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मप्र स्वर्णकला बोर्ड के अध्यक्ष दुर्गेश सोनी को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा

सीहोर। मध्यप्रदेश स्वर्णकला बोर्ड के अध्यक्ष एवं भाजपा नेता दुर्गेेश सोनी को मप्र शासन ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र के रेहटी निवासी दुर्गेश सोनी को स्वर्णकला बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया था। दुर्गेश सोनी की इस नियुक्ति पर समस्त सोनी समाज में हर्ष भी व्याप्त है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा घोषणा की गई थी कि मध्यप्रदेश में स्वर्णकला बोर्ड का गठन किया जाएगा। मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने स्वर्णकला बोर्ड का गठन किया है। देश के इस तरह केे पहले बोर्ड के अध्यक्ष का तमगा भी सीहोेर जिले को मिला है। जिले की रेहटी तहसील के निवासी दुर्गेेश सोनी इस बोर्ड के पहले अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। अब मप्र शासन ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया है।

बुधनी विधानसभा को मिला दूसरा कैबिनेट मंत्री-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में यूं तो बुधनी विधानसभा के कई भाजपा नेताओं को कैबिनेेट मंत्री का दर्जा मिलता रहा है। शिवराज सिंह चौहान के 2005 से मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके 2008 एवं 2013 के मुख्यमंत्रित्तकाल में बुधनी विधानसभा से 18-19 भाजपा नेताओें को लालबत्ती से नवाजा गया। बुधनी, रेहटी, नसरूल्लागंज सहित कई अन्य स्थानों के भाजपा नेताओं को विभिन्न निगम-मंडल, आयोगों एवं बोेर्डों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य नियुक्त किया गया। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद जब प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनी और फिर से जब सरकार का तख्तापलट हुआ तो स्थितियां भी बदल गईं। इस बार सीएम शिवराज के मुख्यमंत्रित्वकाल में बुधनी विधानसभा के नेताओें को ज्यादा जगह नहीं मिल पाई। इस बार सिंधिया खेमे एवं कांग्रेस से आयातित नेताओें को विभिन्न निगम-मंडलों, बोेर्डों में एडजस्ट किया गया। इस बार बुधनी विधानसभा से पहले आदिवासी नेत्री निर्मला बारेला को मप्र अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था और अब भाजपा नेता दुर्गेेश सोनी को स्वर्णकला बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। इस बार बुधनी विधानसभा के हिस्सेे में दो कैबिनेट मंत्री ही मिल सके। हालांकि अब मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा हुआ है। ऐसे मेें उम्मीदें पाले हुए नेताओं को मन मसोेड़कर बैठना पड़ रहा है।

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