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हर घर तिरंगा अभियान: घर-घर, सरकारी भवनों पर लगाए थे तिरंगे, अब हो रहा ’अपमान’

सुमित शर्मा, सीहोर। मध्यप्रदेश सहित सीहोर जिलेभर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 9 अगस्त से हर घर तिरंगा अभियान एवं तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया था। अभियान 14 अगस्त तक चला। इस दौरान घर-घर तिरंगा लगाया गया। अभियान के तहत सभी शासकीय भवनों पर भी तिरंगा फहराया गया था। हर घर तिरंगा अभियान के तहत गांव-गांव, नगर-नगर में तिरंगा यात्राएं निकाली गई थीं, लेकिन अब कई जगह तिरंगे का अपमान भी देखने को मिल रहा है। दरअसल हर घर तिरंगा अभियान के तहत जोश-जोश में घर-घर, सरकारी भवनों पर तिरंगा तो फहराया गया, लेकिन यात्रा के बाद तिरंगों को निकालने में या इन्हें सहजने में किसी की भी रूचि सामने नहीं आई। इसका नतीजा यह हो रहा है कि कई जगह तिरंगे का अपमान देखने को मिल रहा है। घरों, सरकारी भवनों में अब तक तिरंगा फहरा रहा है। इसके कारण कई जगह तिरंगा फट गया है तो वहीं कई जगह यह नीचे भी लटक गया है। मेला भी हो गया है। सीहोर जिले की कई ग्राम पंचायतों के भवनों पर भी अब तक तिरंगा दिखाई दे रहा है, जबकि अभियान को चलाए हुए एक माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अब तक तिरंगा नहीं निकाला गया है। ऐसे में सिस्टम एवं जिम्मेदारों की लापरवाही भी देखने को मिल रही है।

ये हैं तिरंगा झंडा फहराने के नियम –
– तिरंगा झंडा फहराने से पहले देखना जरूरी है कि ये कटा-फटा या फिर गंदा नहीं हो।
– ध्वजारोहण के लिए इस्तेमाल तिरंगा खादी, सूती या सिल्क का बना होना चाहिए।
– झंडा आयताकार आकार में होना चाहिए, जिसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3-2 होना चाहिए।
– झंडे में केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके फहराया नहीं जा सकता।
– पहले तिरंगा झंडा सूर्याेदय से लेकर सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता था। हालांकि अब रात में भी इसे फहराने की अनुमति है।
– तिरंगा झंडा कभी भी जमीन को नहीं छूना चाहिए, इसे जमीन पर भी नहीं रखा जाना चाहिए।
– बिना सरकारी आदेश झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए।
– फहराने वाले तिरंगे झंडे को पानी में नहीं डुबाया जाना चाहिए, इस पर कुछ भी लिखा नहीं होना चाहिए।
– तिरंगा ऐसी जगह पर फहराया जाए, जहां से वो सभी को नजर आए।
– तिरंगे के साथ अगर कोई और झंडा फहराया जाना है तो उसे राष्ट्रीय ध्वज के बराबर नहीं फहराना चाहिए।

ये है भारतीय ध्वज संहिता –
ध्वजारोहण को लेकर भारतीय ध्वज संहिता लागू है। 26 जनवरी 2002 को इसे लागू किया गया है। भारतीय ध्वज संहिता में झंडा फहराने को लेकर कई नियम हैं, खास कानून बनाया गया है, जिससे किभी प्रकार तिरंगे का अपमान नहीं हो सके। इसमें ध्वजारोहण के लिए इस्तेमाल होने वाले तिरंगे की माप, लंबाई और दूसरे नियमों का जिक्र है।

ये है तिरंगे के अपमान में सजा –
यदि तिरंगे का अपमान होता है तो उसके लिए सजा का प्रावधान भी है। अगर किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह से झंडे को नुकसान पहुंचाते हुए पकड़ा जाता है तो उसे जेल भी भेजा जा सकता है। कोई अगर झंडे को नुकसान पहुंचाने या मौखिक या शाब्दिक रूप से इसका अपमान करता है तो उसे तीन साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। तिरंगे झंडे के कमर्शियल इस्तेमाल की इजाजत नहीं है और ना ही किसी को सलामी देने के लिए तिरंगे को झुकाया जा सकता है।

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