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गरीब की थाली में दाल भी हो रही पतली, तेजी से बढ रहीं कीमतें

एक साल में 37% तक महंगीं हुईं दालें, चावल के दाम भी बढ़े

नई दिल्ली। सरकार के तमाम दावों के बीच देश की ज्यादातर आबादी महंगाई की शिकार हो रही है। टमाटर और लहसुन ने चार महीनों तक जायका बिगाडा था, अब रसोई की सबसे जरूरी चीजों में से एक यानी दालें भी गरीब की थाली में पतली होती जा रही हैं।
जानकारी के अनुसार देश के ज्यादातर राज्यों में इस बार बारिश 15 से 25% तक कम हुई है। इसके असर से फसलों की पैदावार घटने की आशंका है, इसलिए खाने-पीने की चीजों के दाम तेजी से बढ़े हैं। सबसे ज्यादा असर दालों पर दिखा है। तुअर की दाल 37% तक महंगी हो गई है।

बारिश ने बिगाडा गणित
पिछले एक हफ्ते से कुछ राज्यों में अच्छी बारिश हो रही है, लेकिन इससे भी हालात में खास सुधार नहीं होता दिख रहा। महंगाई की दर 5.5% से नीचे बनाए रखने में आरबीआई को मुश्किल आएगी। भले ही इस सीजन में अनाजों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान पेश किया गया है, लेकिन मौसम की मार से उत्पादन प्रभावित होगा। सोयाबीन के अलावा सभी तरह के खाद्यान्नों के दाम तेजी से बढ़ सकते हैं।

चावल, दाल और चीनी के निर्यात पर लगा चुके हैं रोक
चावल, दाल और चीनी के निर्यात पर रोक लगाकर केंद्र सरकार ने दाम स्थिर रखने की कोशिश की है। दालों की मांग पूरी करने के लिए आयात को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। सरकार ने खरीफ सीजन में 16 करोड़ मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान लगाया है। हालांकि, यह तभी संभव है जब फसल को नुकसान न हो, लेकिन कम बारिश से काफी नुकसान हो रहा है।

चावल का स्टॉक बेहद कम
केंद्र सरकार के सेंट्रल पूल में 31 अगस्त को चावल का स्टॉक 2.43 करोड़ मीट्रिक टन था। यह अगस्त 2018 के बाद सबसे कम है। अगस्त 2022 में स्टॉक 2.8 करोड़, अगस्त 2021 में 2.91 करोड़, अगस्त 2020 में 2.53 करोड़ और अगस्त 2019 में 2.75 करोड़ मीट्रिक टन था।

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