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डीजे संचालक बेपरवाह, जिम्मेदार भी बने लापरवाह…

- कानफोड़ू डीजे बना लोगों के लिए परेशानी का कारण, नियम बनाए, लेकिन नहीं हो रहा पालन

सीहोर। इस समय शादियों का सीजन चल रहा है। ऐसे में डीजे संचालकों की चांदी ही चांदी है। सीजन में पैसे कमाने की चाहत में वे बेपरवाह भी बने हुए हैं। उससे ज्यादा प्रशासन के जिम्मेदार भी लापरवाह बने हुए हैं। यही कारण है कि कानफोड़ू डीजे ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। सीहोर जिला मुख्यालय सहित जिले के अन्य शहरों में सड़कों पर बजते डीजे के कारण यहां से निकलने वाले लोग परेशान हैं। डीजे संचालकों के लिए सरकार ने नियम भी बनाए हैं, लेकिन अधिकारी इन नियमों का पालन करवाने में दिलचस्पी नहीं लेते। इसके कारण डीजे संचालक अपनी मनमर्जी में इन्हें बजा रहे हैं।
डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही लाउड स्पीकर, डीजे पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए थे। नियमों के पालन में पूरा प्रशासन मैदान में उतर गया था और सभी जगह से लाउड स्पीकर, डीजे बंद करवाए, लेकिन धीरे-धीरे इन्हें फिर से अनुमतियां मिलने लगी। हालांकि इनके लिए नियम भी तय किए गए, लेकिन अब ये सभी नियम ताक पर रखकर डीजे संचालक इनका संचालन कर रहे हैं। इसके कारण आमजनों को परेशानियां हो रही हैं। जिनके घरोें में शादी समारोह हो रहे हैं वे तो डीजे पर मौज-मस्ती कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इनसे परेशान है।
कलेक्टर ने दिए थे सख्त निर्देश, लेकिन अब हवाहवाई-
सीहोर कलेक्टर बालागुरु के ने डीजे और साउंड के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। इसके बाद सीहोर एसडीएम तन्मय वर्मा ने बैठक लेकर नगर के डीजे संचालक और मैरिज गार्डन के संचालकों को निर्देशित करते हुए कहा था कि रात 10 से सुबह 6 बजे तक डीजे, ऑर्केस्ट्रा नहीं चलाया जाएगा। 75 डेसीबल से अधिक आवाज में कोई डीजे नहीं बजाए अन्यथा कार्रवाई होगी, डीजे जब्त कर लिया जाएगा एफआईआर भी हो सकती है। कलेक्टर के निर्देश के बाद सभी अनुभागों में एसडीएम, एसडीओपी, थाना प्रभारियों ने भी बैठकें लेकर सख्त निर्देश दिए थे कि तय गाइडलाइन के अनुसार ही इनका संचालन करें। इतना ही नहीं बैठकों में पुलिस ने कई जगह डीजे संचालकों से सहमति पत्र भी भरवाए थे। अब इन निर्देशों को सरेआम हवाहवाई किया जा रहा है।
ये हैं नियम, लेकिन कागजों में-
डीजे, आर्केस्टा संचालकोें के लिए नियम बनाए गए थे। इनमें 75 डेसीबल से अधिक आवाज न हो, दो बॉक्स रखकर ही डीजे चलाएं, रात 10 बजे के बाद इन्हें नहीं बजाएं, इसके लिए लाइसेंस भी बनवाएं। अब ये सभी नियम सिर्फ कागजों में हैं, इनका पालन नहीं किया जा रहा है।

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