विश्व आदिवासी दिवस पर निकाली रैली, पारंपरिक वेशभूषा में हुए शामिल
- सीहोर जिला मुख्यालय सहित जिलेभर में हुए आदिवासी दिवस पर आयोजन

सीहोर। जिला मुख्यालय सहित जिलेभर में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा पहनकर रैली निकाली। इस दौरान जगह-जगह उनका स्वागत, सम्मान भी हुआ। सीहोर में नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर द्वारा सीवन नदी के पास टंट्या मामा की प्रतिमा लगाने की घोषणा भी की गई। इससे पहले सीहोर के बाल विहार ग्राउंड पर आमसभा हुई और यहां से महारैली की षुरूआत हुई। रैली नगर के कई मार्गों से होकर गुजरी। इस दौरान उनका स्वागत, सम्मान भी किया गया।
पारंपरिक अंदाज में शामिल हुए आदिवासी-
जिला मुख्यालय पर अलग-अलग गांवों से पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा पहनकर हाथ में सजी-धजी रंगबिरंगी तीर कमान, महिलाएं नाटी पहने हाथ में फालिया, कमर पर गोफन बांधकर, सिर पर लाल साफा, आदिवासी युवक अपने गलों में पीला गमझा डालकर आदिवासी लोकनृत्य करते हुए महारैली में षामिल हुए। रैली शहर के नदी चैराहा, गंगा आश्रम, बस स्टैंड होते हुए भोपाल नाका पहुंचीं, जहां सांस्कृतिक महारैली का समापन किया गया। कार्यक्रम के दौरान अतिथि के रूप में पहुंचे नगर पालिका अध्यक्ष विकास पिं्रस राठौर, उपाध्यक्ष विपिन सास्ता ने सीवन नदी के पास क्रांतिकारी टंट्îा मामा की प्रतिमा लगाने और समाज की धर्मशाला निर्माण के लिए भूमि का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजने की भी घोषणा की। आदिवासियों का यह विशाल जनसैलाब देखने लायक था। भारी संख्या के बाद भी रैली अनुशासनात्मक थी। सांस्कृतिक महारैली का जगह-जगह स्वागत किया गया। सर्वप्रथम समाज के बुजुर्ग ड्हालो द्वारा ज्वार, नीम के पत्ते, पानी, हल्दी से प्राकृतिक पूजा अर्चना कर मां प्रकृति तथा पुरखों को आमंत्रित किया गया। इसके बाद सामाजिक व वैचारिक आमसभा का आयोजन किया गया। आमसभा में कई बौद्धिक वक्ताओं ने अपना उद्बोधन दिया। उद्बोधन में जल जंगल जमीन, बोली भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज, संवैधानिक अधिकार, शिक्षा स्वास्थ्य, स्वरोजगार, पारंपरिक रूढ़िवादी ग्राम सभा, अनुसूचित क्षेत्र, पेसा कानून, धर्मांतरण, जनगणना, बेरोजगारी, पलायन, समाज के लिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका आदि विषयों पर निर्भीक निडर और खुलकर वक्तव्य दिया गया।
से बोले वक्ता-
सर्व आदिवासी समाज जिलाध्यक्ष रवि सोलंकी ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि आदिवासी समाज के मान्य अधिकारों का संरक्षण हो, उनके जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा के अधिकार सुरक्षित रहें तथा अस्मिता, आत्मसम्मान, कला संस्कृति, अस्तित्व व इतिहास कायम रहे एवं शिक्षा आदि का प्रचार-प्रसार हो। संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश भारत भी है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार विश्व में 47.6 करोड़ से अधिक आदिवासी लोग जो 90 देशों में रहते हैं। 5 हजार विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, विश्व की 7 हजार भाषाओं में से अधिकतम भाषाएं बोलते हैं। विशाल आमसभा को संबोधित करते हुए समाजजनों ने कहा कि चाहे कोई भी सरकार हो आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जल, जंगल, जमीन के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है। आदिवासी समाज पर दिन प्रतिदिन शोषण और अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है, इसलिए अब वक्त है स्वयं का नेतृत्व खड़ा किया जाए। सभा को प्रोफेसर ओमप्रकाश धुर्वे गंजबसौदा, एडीए प्रहलाद सस्त्या राजगढ़, सीताराम सरेआम रिटायर्ड एडिशनल एसपी, निर्मला सुनील बारेला अध्यक्ष आदिवासी वित्त निगम, प्रेमा धुर्वे भोपाल, विपिन सास्ता नगरपालिका उपाध्यक्ष सीहोर, शैलेश शैल्य कवि, जिला मीडिया प्रभारी बालाघाट, प्रोफेसर रामनारायण रामभगत, कुमारी कृष्णा सूर्यवंशी, लक्ष्मण कर्मा जिला पंचायत सदस्य, इंदरसिंह पटेल, कमल कीर, कमलेश दोहरे ने संबोधित किया। इधर जिले के भैरूंदा सहित अन्य स्थानों पर भी आदिवासी समुदाय द्वारा रैली निकालकर आदिवासी दिवस मनाया गया।