सीहोर। हमारे जीवन का लक्ष्य मात्र भगवान की भक्ति है। भगवान शंकर की भक्ति कर भगवान राम ने सेतू का निर्माण किया गया था। हमारे वेद, पुराणों और शास्त्रों में लिखा है कलयुग अपना काम करेगा, लेकिन हम कलयुग को भजन-कीर्तन, धर्म-कर्म से सतयुग बना सकते हैं। भक्ति से सतयुग नहीं भी बना तो शिवयुग तो बन ही जाएगा। एक नवयुग का निर्माण है शंकर शिवमहापुराण की कथा। सारा सुख-दुख शिव भगवान के चरणों में सौंप दो। शिव जो करेगा श्रेष्ठ करेगा। श्रेष्ठ के लिए शिव के बिना कुछ नहीं। वर्तमान में देखते हैं कि थोड़ी सी असफलता में युवा निराशा में गलत कदम उठा लेते हैं। असफलता पर घबराना नहीं है। परिणाम बिगड़े तो बिगड़ जाने दो, शिव ने उससे भी कुछ अच्छा सोचकर रखा होगा। यह बात जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय श्रीगुरु शिव महापुराण के चौथे दिवस भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे।
उन्होंने कहा कि ईश्वर द्वारा दी गई अनमोल सांसों का कर्ज उतार सकते हैं? क्या हमने इसके लिए आज तक भी उस ईश्वर का धन्यवाद किया? यदि नहीं किया है, तो हमें आज से ही ईश्वर का गुणगान करना शुरू कर देना चाहिए। दिन में लगभग 21,600 बार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया करता है। मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। वह मनुष्य शरीर नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है। मनुष्य जन्म अत्यन्त ही दुर्लभ है, मनुष्य जीवन का केवल एक ही उद्देश्य और एक ही लक्ष्य होता है, वह भगवान की अनन्य-भक्ति प्राप्त करना है। अनन्य-भक्ति को प्राप्त करके मनुष्य सुख और दुखों से मुक्त होकर कभी न समाप्त होने वाले आनन्द को प्राप्त हो जाता है। वास्तव में संसार को हमारे से जो अपेक्षा है, वही संसार हमारे से चाहता है। हमें अपनी शक्ति को पहचान कर संसार से किसी प्रकार की अपेक्षा न रखते हुए अपनी शक्ति के अनुसार ही संसार की इच्छा को पूरी करनी चाहिए। इस प्रकार से कार्य करने से ही जीवात्मा रूपी हम कर्म बंधन से मुक्त हो सकतें हैं। सामर्थ्य से अधिक सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति करने से हम पुनरू कर्म बंधन में बंध जाते हैं। हमें कर्म बंधन से मुक्त होने के लिये ही कर्म करना होता है, कर्म बंधन से मुक्त होना ही मोक्ष है। मनुष्य कर्म बंधन से मुक्त होने पर ही जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर परम-लक्ष्य स्वरूप परमात्मा को प्राप्त हो जाता है।
भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया-
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि शनिवार को शिवमहापुराण के चौथे दिवस भगवान गणेश का जन्मोत्सव आस्था के साथ मनाया गया। इस मौके पर कलाकारों के द्वारा भगवान की झांकी सजाई गई थी। वहीं आगामी 13 जुलाई को भव्य गुरु दीक्षा समारोह का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बड़ी संख्या में देश भर के श्रद्धालु शामिल होंगे। समिति और प्रशासन द्वारा भव्य आयोजन की तैयारियां जारी है।