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किसान जैविक खेती की पद्धतियों को अपनाएं और प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें: राज्यपाल

सीहोर। राज्यपाल मंगू भाई पटेल एवं किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने आरएके कृषि महाविद्यालय परिसर में नवनिर्मित कन्या छात्रावास और ऐरोपोनिक्स इकाई का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर राज्यपाल मंगू भाई पटेल अपने संबोधन में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया जाना चाहिए। यह प्राकृतिक खेती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे जैविक खेती की पद्धतियों को अपनाएं और भूमि के प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें। राज्यपाल श्री पटेल ने किसानों से आग्रह किया कि वे जैविक खेती, आधुनिक तकनीकों और नई शोध पद्धतियों को अपनाकर उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ाएं। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वे उन्नत बीजों और नई तकनीकों पर अनुसंधान करें ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए उत्तम आहार और संतुलित जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे जंक फूड का कम उपयोग करें और अपने भोजन में स्वास्थ्यवर्धक एवं पोषक तत्वों से भरपूर आहार को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि मशरूम जैसी पौष्टिक फसलों को आम घरों तक पहुंचाने और लोगों को इसके उपयोग के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आम घरों में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, क्योंकि यह न केवल पोषण का अच्छा स्रोत है, बल्कि आय का अतिरिक्त साधन भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अब समाज में लोगों का रूझान जैविक उत्पादों की ओर बढ़ रहा है, जो एक सकारात्मक बदलाव है और यह किसानों के लिए भी नई अवसरों के दरवाजे खोलता है।

देश में सबसे अधिक वन मध्यप्रदेश में हैं, जो इस प्रदेश के लिए प्रकृति का अनमोल खजाना हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस खजाने का संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढिय़ों को स्वस्थ वातारण मिले। उन्होंने लोगों से अपील की कि हर व्यक्ति अपनी माँ के नाम से एक पेड़ लगाए और उसकी नियमित देखरेख करे। यह न केवल भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक होगा, बल्कि प्रकृति के संरक्षण में भी एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा। राज्यपाल ने कहा कि यदि हर व्यक्ति यह जिम्मेदारी निभाए तो धरती और अधिक हरित और समृद्ध बन सकती है। उन्होंने प्रकृति और औषधीय गुणों के बारे में भी चर्चा करते हुए कहा कि अधिकांश पेड़ों में औषधीय गुण होते हैं, जो प्राकृतिक चिकित्सा में बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें प्रकृति का शोषण नहीं, बल्कि पोषण करना है, ताकि हम आने वाली पीढिय़ों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध पर्यावरण छोड़ सकें।
राज्यपाल श्री पटेल ने महाविद्यालय के विद्यार्थियों को मेहनत, शोध और नवाचार की भावना के साथ कार्य करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षाए अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण का संयोजन ही भविष्य को बेहतर दिशा प्रदान कर सकता है। उन्होने आरएके कृषि महाविद्यालय में नवनिर्मित कन्या छात्रावास की सराहना करते हुए कहा कि यहां बेटियों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया जाएए ताकि वे निश्चिंत होकर शिक्षा प्राप्त कर सकें तथा समाज और देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभा सकें। कार्यक्रम में कुलगुरू अरविन्द कुमार शुक्ला ने कृषि महाविद्यालय तथा राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में कलेक्टर बालागुरू के., एसपी दीपक कुमार शुक्ला तथा महाविद्याल के डीन मोहम्मद यासीन सहित विद्यार्थी तथा किसान उपस्थित थे।
कृषि विकास में नहीं छोड़ी जाएगी कोई कसर: कृषि मंत्री
कार्यक्रम में उपस्थित किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में कृषि के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और जब किसान खुशहाल होगा, तभी हर क्षेत्र में विकास संभव है। श्री कंसाना ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा खेती के विकास और किसानों के कल्याण के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनसे किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जा रहा है।
कृषि प्रदर्शनी का किया अवलोकन
राज्यपाल मंगू भाई पटेल एवं किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने महाविद्यालय परिसर में आयोजित कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में कृषि महाविद्यालय तथा कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा उत्पादित विभिन्न फसलों, जैविक उत्पादों एवं नवीन तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। उन्होंने प्रदर्शनी में प्रदर्शित उत्पादों की जानकारी विस्तार से ली तथा किसानों और वैज्ञानिकों से संवाद किया। उन्होंने कृषि क्षेत्र में हो रहे नवाचारों एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की। सीहोर, खण्डवा, देवास, शाजापुर, उज्जैन, मंदसौर आलीराजपुर सहित अन्य जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्रों के कृषि उत्पादों को प्रदर्शित किया गया।
एरोपोनिक्स तकनीक द्वारा आलू बीज उत्पादन
आलू बीज उत्पादन में एक नई क्रांतिकारी तकनीक एरोपोनिक्स से अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाला बीज प्राप्त कर सकते हैं। इस तकनीक में पौधों को मिट्टी के बिना, हवा और पोषक घोल की महीन फुहारों के माध्यम से उगाया जाता है। इस तकनीक से रोगमुक्त एवं उच्च गुणवत्ता वाले मिनीट्यूबर का उत्पादनए एक पौधे से अधिक संख्या में बीज कंदों की प्राप्ति, वर्षभर नियंत्रित परिस्थितियों में उत्पादन की सुविधा। और पारंपरिक विधियों की तुलना में कम जल उपयोग और अधिक उत्पादकता है। इस तकनीक से तैयार मिनीट्यूबर को खेतों में लगाकर अगली पीढ़ीके बीज उत्पादन हेतु उपयोग किया जा सकता है। इससे बीज की उपलब्धता बढ़ेगी, लागत घटेगी और आय में वृद्धि होगी। यह परियोजना मध्यप्रदेश राज्य कृषि उपज मंडी बोर्ड द्वारा वित्तपोषित है, जिसका उद्देश्य किसानों को उन्नत बीज उत्पादन तकनीक से जोडऩा और आलू उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।

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