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बेटे की हत्या को पुलिस ने बताया ‘हादसा’ न्याय की गुहार लेकर कलेक्ट्रेट में बैठा परिवार

परिजनों का आरोप, हत्यारोपियों को बचाने के लिए पुलिस ने बदली कहानी, निष्पक्ष जांच की मांग

सीहोर। मेरे बेटे की हत्या की गई है, उसके गले और शरीर पर चोट के निशान चीख-चीख कर गवाही दे रहे हैं, लेकिन पुलिस दोषियों को बचाने के लिए इसे साधारण दुर्घटना का रूप दे रही है। यह फरियाद लेकर मंगलवार को कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम बिजलोन निवासी एक पीडि़त परिवार कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में पहुंचा। हाथ में मृतक बेटे की तस्वीर और आंखों में इंसाफ की उम्मीद लिए माता-पिता, भाई और बहनें घंटों कलेक्ट्रेट परिसर में बैठे रहे। परिजनों ने पुलिस प्रशासन पर आरोपियों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रियल जांच की मांग की है।
मृतक सचिन 22 वर्ष के पिता लीला किशन और माता देवकी बाई ने बताया कि सचिन मजदूरी और हम्माली कर अपने परिवार और तीन बहनों का भरण पोषण करता था। परिजनों के अनुसार बीती 15 नवंबर को गांव के ही रजत त्यागी, सतीश, कौशल, राधेश्याम और अज्जू कुशवाहा उसे बरखेड़ी स्थित एक खेत में मिनी ट्रक में मेथी लोड करने की बात कहकर अपने साथ ले गए थे। उसी दिन दोपहर में सूचना मिली कि सचिन गाड़ी से गिर गया है।
चोट के निशान
मृतक की मां का आरोप है कि सचिन के गले और शरीर पर संघर्ष के निशान थे, जो गिरने से नहीं बल्कि झगड़े और हमले की ओर इशारा कर रहे थे। उन्होंने कहा मैंने पुलिस को शव ले जाने से मना किया था, लेकिन पुलिस जबरन उसे अस्पताल ले गई जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का दावा है कि कोतवाली थाने के चक्कर काटने के बावजूद पुलिस ने उनकी हत्या की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया और मामले को महज एक ‘रोड एक्सीडेंट’ की फाइल में बंद करने की कोशिश की जा रही है।
जनसुनवाई में कलेक्टर बालागुरु के. ने आवेदन को गंभीरता से लेते हुए उसे पुलिस अधीक्षक की ओर भेजा। आक्रोशित पिता ने चेतावनी दी है कि यदि उनके बेटे के हत्यारों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया तो वे अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या करने को मजबूर होंगे। ज्ञापन सौंपने के दौरान कमलसिंह, राजू, मनोहर, देवेंद्र, ओमप्रकाश आदि मौजूद रहे।

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