आदिवासी क्षेत्रों में शराब पहले खूब पिलाई, अब सूझ रही भलाई…
- आदिवासी नेताओं एवं ग्रामीणों ने उठाया शराब बंदी का बीड़ा, कलेक्टर को लिखा शराब पर प्रतिबंध के लिए पत्र

सीहोर। जिले में अवैध शराब की बिक्री को लेकर यूं तो समय-समय पर आवाज उठती रही है, लेकिन इस बार शराब बंदी को लेकर ऐसे जनप्रतिनिधियों एवं लोगों ने आवाज उठाई है, जिन्होंने पहले तो आदिवासियों को जमकर शराब पिलाई, उनसे शराब की दम पर वोट मांगे, लेकिन अब उनकी भलाई के लिए ही शराब बंदी को लेकर कलेक्टर के नाम पत्र लिखा है। दरअसल जिले के भैरूंदा विकासखंड के दो दर्जन से अधिक आदिवासी गांवों के नामों का उल्लेख करते हुए जनजाति समाज एवं इनकी नेत्री निर्मला सुनील बारेला सहित अन्य लोगों के हस्ताक्षर से एक पत्र सामने आया है। इस पत्र में इन लोगों ने ग्राम पंचायत घुटवानी, इटावा खुर्द, पिपलानी, बसंतपुर, पांगरी, कुरी, नयापुरा, श्यामपुर, मंजाखेड़ी, छापरी, रफीकगंज, सिंहपुर, कोसमी, झाली, सेवनिया, भिलाई, मोगराखेड़ी, डाबरी, अमीरगंज, पाटतलाई, लावापानी, आमझिर, आमडो, डाबा खजूरी, यारनगर, मथार सहित अन्य गांवों के नाम लिखते हुए कहा है कि इन गांवों में अंग्रेजी एवं देशी महुआ की शराब की बिक्री की जा रही है। अब शराब बंदी के लिए गांव पटेल, पुजारा, गांव वारती, सामाजिक जनप्रतिनिधि एवं सभी सामाजिक संगठन शराब बंदी चाहते हैं, इसलिए इन गांवों में अंग्रेजी सहित देशी महुआ शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए।
आदिवासी क्षेत्रों में बनती है घर पर शराब-
आदिवासी गांवों में कई लोग अपने घरोें पर ही शराब बनाते हैं। इसके साथ ही अंग्रेजी एवं देशी शराब की बिक्री भी इन क्षेत्रों में जमकर होती है। शराब की बिक्री का काम वर्षों से हो रहा है। कहा जाता है कि आदिवासी समाज के लोग अपने तीज-त्यौहारों एवं खुशियों के अवसर पर शराब पीकर जश्न मनाते हैं। खासकर होली के पहले पड़ने वाले भगोरिया त्यौहार पर भी ये लोग शराब का सेवन करके मौज-मस्ती करते हैं, लेकिन अब आदिवासी नेत्री निर्मला सुनील बारेला सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने ही शराब बिक्री को लेकर पत्र लिखा है। हालांकि यह पहल बहुत पहले होनी थी, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में इन नेताओं के द्वारा ही चुनाव के समय जमकर शराब बंटवाई जाती रही है। शराब के दम पर आदिवासियों से वोट मांगे जाते हैं। शराब के नाम पर वसूली भी कराई जाती है, लेकिन अब इन नेताओं को आदिवासियों की भलाई की सूझी है।