सुमित शर्मा, सीहोर
प्रदेश सरकार एवं राजस्व विभाग भले ही राजस्व रिकार्ड को बेहतर एवं दुरूस्त करने के लिए नवाचार कर रहे हैं, लेकिन इन नवाचारों की पोल भी लगातार खुलती जा रही है। ऐसा ही एक मामला सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा स्थित रेहटी तहसील का सामने आया है। यहां पर कोलार परियोजना के लिए वर्ष 1979 में किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया। अधिग्रहण के बाद जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों को राशि भी दी गई, लेकिन करीब 45 साल बाद भी इस जमीन को राजस्व रिकार्ड में दुरूस्त नहीं किया गया। यहां के किसान अब भी इस जमीन पर काबिज हैं एवं खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं अब इस जमीन को उंचे दामों पर बेच भी रहे हैं।
मालीबायां से लेकर कोलार डेम तक की 100 एकड़ से अधिक जमीन का वर्ष 1979 में अधिग्रहण किया गया था। कोलार परियोजना के माध्यम से यहां पर नहर एवं सड़क बनाई गई थी। इसके लिए ही किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। अधिग्रहण के बाद किसानों को इस जमीन का पैसा भी दिया गया, लेकिन जल संसाधन विभाग एवं कोलार परियोजना के जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आज तक इस जमीन को राजस्व रिकार्ड में दुरूस्त ही नहीं किया गया। इसके चलते जहां राजस्व विभाग को करोड़ों की चपत लगी है तो वहीं इसमें कोलार परियोजना के जिम्मेदारों की लापरवाही भी सामने आई।
किसान कर रहे हैं खेती-
मालीबायां से लेकर कोलार डेम तक किसानों के साथ ही वन विभाग की जमीन भी है। किसानों की जमीनों का अधिग्रहण होने के बाद उन्हें तो इसका मुआवजा भी दे दिया गया, लेकिन रिकार्ड दुरूस्त नहीं होने के कारण किसान अब तक इन जमीनों पर काबिज हैं एवं खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं कई किसान इन जमीनों को महंगे दामों पर बेच भी रहे हैं।
गाईड लाइन पहुंची 9 लाख रूपए से उपर-
मालीबायां से कोलार डेम की तरफ जाने वाले कोलार रोड की गाईड लाइन 9 लाख रूपए हेक्टेयर से अधिक हो गई है। बताया जा रहा है कि जिस समय इस जमीन का अधिग्रहण किया गया था उस समय इसकी कीमत करीब 2500 रूपए के आसपास थी, लेकिन अब यह जमीन बेशकीमती हो गई है।
नहीं उठाया फोन-
इस संबंध में चर्चा करने के लिए कोलार परियोजना की उपयंत्री हर्षा जैनवाल से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
इनका कहना है-
आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। इसको दिखवाता हूं।
– प्रवीण सिंह, कलेक्टर, सीहोर