सीहोर। जीवन में कोई जीव अकेला नहीं, कभी खुद को अकेला महसूस न करें क्योंकि श्मशान, शिखर और सिंहासन पर अकेला ही जाया जाता है। शुभकर्म में किसी के साथ का इंतजार न करें। अकेले भी कर्म, धर्म करने का मौका मिलता है तो इसे गंवाना मत। शिव की आराधना कोई भी कर सकता है। भगवान शिव पूजा-अर्चना सेठ से लेकर गरीब कर सकता है। भगवान तो सिर्फ भाव के भूखे है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय श्री महादेव गुरु शिव महापुराण कथा के चौथे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के अनेक गुण है, लेकिन शांत रहना, समदर्शी, विनम्रता और निम्रलता आदि गुण जिस श्रद्धालु में आ जाते है। उसको शिव की प्राप्ति हो जाती है।
कथा के चौथे दिन बुधवार को गुरुदेव पंडित श्री मिश्रा ने कुबेरेश्वरधाम पर आए एक श्रद्धालु का पत्र पढ़ते हुए बताया कि कोटा राजस्थान से कथा का श्रवण करने आई मीना हांड-कल्याण सिंह हांड की बेटी सीए की तैयारी कर रही थी, लेकिन उसको असफलता प्राप्त होती थी, उन्होंने कथा से प्रेरणा लेकर अपनी बेटी के साथ पिछले वर्ष कावड़ यात्रा में शामिल होकर भगवान शिव को जल अर्पित किया और पुराण के बताए उपाय पर अमल कर मेहनत की तो वह सीए के एग्जाम में सफल हो गई। आपके जीवन में जब भी असफलता और निराश आए तो भगवान शिव पर भरोसा करना वह आपको कामयाबी दिलाएगा। भगवान शिव की आराधना करने वाला भक्त कभी दुखी नहीं रहता। भगवान भोलेनाथ हर भक्त की सुनते हैं। भोले की भक्ति में शक्ति होती है। भगवान भोलेनाथ कभी भी किसी भी मनुष्य की जिंदगी का पासा पलट सकते हैं। बस भक्तों को भगवान भोलेनाथ पर विश्वास करना चाहिए और उनकी प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए।
क्लेश, झूठ, प्रपंच, बेईमानी यह सब नर्क के द्वार
उन्होंने बताया कि क्लेश, झूठ, प्रपंच, बेईमानी यह सब नर्क के द्वार है, इनसे बचना उत्थान और इनमें उलझे रहना पतन के समान है। ईश्वर भक्त के बिना और भक्त ईश्वर के बिना नहीं रह सकता। जन्म से लेकर मृत्यु तक ईश्वर साथ होते है, सद्मार्ग पर चलोंगे तो मोक्ष पाओंगे। उसने जन्म दिया, उदर (पेट) दिया तो भरने कि जिम्मेदारी भी उसकी है। इतने भोले हैं शिवजी, स्वच्छ मन से याद करने पर ही हो जाते हैं प्रसन्न, पूजा पाठ ही नहीं मन की सुदंरता से प्रसन्न हो जाते हैं भोलेनाथ। देवो के देव महादेव भगवान शंकर को औघड़दानी कहलाते हैं जो सबको साथ लेकर चलते हैं और मनुष्यों को भी वही प्ररेणा देते हैं, और पूजा पाठ ही नहीं व्यक्ति के मन की पवित्र व सुन्दर सोच से भी प्रसन्न हो जाते हैं भोलेनाथ, भगवान शिव को कोई भी बिना साधन, सामग्री के शिव पूजन संपन्न कर सकते हैं। वास्तव में मानसिक पूजा का शास्त्रों में श्रेष्ठतम पूजा के रूप में वर्णित है। इस शिव मानस पूजा को सुंदर-समृद्ध कल्पना से करने पर शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मानसिक रूप से चढ़ाई हर सामग्री को प्रत्यक्ष मानकर आशीर्वाद देते हैं।
ऋषि दधीचि की तपस्या, त्याग और बलिदान से सीख लेने की आवश्यकता
गुरुदेव पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि देश और धर्म के लिए आज की पीढ़ी को ऋषि दधीचि की तपस्या, त्याग और बलिदान से सीख लेने की आवश्यकता है। जब देवराज इंद्र ने ऋषि दधीचि से उनकी अस्थियां असुर राज वृत्रासुर का वध करने के लिए देने का निवेदन किया तो ऋषि ने देवताओं से कहा कि यह देह क्षण भंगुर है यदि यह शरीर लोक कल्याण एवं विश्व की रक्षा के लिए काम आता है तो ये मेरा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि जब वृत्रासुर का आतंक बढऩे लगा और देवताओं को पराजित होना पड़ा तो चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। महर्षि दधीचि के पास जाकर उनकी अस्थियों का वज्र बनाने के लिये याचना करने का आव्हान किया। सभी देवताओं ने इन्द्र के साथ मिलकर दधीचि से प्रार्थना की कि असुर राज का वध करने के लिए आपकी अस्थियां हमें दान में दीजिए। तब ऋषि ने कहा कि था कि मेरा शरीर लोक कल्याण एवं विश्व की रक्षा के लिये काम आता है तो मैरा सौभाग्य है। अतरू आप मेरी ये अस्थियां लेकर वज्र का निर्माण करें और दधीचि ने विश्वकल्याण के लिए शरीर त्याग दिया।
रविवार को मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा महोत्सव –
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि धाम पर सात दिवसीय शिव महापुराण के पश्चात रविवार 21 जुलाई को एक दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जाना है। इस मौके पर सुबह नौ बजे से देर शाम तक यहां पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को दीक्षा दी जाएगी। इसके लिए विठलेश सेवा समिति के व्यवस्थापक पंडित समीर शुक्ला, पंडित विनय मिश्रा के अलावा जिला प्रशासन तैयारियां कर रहा है। उन्होंने बताया कि आगामी 25 मई से छत्तीसगढ़ भिलाई में कथा का आयोजन किया जाएगा।