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विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे, इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ तो न्याय के लिए निकाल रही पदयात्रा

आमला से भोपाल तक की 335 किमी की कर रही हैं पदयात्रा, बुधनी विधानसभा में पहुंची पदयात्रा, सलकनपुर में मां बिजासन के किए दर्शन

सीहोर। मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे न्याय के लिए पदयात्रा पर निकली हुई हैं। वह आमला से लेकर भोपाल में मुख्यमंत्री निवास तक करीब 335 किलोमीटर की पदयात्रा कर रही हैं। इस दौरान उनकी पदयात्रा बुधनी विधानसभा के बुधनी एवं सलकनपुर पहुंची। सलकनपुर में मां बीजासन के दर्शन उपरांत यात्रा बुधनी पहुंची। यहां कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। निशा बांगरे हाथ में बाबा साहब आंबेडकर की फोटो और संविधान लिए हुए चल रही हैं। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे राज्य प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने अपना इस्तीफा भी सरकार को सौंप दिया है। उन्होंने बताया कि 22 जून 2023 को वह अपना इस्तीफा सरकार को भेज चुकी है, लेकिन अब तक इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। उन्होंने बताया कि वे मध्यप्रदेश शासन एवं अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग है। वह अपने घर में सर्वधर्म सभा आयोजित कर रही थी, लेकिन उन्हें अपने घर में ही इस सभा में शामिल नहीं होने दिया गया। इसकी अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने इस्तीफा दिया तो अब तक उनका इस्तीफा भी मंजूर नहीं किया गया है। अब वह न्याय के लिए पदयात्रा पर निकली हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी निशा बांगरे छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ हैं।

प्रतिदिन कर रहीं हैं 25-30 किलोमीटर की पदयात्रा-
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे आमला से लेकर भोपाल तक पद पैदल चल रही हैं। इस दौरान प्रतिदिन 25 से 30 किलोमीटर का सफर तय कर रही हैं। उनके साथ में अन्य कई लोग भी हैं, जो उनकी पदयात्रा में सहभागी बने हुए हैं। यात्रा का पड़ाव अलग-अलग जगह हो रहा है, जहां पर डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को उनकी इस मुहिम के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। छतरपुर में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे अपने इस्तीफे की मांग को लेकर आमला से भोपाल तक की पैदल न्याय यात्रा निकाल रही हैं। बुधनी, सलकनपुर पहुंची पदयात्रा का कांग्रेस नेत्री कंचन शर्मा, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजेंद्र यादव, संजय शर्मा, आमिर पटेल, राजीव दुबे, सलकनपुर की सरपंच मंजू दायमा, अनिरुद्ध दुबे सहित कार्यकर्ता मौजुद रहे।

गृह प्रवेश के लिए मांगी थी छुट्टी, नहीं मिली-
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने बैतूल जिले के आमला में 25 जून 2023 को आयोजित हुए अंतरराष्ट्रीय सर्व-धर्म शांति सम्मेलन में शामिल होने और अपने नए घर के गृह प्रवेश पूजा के लिए छुट्टी मांगी थी। निशा को इसके लिए छुट्टी नहीं मिली, जिसके बाद वो काफी भड़क गईं और तुरंत उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही निशा ने आरोप लगाया कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। इसके बाद ही उन्होंने चुनाव लड़ने का मन बनाया और न्याय के लिए अब पदयात्रा पर निकली हुईं हैं।

ये है डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का जीवन परिचय-
निशा बांगरे का जन्म मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में हुआ। अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी करने के लिए निशा ने 2010 से 2014 के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद वो गुरुग्राम के एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने लगी। इसी बीच उनका झुकाव सिविल सर्विस की ओर हुआ, जिसके चलते उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ दी और सिविल सर्विस की तैयारियों में जुट गईं। वर्ष 2016 में उनका सिलेक्शन एमपी में डीएसपी पद के लिए हुआ। उन्होेंने नौकरी ज्वाईन की, लेकिन वे इस पद से संतुष्ट नहीं थीं। इसके बाद वर्ष 2017 की एमपीएससी की परीक्षा में भी उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हो गया। उन्हें पहली पोस्टिंग बैतूल के आमला क्षेत्र में मिली। वर्तमान में वे छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम पदस्थ हैं।

इसलिए भी बंटोरी थी सुर्खियां-
निशा का पारिवारिक जीवन भी सुर्खियां बटोरने में पीछे नहीं रहा है। दरअसल, निशा की शादी भी काफी चर्चा में रही थी, क्योंकि इन्होंने संविधान को साक्षी मानकर शादी की थी। इनके पति एक मल्टी नेशनल कंपनी में अधिकारी हैं और उनका 3 साल का एक बेटा भी है।

निशा बांगरे को भेजा गया नोटिस-
निशा छतरपुर से पहले भोपाल में डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत थी, उस दौरान उन्हें एक शासकीय बंगला दिया गया था। अब प्रशासन की ओर से उन्हें नोटिस भेजा गया है, जिसमें कहा है कि भोपाल से रिलीव होने और छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर के पद पर ज्वाइन होने के बाद भी उन्होंने अपना बंगला नहीं छोड़ा है। नोटिस के मुताबिक, निशा अब भी उस बंगले पर कब्जा किए हुई है। इधर निशा बांगरे ने भेजे गए नोटिस को लेकर कहा कि सरकार और प्रशासन उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रही है। उन्होंने कहा कि जब तक वह कार्यरत थी, उन्हें कोई नोटिस नहीं भेजा गया है, लेकिन इस्तीफे के तुरंत बाद नोटिस भेजना सीधे तौर पर एक षड्यंत्र की तरह लग रहा है। उन्होंने कहा कि छतरपुर में बंगला न मिलने के कारण उन्होंने भोपाल वाले बंगले में ही अपना सामान रखा था।

 

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