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नवरात्रि विशेष: सजा सुनाने खुद बैठीं ‘मां भगवती’ पंडाल में बना ‘न्यायालय’ दे रहा कड़ा संदेश

सीहोर। शारदेय नवरात्रि के पावन अवसर पर जहां एक ओर भक्ति और शक्ति का सैलाब उमड़ रहा है, वहीं इछावर नगर में एक दुर्गा पंडाल ने सामाजिक न्याय की ऐसी आवाज उठाई है, जो सीधे लोगों के दिलों को छू रही है। यहां पंडाल को एक कोर्ट रूम का रूप दिया गया है, जिसे नाम दिया गया है ‘मां भगवती का न्यायालय’।
यह झांकी दर्शकों को न सिर्फ आकर्षित कर रही है, बल्कि एक कड़ा और स्पष्ट संदेश भी दे रही है। बालिकाओं और महिलाओं से गलत काम करने वालों को तुरंत और कठोरतम सजा मिलनी चाहिए। झांकी में मां दुर्गा को स्वयं न्यायाधीश के आसन पर विराजमान दिखाया गया है। उनके न्यायालय में बालिका अत्याचार का एक काल्पनिक मुकदमा चल रहा है, जहां वकील जिरह कर रहा है। सबसे मार्मिक दृश्य यह है कि कटघरे में खड़े आरोपियों को मां भगवती के इस न्यायालय में फांसी की सजा सुनाई जा रही है।
अदालत से बच सकते हो, मां भगवती से नहीं
मां बिजासन दुर्गा उत्सव समिति के सदस्य जो विगत 27 वर्षों से भव्य आयोजन कर रहे हैं ने इस थीम के पीछे का उद्देश्य साफ किया। समिति के सदस्य हृदेश मेवाड़ा ने कहा कि आज देश में लव जिहाद और बालिका अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं और ऐसे मामलों में त्वरित न्याय होना चाहिए। समिति का स्पष्ट मत है कि कोई भी अपराधी कानूनी अदालत से शायद बच जाए, लेकिन मां भगवती के दरबार से कोई नहीं बच सकता। यहां हर कर्म का इंसाफ मिलता है।

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