिलेभर में सड़कों पर रहने वाले पशुओं को लेकर भी प्रयास किए जाएंगे।
– एकेएस भदौरिया, उप संचालक, पशुपालन विभाग, सीहोर

 

 

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