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माई के लालों ने फिर दिखाया सीएम शिवराज सिंह को आईना, करणी सेना की चेतावनी- आंदोलन को हलके में न ले सरकार

भोपाल-सीहोर। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रविवार को करणी सेना परिवार और सर्व समाज ने एकत्रित होकर एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश सरकार को आईना दिखाया है। करणी सेना ने चेतावनी भी दी है कि सरकार आंदोलन को हल्के में न लें। यदि सरकार ने उनकी मांगों पर अमल नहीं किया तोे इसका नतीजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। यहां बता दें कि 2018 के चुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक बयान के बाद माई के लालों ने भाजपा एवं शिवराज सिंह चौहान को जमीन दिखा दी थी। इसका असर यह हुआ था कि भाजपा को सरकार गंवानी पड़ी। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मेहरबानी से भाजपा सत्ता पर काबिज हुई। अब एक बार फिर से इन्हीं माई के लालों ने अपनी मांगों को लेकर भोपाल में एकत्रित होकर प्रदर्शन किया। इधर प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सीहोर तरफ से बड़ी संख्या मेें वाहनोें का काफिला निकला, जिसके कारण कुबेरेश्वर धाम सहित कई सड़क मार्गों पर जाम की स्थिति बनी रही।
भोपाल मेें हुए आंदोलन में शामिल हुए करणी सेना के ईश्वर सिंह ठाकुर ने चेतावनी दी है कि आंदोलन को सरकार हलके में न ले। यह आंदोलन आर्थिक आधार पर आरक्षण, एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव, स्वामीनाथन कमेटी के आधार पर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, गाय को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिलाने जैसे 21 सूत्रीय मांगों को लेकर किया जा रहा है। वाहनों के साथ आने-जाने का सिलसिला लगातार लगा रहा, जिससे कुबेरेश्वरधाम सहित अन्य स्थानों पर जाम लगा रहा। रविवार को सुबह से ही जिले के विभिन्न मार्गों से सर्व समाज और करणी सेना परिवार के हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। इस मौके पर करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुरा सहित अन्य ने अपनी बात सरकार के सामने रखी।
ये हैं प्रमुख मांगें-
– आरक्षण का आधार आर्थिक किया जाए, ताकि समाज के हर वर्ग के गरीबों को आरक्षण का लाभ मिल सके।
– एक बार आरक्षण मिलने पर दोबारा आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए।
– एससी, एसटी एक्ट में बिना जांच के गिरफ्तारी पर रोक लगे।
– एससी, एसटी एक्ट की तर्ज पर सामान्य-पिछड़ा एक्ट बने जो सामान्य पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा करे व कानूनी-सहायता प्रदान करे।
– ईडब्लूयएस आरक्षण में भूमि व मकान की बाध्यता समाप्त कर 8 लाख की वार्षिक आय को ही आधार मानकर आरक्षण का लाभ दिया जाए।
– सभी भर्तियों में ईडब्लूयएस के छात्रों को उम्र सीमा में छूट एवं छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाए।
– वर्तमान में प्रक्रियाधीन शिक्षक भर्ती वर्ष 2018 में प्रथम काउंसलिंग के पश्चात् शेष बचे हुए ईडब्लूयएस वर्ग के समस्त पदों को द्वितीय काउंसलिंग या शिक्षा विभाग की वर्तमान नियोजन प्रक्रिया में समस्त पदों के साथ ईडब्लूयएस वर्ग के पात्र अभ्यर्थियों से भरा जाए।
– ईडब्लूयएस के रिक्त पदों को इसी वर्ग से भरा जाए।
– प्राथमिक शिक्षक भर्ती वर्ग 3 के पदों में 51 हजार पदों पर न्यायसंगत रोस्टर के साथ भर्ती की जाए व माध्यमिक शिक्षक वर्ग 2 के वंचित विषयों जैसे मातृभाषा हिन्दी, सा. विज्ञान, विज्ञान के विषय में पदों में वृद्धि की जाए।
– भर्ती कानून बनाए जाए (प्रत्येक वर्ष नियमित भर्ती निकाल जाए) व्यापमं के 1 लाख पदों एसआई, पटवारी, अन्य विभागों में शीघ्र भर्ती की जाए एवं भर्ती नहीं होने पर बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाए।
– एमपीपीएससी की 2019, 20, 21 की भर्तियां संवैधानिक रूप से पूर्ण करो व ओबीसी आरक्षण मुद्दा हल करो। केन्द्र और राज्य की आने वाले सभी भर्तियों में सभी वर्गों को 3 वर्ष की अतिरिक्त छूट दी जाए। राज्य सरकार द्वारा दी गई 3 वर्ष की छूट की समयावधि 1 वर्ष से बढ़ाकर 2 वर्ष की जाए।
– अतिथि शिक्षकों, रोजगार सहायकों व कोरोना काल में सेवा देने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित नियुक्ति प्रदान की जाए।
– किसानों के हित में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का लागू किया जाए, ताकि किसानों को उपज का सही मूल्य मिल सके व रासायनिक खादों की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाया जाए।
– रोजड़ा (घोड़ा रोज) से प्रदेश के कई क्षेत्रों के किसान परेशान हैं। इसमें निजात दिलाने के लिए उचित कार्य योजना बनाई जाए।
– खाद्यान्न (रोजमर्रा की चीजें ) सहित बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाई जाए।
– क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास में छेड़छाड़ को तुरंत रोका जाए। इतिहास संरक्षण समिति बने, ताकि समाज में आपसी सामंजस्य बना रहे।
– सवर्ण आयोग की कार्यप्रणाली में सुधारकर उसे क्रियाशील बनाया जाए।
– राज्य कर्मचारी आयोग की सिफारिश जिसमें कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 65 वर्ष करने को कहा गया है, किसी भी परिस्थिति में अब कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु नहीं बढ़ाई जाए।
– गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए व सरकार गौशालाओं के स्तर में सुधार करें एवं गोबर व गौमूत्र को सरकारी स्तर पर खरीदने की व्यवस्था करें ताकि गौ-पालन से रोजगार के अवसर भी बढ़े।
– पद्मावत फिल्म के विरोध में दर्ज प्रकरण वापस लिए जाएं।
– मध्यप्रदेश की भर्तियों में यहां के युवाओं को प्राथमिकता दी जाए अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों का कोटा सीमित हो।
– कर्मचारियों को दी जा रही पदोन्नति के साथ उन्हें उसके साथ अधिकार व सुविधा भी दी जाए। कर्मचारियों की पेंशन पुनः चालू की जाए।
– पुलिस विभाग में आरक्षकों की वेतन विसंगति को दूर कर 2400 ग्रेड पे लागू की जाए।
– सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली में सुधार कर शिक्षा का स्तर प्रायवेट स्कूलों की भांति किया जाए, ताकि छात्र प्रायवेट स्कूलों की तरफ ना भागे व प्रायवेट स्कूलों की फीस पर नियंत्रण रखने हेतु एक कमेटी बनाई जाए।

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