सीहोर। जिले में विगत तीन चार हफ्तों से बारिश नहीं होने के कारण सोयाबीन, मक्का, उड़द, मूंग तथा अन्य फसले वर्षा जल के अभाव में प्रभावित हो रही है। वर्षाकाल के लंबे अंतराल के कारण इन फसलों की उत्पादकता व उत्पादन दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही फसलों पर अत्याधिक तापमान व आपेक्षिक आर्दता के अनुकूल न होने की स्थिति में इन फसलों पर रोग व कीटों का प्रकोप भी तेजी से बढ़ रहा है। फसलों पर आ रही इन समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए सीआरडीई कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसान भाइयों खरीफ फसलों से संबंधित समसमायिकी सलाह दी गई है।
सूखे की स्थिति में फसल प्रबंधन के लिए अपनाएं ये उपाय-
वर्तमान समय में सोयाबीन, मक्का, मूंग, उड़द फसल लगभग 50 से 65 दिन की अवधि पूर्ण कर रही है। इस अवधि के दौरान अधिकतम फसलें फली में दाना भराव की स्थिति में है। दाना भराव की अवस्था में लगभग सभी फसलों के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी रहना अति आवश्यक है। पर्याप्त नमी नही होने के कारण फसल में पूर्णतः आर्थिक क्षति की सम्भावना निर्मित होती है। इसके लिए सभी किसान भाइयों को सलाह दी गई है कि सिंचाई जल उपलब्धता के आधार पर फसलों में मिट्टी में दरारे पड़ने के पूर्व फुव्वारा या बाढ़ विधि से सिंचाई कार्य शीघ्र ही प्रारम्भ करे, जिससे कि फसलों से होने वाले आर्थिक नुकसान को रोका जा सके। साथ ही किसान भाई वर्तमान समय में फसलों में कीट व रोग प्रबंधन के लिए कीटनाशकों व फफूंद नाशकों का भी उपयोग कर रहे हैं। उनको सलाह दी गई है कि फसलों को सूखे से बचाने के लिए अनुशंसित जल विलेय उर्वरक पोटेशियम नाइट्रेट (1ः) की 2 किग्रा प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
फसलों में कीट व्याधि प्रबंधन-
वर्तमान समय में सोयाबीन फसल में तना मक्खी, गर्डल बीटल (रिंग कटर) हरित अर्धकुण्डलक इल्ली, तंबाकू की इल्ली, चने की सुण्डी इल्ली सफेद मक्खी इत्यादि कीटो का प्रकोप देखा जा रहा है। इन कीटों से निदान के लिए किसान भाई क्लोरान्ट्रानिलिप्रोल 9.30 प्रतिशत $ लेम्डा सायलहेलोथ्रिन 9.50 प्रतिशत 80 मिली प्रति एकड़ या फ्लूबेडियामाइट 39.35 प्रतिशत 60 मिली प्रति एकड़ के साथ इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत 50 मिली प्रति एकड़ या एसिटामेप्रिड 30 प्रतिशत, 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। सोयाबीन फसल में पीला मोजेक वायरस रोग के साथ एन्थ्राक्रोज, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट जैसे फफूँद जनित रोगों का भी प्रकोप देखा जा रहा है। सभी किसानों को सलाह दी जाती है कि पलूक्साथायोक्साइड पायरोक्लोस्ट्रोबिन 120 ग्राम प्रति एकड़ या एजोक्सीस्ट्रोबिन 11 प्रतिशत $ टूबूकोनोजाल 18.3 प्रतिशत 120 मिली प्रति एकड़ में से किसी भी एक दवा की मात्रा को 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म व माहु कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। इन कीटो की रोकथाम के लिए टेट्रानिलीप्रोल 18.18 प्रतिशत, 80 मिली प्रति एकड़ के साथ डाईफेन्युरॉन 50 प्रतिशत, 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।
मूँग व उड़द फसल में पीला मोजेक वायरस की रोकथाम के लिए रोग वाहक (सफेद मक्खी) के नियन्त्रण हेतु डाईफेन्थुरॉन 50 प्रतिशत, 250 ग्राम प्रति एकड़ के साथ ही पत्ती झुलसन रोग के निदान हेतु एजोक्सीस्ट्रोबिन 11 प्रतिशत $ टेबुकोनोजोल 18.3 प्रतिशत, 120 मिली प्रति एकड़ की दर से दवाओं को 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करे। सभी किसान भाइयों से अपील है कि फसल सुरक्षा सम्बन्धित उपयोग के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से सतत सम्पर्क बनाये रखे।