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नवमी पर कन्या पूजन-भड़ली नवमी पर कन्या पूजन के बाद भोजन करवाया, नवरात्रि की पूर्णाहुति की

नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने कहा कि मंदिर तक बनाया जाएगा रोड और लगाया जाएगा टीन शेड

सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी शहर के विश्रामघाट के समीपस्थ प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में गुप्त नवरात्र के अंतिम दिवस भड़ली नवमी पर मंगलवार को यहां पर श्रद्धालुओं के द्वारा अनुष्ठान किया गया। इस दौरान कन्या पूजन करने के साथ ही खीर-पुडी आदि पकवानों का भोग लगाकर मातारानी की पूजा-अर्चना की गई। कन्या-पूजन कर उन्हें भोजन करवाकर उपहार भेंट कर अनुष्ठान किया। एक दिन पूर्व महाअष्टमी पर मंदिर परिसर को आकर्षक रोशनी से सजाया गया और महाआरती में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और प्रसाद प्राप्त किया।
मंगलवार को यहां पर जारी कन्या पूजन के दौरान पहुंचे नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर को स्थानीय पार्षद और नपा उपाध्यक्ष विपिन शास्ता ने बताया कि मंदिर में सड़क निर्माण, पेवर ब्लाक और टीन शेड का कार्य होना है, इस पर तत्काल समस्या का समाधान करते हुए नपाध्यक्ष श्री राठौर ने यहां पर मौजूद क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं को सौगात देते हुए आगामी दिनों में उक्त कार्य कराए जाऐंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर हजारों भक्तों की आस्था का केन्द्र के इसके सौंदर्यकरण किया जाएगा। मंगलवार को नवमी पर मां सिद्धी दात्री की पूजा अर्चना के लिए मंदिर परिसर में दिनभर माता के दर्शनों कर पूजा-अर्चना की गई। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा, श्री राधेश्याम कालोनी की ओर से जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, राकेश शर्मा, प्रदीप साबू, तारा चंद्र यादव सहित अन्य ने सुबह सामूहिक रूप से पूर्णाहुति दी। इस मौके पर पंडित श्री शर्मा ने बताया कि भड़ली नवमी आषाढ़ माह की नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। इस तिथि पर देवी दुर्गा के जगदंबा स्वरूप की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही देवी की पूजा दश महाविद्याओं के रूप में भी की जाती है, चूंकि यह नवरात्रि का आखिरी दिन है, इसलिए इस दिन कन्या भोजन का भी आयोजन किया जाता है।
भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था. पंडित श्री शर्मा ने कहा कि पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाएं. मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप है। कहा जाता है कि, मां दुर्गा का यह रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है।
नौ दिन तक की मां के विभिन्न स्वरूपों की आराधना
जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मरीह माता मंदिर पर हर नवरात्रि पर भव्य आयोजन किया जाता है। नौ दिवसीय गुप्त नवरात्रि पर यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं के द्वारा विशेष अनुष्ठान किया गया था, महाष्टमी और नवमीं पर दो दिन कन्या भोज का आयोजन किया गया। वहीं मंगलवार को सप्तशती पाठ के पश्चात पुर्णाहुति दी गई।

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