मकान मालिक ने किरायेदार के बच्चे को जमकर पीटा, पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप

प्रवेश शर्मा, आष्टा। बच्चों के आपसी विवाद को लेकर बीते 28 मई को स्थानीय बजरंग कॉलोनी में रहने वाले माहेश्वरी परिवार ने अपने ही किरायेदार के 8 वर्षीय बालक मयंक मेवाड़ा को कमरे में बंद कर इतना मारा कि लगभग 2 माह के बाद भी वह गंभीर हालत में है। परिजनों का कहना है कि डॉक्टर की सलाह पर बालक को सिर्फ तरल पदार्थ ही भोजन के रूप में दिया जा सकता है। बेड रेस्ट पर होने के कारण बच्चा स्कूल जाने में भी असमर्थ है और अपनी जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ रहा है। यहां बता दें कि विगत 3 जून को पुलिस थाने में हुई रिपोर्ट के बाद आज तक कार्रवाई नहीं होने पर गंभीर रूप से घायल बच्चे मयंक को मारने वाले माहेश्वरी परिवार के दोषियों के विरुद्ध मेवाड़ा समाज के लोग बड़ी संख्या में आष्टा थाने पहुंचे और कार्रवाई की मांग की। सामाजिक लोगों का कहना है कि दोषी आज भी बेखौफ घूम रहे हैं और बालक मयंक जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहा है। समाज के लोगों ने पुलिस पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि जल्द ही पुलिस दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो पूरा मेवाड़ा समाज सड़क पर उतरेगा और पुलिस के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करेगा।
ये बोले जिम्मेदार और परिजन –
थाना प्रभारी आष्टा गिरीश दुबे ने बताया कि विगत माह मयंक मेवाड़ा नाम के बालक के साथ उसके मकान मालिक द्वारा मारपीट की गई थी, जिसमें बालक की मां और मामा द्वारा रिपोर्ट कराई गई थी, जिसमें मारपीट से संबंधित धाराओं में प्रकरण पंजीकृत किया गया था। भोपाल और इंदौर के अस्पतालों से मिली रिपोर्ट के आधार पर धारा 308 जो कि 110 बीएनएस की परिधि में आता है भी बढ़ाई गई है। मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी शेष है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। आष्टा तहसील अध्यक्ष मेवाड़ा राजपूत समाज एवं जिला पंचायत उपाध्यक्ष जीवन सिंह मंडलोई का कहना है कि आष्टा की बजरंग कॉलोनी में मेवाड़ा समाज के बालक के साथ विगत दिनों मारपीट हुई थी एवं दोषियों पर कोई कार्रवाई आज तक न होने की जानकारी मिली है। इसको लेकर थाना प्रभारी से मिलकर दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की गई है।
पीड़ित के मामा पवन मेवाड़ा का कहना है कि विगत 28 मई को बच्चों के आपसी विवाद में माहेश्वरी परिवार द्वारा मेरे भांजे मयंक को सीढ़ियों से घसीट कर ऊपर ले जाकर कमरे में बंद कर लगभग 20 मिनट तक पीटा गया। दरवाजा खटखटाने पर भी उसे नहीं छोड़ा गया। बच्चे की हालत गंभीर होने के कारण 3 जून को रिपोर्ट दर्ज कराई गई, लेकिन जब आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई तो समाजजनों को साथ लेकर आष्टा थाना आए। यदि अब भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो हमें सड़कों पर उतरकर आंदोलन के लिए एवं थाना घेराव के लिए मजबूर होना पड़ेगा।