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पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाएगा दीप प्रज्जवलित

पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाएगा दीप प्रज्जवलित

सीहोर। रविवार को जिला संस्कार मंच के तत्वाधान में भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के आह्वान पर मंच के द्वारा पितृमोक्ष अमावस्या पर शहर के विश्राम घाट स्थित मरीह माता मंदिर में हवन के अलावा दीप प्रज्जवलित कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। मंच के जिला उपाध्यक्ष और प्रियल वेलफेयर फाउंडेशन के संचालक हिमांशु निगम के द्वारा जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी भंडारे में 21 हजार रुपए की सहयोग राशि यहां पर जारी आजीवन भंडारे में प्रदान की गई। इस दौरान पंडित विनय मिश्रा, रविन्द्र नायक, यश अग्रवाल, शुभम यादव, सौभाग्य मिश्रा आदि शामिल थे। इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और यहां पर गौशाला में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला संस्कार मंच के संस्थापक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि पितृमोक्ष अमावस्या पर मंच और मरीह माता मंदिर के व्यवस्थापक रोहित मेवाड़ा, ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, उमेश दुबे, सुनील चौकसे, रामेश्वर सोनी, रितेश अग्रवाल, सुभाष कुशवाहा सहित अन्य की उपस्थित में सुबह हवन का आयोजन किया जाएगा और उसके पश्चात दीप प्रज्जवलित किए जाएंगे। मान्यता है कि पितृ पक्ष में यमराज पितरों को अपने परिजनों से मिलने के लिए मुक्त कर देते हैं। 15 दिवस तक पितृ धरती पर रहते हैं, इस दौरान यदि पितरों का श्राद्ध न किया जाए तो वह नाराज हो जाते हैं, इसलिए जिला संस्कार मंच के तत्वाधान में आयोजन किया जा रहा है।
पितृमोक्ष अमावस्या पर है सर्वार्थ सिद्धि योग-
उन्होंने बताया कि शास्त्रों में ऐसे देवलोक गमन करने वाले पितरों के निमित्त इसी दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने का उल्लेख है। सभी चाहते हैं कि उनके पितृ खुश होकर रवाना हो और उनके निमित्त वे जो अनुष्ठान कर रहे हैं, वह भी मंगलकारी हो। संयोगवश पितृ-मोक्ष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि, रवि, बुधादित्य और कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग का सहयोग रहेगा। इन योगों के चलते किए कर्मकांड शुभ फलदायी रहेंगे, पितरों के निमित्त सर्वाधिक कर्मकांड 25 सितंबर को पितृमोक्ष अमावस्या पर होंगे। इस दिन ऐसे लोग भी अपने उन पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान व श्राद्ध आदि जिनकी तिथि उन्हें ज्ञात नहीं है। कई वे लोग भी रहेंगे, जो समयाभाव के कारण पूरे पितृपक्ष में तर्पण नहीं कर पाते हैं, वे अमावस्या पर कर सकते हैं। पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म अवश्य किया जाना चाहिए। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वह अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि हिंदू धर्म में किसी की मृत्यु के बाद उस व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है जो जरूरी होता है। इसलिए पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।

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