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देव दिवाली: महादेव की पूजा से दूर होंगे सभी दुख, इस दिन बन रहा है विशेष संयोग: पं. शर्मा

सीहोर। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र के स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला देव दीवाली का पर्व इस बार अत्यंत शुभ फलदायी होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक भयंकर राक्षस का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में देवताओं ने विशेष पूजा अर्चना की थी। यही कारण है कि हर साल यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पंडित शर्मा के अनुसार इस दिन महादेव की उपासना करने से जीवन में सुख शांति बनी रहती है और उनकी कृपा से सभी मुरादें पूरी होती हैं।
पं. शर्मा ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार देव दीवाली का पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा, इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को देर रात 10 बजकर 36 मिनट पर होगी और इसका समापन 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 48 मिनट पर होगा।
पूजा के लिए विशेष मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 46 मिनट से 05 बजकर 37 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक
दीपदान का महत्व
पंडित शर्मा ने देव दीवाली की पूजा विधि बताते हुए कहा कि भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को अघ्र्य अर्पित करना चाहिए। पूजा विशेष रूप से प्रदोष काल में करें। एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर शिव जी की प्रतिमा स्थापित करें, देसी घी का दीपक जलाएं और फूल माला अर्पित करें। शिवलिंग का कच्चे दूध, शहद, दही, घी और पंचामृत से अभिषेक करने के बाद शिव चालीसा और मंत्रों का जप करना चाहिए। अंत में फल और मिठाई का भोग लगाकर प्रभु से जीवन में सुख शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
पंडित शर्मा ने दीपदान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सनातन धर्म में देव दीवाली के दिन गंगा नदी के घाटों पर दीपदान करना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि दीपदान करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है, सभी पापों से छुटकारा मिलता है और भगवान विष्णु तथा मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन सामथ्र्यनुसार दान पुण्य अवश्य करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से धन और अन्न के भंडार भरे रहते हैं।

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