नई दिल्ली। देश की राजधानी में 9 और 10 सितंबर को आयोजित होने वाली जी—20 बैठक में मेहमाननवाजी और सुरक्षा के लिए भारत सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को होटल आईटी मौर्या में ठहराया जाएगा। बाइडेन जिस सुइट में रुकेंगे उसका एक दिन का किराया 8 लाख रुपए प्रतिदिन है। बाइडेन के साथ 400 लोगों का लाव लश्कर भी आ रहा है। उनकी सुरक्षा टीमेंं पहले ही दिल्ली पहुंच चुकी हैं। बाइडेन 7 सितंबर को भारत पहुंचेंगे। इधर ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक शांगरी ला होटल में रुकेंगे।
4064 करोड रुपए खर्च
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने अब तक जी-20 के लिए 4,064 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। सचदेवा ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस सुरक्षा पर 340 करोड़ रुपये और डीडीए सौंदर्यीकरण पर 18 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने 60 करोड़ रुपये का खर्च किया है।
राजधानी को दुल्हन की तरह सजाया
भारत जी20 की तैयारियों में व्यस्त हैं। राजधानी दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है। दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में जी20 के मेहमान जुटने वाले हैं। सम्मेलन के महा आयोजन को लेकर दो दिनों तक दिल्ली में कई प्रतिबंद्ध लगाए गए हैं। जी20 को लेकर दिल्ली में कई सेवाओं, रेल, मेट्रो, बस, ऑफिस, बाजार बंद रहेंगे।
आखिर क्या है जी—20
दुनिया के 20 ताकतवर देशों के मिलकर बनाए गए इस जी20 का ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसके सदस्य देशों के पास मिलाकर दुनिया की 80 फीसदी जीडीपी हैं। दुनिया की 60 फीसदी आबादी इन देशों के पास है और 75 फीसदी ग्लोबल ट्रेन जी20 देशों के पास हैं। दुनिया के कुल उत्पादन में जी20 देशों की हिस्सेदारी 85 फीसदी की है। जाहिर है कि जब भारत की जमीन पर दुनिया की महाशक्तियों का मिलन होगा तो मेजबान देश को इसका फायदा होगा। भारत के लिए ये लम्हा ऐतिहासिक होने वाला है।
मजबूत होगी बैंड इंडिया की इमेज
|जी20 समिट से ब्रैंड इंडिया’ का इमेज और मजबूत होगा। जी20 की मेजबानी का भारत को फायदा होगा। जी20 के मंच पर आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वस्थ्य, शिक्षा, कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी। इसे सरल शब्दों में समझने की कोशिश करें तो जी20 बैठक के दौरान दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के साथ-साथ उसे बढ़ावा देने पर चर्चा होती है। भारत को आर्थिक मजबूती मिलेगी तो देशों में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होगें।