सीहोर-रेहटी। नवरात्रि के अवसर पर जिले के प्रसिद्ध मां बिजासन धाम सलकनपुर में हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु-भक्त पहुंच रहे हैं। रविवार को अवकाश के कारण यहां पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। अनुमानित करीब डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने सलकनपुर पहुंचकर मातारानी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान कई बार सड़क पर जाम की स्थिति बनती रही। वाहन रेंगते-रेंगते आगे बढ़ते रहे। पुलिस टीम ने भी सुबह से ही मोर्चा संभाल लिया था, लेकिन बड़ी संख्या में वाहनों के पहुंचने से जाम की स्थिति बनती रही। हालांकि बाद में जाम खुलवाकर व्यवस्थाएं बनाई गईं। शारदीय नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु-भक्त सलकनपुर पहुंच रहे हैं। इस दौरान वे पदयात्रा, दो पहिया, चार पहिया एवं बसों से पहुंचकर मां बिजासन के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। यूं तो नवरात्रि में नौ दिनों तक दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन अवकाश वाले दिनों में यहां पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है। रविवार को भी अवकाश होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे। अनुमान के अनुसार डेढ़ लाख से ज्यादा भक्तों ने सलकनपुर पहुंचकर मां बिजासन के दर्शन किए।
बड़े वाहन बने परेशानी का कारण –
नवरात्रि को लेकर कलेक्टर प्रवीण सिंह द्वारा आदेश जारी किए गए थे कि बड़े वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जाए, लेकिन कहीं न कहीं प्रशासन की लापरवाही इसमें सामने आई है। सड़कों पर लगातार ट्रक, डंपर सहित अन्य बड़े वाहनों की दौड़ लग रही है। इसके कारण जहां पदयात्रियों को परेशानियां हो रही हैं तो वहीं उनकी जान भी जोखिम में है। बड़े वाहनों को नहीं रोकने के कारण सलकनपुर में जाम की स्थितियां भी बन रही हैं। बुधनी एवं भैरूंदा की तरफ से जाने वाले वाहनों को यदि यहीं पर रोककर इन्हें अन्य रूट पर डायवर्ट करते तो यह स्थिति नहीं बनती। बुधनी से आने वाले वाहनों को बुधनी से ही डायवर्ट कर दिया जाता एवं भैरूंदा से जाने वाले वाहनों को भी यहीं से डायवर्ट कर दिया जाता तो स्थिति नियंत्रण में रहती। अब बुधनी से आने वाले बड़े वाहन इटारसी तक पहुंच रहे हैं एवं भैरूंदा की तरफ से जाने वाले वाहन मालीबायां तक पहुंच रहे हैं। हालांकि मालीबायां से इन वाहनों को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है, लेकिन इटारसी की तरफ से बड़े वाहन बायपास से निकाले जा रहे हैं।
रेंगते रहे वाहन, फंसे रहे श्रद्धालु –
सलकनपुर में जाम की स्थिति बनने के कारण दो एवं चार पहिया वाहन रेंगते-रेंगते चलते रहे। इस दौरान कई लोग जाम में फंसे रहे। पुलिस भी लगातार जाम खुलवाने के लिए मैदान में डटी रही। दो किलोमीटर तक जाम की स्थिति बनी रही। इसके कारण पदयात्रियों को भी परेशानियां आईं। पदयात्रियों को निकलने के लिए जगह नहीं मिली।
टैक्सियां कर रही श्रद्धालुओं की जान से खिलवाड़ –
सलकनपुर में चल रही टैक्सियां भी मनमानी पर उतारू हैं। आरटीओ, पुलिस प्रशासन की सख्त हिदायत के बाद भी ये टैक्सियां ओव्हर
लोडिंग करके चलाई जा रही हैं। निर्धारित सवारियों से ज्यादा भरकर श्रद्धालुओं की जान से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। इन ओव्हर लोडिंग टैक्सियों की चैकिंग भी नहीं की जा रही है और वे बेधड़क होकर उपर तक पहुंच रही हैं। यदि ऐसे में कोई हादसा हो जाए तो इसकी जबावदारी किसकी होगी? नवरात्रि मेले से पहले ही जिला परिवहन अधिकारी रीतेश तिवारी द्वारा इन टैक्सी संचालकों को हिदायतें दी गईं थीं, लेकिन ये हिदायतें अब हवाहवाई हो गईं हैं।
कोई चुनरी लेकर तो कोई पैदल चलकर पहुंच रहे-
मां बिजासन धाम सलकनपुर अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। लोग यहां पर आते हैं मां से कई मुरादें मांगते हैं और फिर पूरी होने पर मां के दरबार में हाजिरी लगाकर प्रसादी चढ़ाते हैं। मन्नतें पूरी होने पर कई श्रद्धालु चुनरी लेकर यहां पर पहुंचते हैं तो कई श्रद्धालु दूर-दूर से पदयात्रा करके मां के दरबार में पहुंचते हैं। इस दौरान कोई लेटकर भी मां के दरबार तक पहुंचते हैं। मां बिजासन सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
300 साल पहले बंजारों ने की थी स्थापना –
सलकनपुर में मां बिजासन की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि करीब 300 वर्ष पूर्व बंजारों द्वारा उनकी मनोकामना पूर्ण होने पर इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर निर्माण और प्रतिमा मिलने की इस कथा के अनुसार पशुओं का व्यापार करने वाले बंजारे इस स्थान पर विश्राम और चारे के लिए रूके। अचानक ही उनके पशु अदृष्य हो गए। इस तरह बंजारे पशुओं को ढूंढने के लिए निकले, तो उनमें से एक बृद्ध बंजारे को एक बालिका मिली। बालिका के पूछने पर उसने सारी बात बताई, तब बालिका ने कहा की आप यहां देवी के स्थान पर पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। बंजारे ने कहा कि हमें नहीं पता है कि मां भगवती का स्थान कहां है। तब बालिका ने संकेत स्थान पर एक पत्थर फेंका। जिस स्थान पर पत्थर फेंका वहां मां दुर्गा के दर्शन हुए। उन्होंने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की। कुछ ही क्षण बाद उनके गुम हुए पशु मिल गए। मन्नत पूरी होने पर बंजारों ने मंदिर का निर्माण करवाया। एक कथा के अनुसार जब रक्त-बीज नामक राक्षसों से त्रस्त होकर देवता देवी की शरण में पहुंचे तो देवी ने विकराल रूप धारण कर लिया। इसी स्थान पर रक्तबीज का संहार कर उस पर विजय पाई। मां दुर्गा की इस विजय पर देवताओं ने जो आसन दिया, वही विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ। मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाया। मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 1100 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है। सड़क मार्ग एवं रोप-वे से भी भक्तजन दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
इनका कहना है-
रविवार को अवकाश के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु सलकनपुर पहुंचे। इस दौरान कुछ समय के लिए जाम की स्थिति भी बनी, लेकिन पुलिस टीम ने स्थितियों को नियंत्रित करके जाम खुलवाया। बड़े वाहनों को भी रोका गया है। श्रद्धालु-भक्तों को कोई परेशानियां नहीं आए, इसको लेकर पूरी टीम उनकी सुरक्षा में तैनात है।
– राजेश कहारे, थाना प्रभारी, रेहटी