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आष्टा में ’बगाना’ की बगावत, नहीं चल रही ’इंजीनियर’ की इंजीनियरिंग, कमल सिंह चौहान की भी खिलाफत

सुमित शर्मा, सीहोर।
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विधानसभा चुनाव में सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से टिकट के प्रबल दावेदारों में शुमार वरिष्ठ नेता कैलाश बगाना की बगावत अब सार्वजनिक तौर पर भी सामने आ गई है। उन्होंने बड़ी साफगोई से भाजपा प्रत्याशी इंजीनियर गोपाल सिंह को लेकर अपनी खिलाफत की है। उन्होंने कहा है कि भाजपा ने एक कांग्रेसी मानसिकता के प्रत्याशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले भाजपा ने उनकी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया और फिर सामान्य सीट पर इंजीनियर गोपाल सिंह को भी अध्यक्ष बनाया गया है। इससे सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों का हक मारा गया है। उनके भाजपा में आने से ऐसा क्या मिल गया है। इंजीनियर गोपाल सिंह के खिलाफ मोर्चा विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय ने भी खोल दिया है। वे जितने दुखी खुद की टिकट कटने सेे नहीं दिखाई दे रहे हैं उससे ज्यादा दुखी इंजीनियर गोपाल सिंह का टिकट होने से दिखाई दे रहे हैं। टिकट फाइनल होने के बाद विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय ने भी अपने समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करके आगामी रणनीति तैयार की है। रघुनाथ सिंह मालवीय भी दूसरी बार टिकट की प्रबल दावेदारी जता रहे थे। उन्हें विश्वास भी था कि पार्टी एवं संगठन उनके नाम पर फिर सेे विचार करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अन्य भाजपा नेता जो टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे थेे, उन्होेंने भी इंजीनियर गोपाल सिंह को लेकर मोर्चा खोल रखा है। अब इस स्थिति के बाद इंजीनियर गोपाल सिंह की इंजीनियरिंग भी इस विरोध कोे शांत करनेे में काम नहीं आ रही है। हालांकि अब तक वे अपनी राजनीतिक इंजीनियरिंग को ठीकठाक तरीकेे से मैनेज किए हुए थे, लेकिन इस बार इंजीनियर गोपाल सिंह की इंजीनियरिंग असफल साबित हो रही है। दरअसल इंजीनियर गोपाल सिंह वर्ष 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन थामा। इसके बाद उनकी पत्नी एवं जिला पंचायत सदस्य कृष्णा मालवीय को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया गया। चुनाव के बाद सामान्य उम्मीदवार की सीट पर इंजीनियर गोपाल सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया और अब उन्हें विधानसभा का टिकट भी दे दिया गया। इससे भाजपा नेताओें ने खिलाफत कर दी है।

कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह चौहान की भी खिलाफत-
इधर कांग्रेस के ’आयातित’ प्रत्याशी कमल सिंह चौहान को लेकर भी कांग्रेस के अंदर विरोध के स्वर उठ रहे हैं। कमल सिंह चौहान को लेकर किसान कांग्रेस के प्रदेश सचिव एवं एडवोकेट मनोहर सिंह पंडितिया ने विरोध जताते हुए पार्टी के प्रदेश आलाकमान से टिकट बदलने की भी मांग उठाई है। इसके साथ ही उन्होंने भी रणनीति तैयार की है कि यदि पार्टी कमल सिंह चौहान का टिकट नहीं बदलेगी तो वे निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं। कमल सिंह चौहान आष्टा की प्रजातांत्रित समाधान पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। आष्टा से टिकट के दावेदार कांग्रेस नेता दावा कर रहे हैं कि आष्टा विधानसभा रिज़र्व सीट पर चुनाव में कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी बनाने का आश्वासन प्रदेश आलाकमान द्वारा दिया गया। वे कह रहे हैं कि उन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी की सेवा की है। फील्ड में जाकर काम किया, दो माह तक योजना के लिए रथ बनाकर गांव-गांव प्रचार किया। सर्वाधिक 20 हज़ार महिला सम्मान के फॉर्म भरे। चारों सर्वे में नाम भी आया और अंत में कुछ समय पहले कांग्रेस में शामिल हुए व्यक्ति को पार्टी ने टिकिट दे दिया। दरअसल कमल सिंह चौहान आष्टा की प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। वर्ष 1998 के बाद से आष्टा में प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी का उदय हुआ। आष्टा तहसील के ग्राम हाकिमाबाद के नेता फूलसिंह चौहान ने अपने साथियों के साथ इस पार्टी का गठन किया था। 1998 एवं 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद 2004 में इस दल के संस्थापक अध्यक्ष फूलसिंह चौहान का निधन हो गया। उसके बाद इस दल की कमान इनके भाई कमल सिंह चौहान ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर संभाली और उसके बाद 2008, 2013, 2018 के चुनाव में कमलसिंह चौहान चुनाव लड़े और मुकाबले को हर बार त्रिकोणीय बनाने में सफल रहे। इस बार उन्हें कांग्रेस ने टिकट देकर मैदान में उतारा है। कांग्रेस के इस फैसले से नाराज़ वरिष्ठ कांग्रेसियों ने ग्राम डोडी में एकत्रित होकर पार्टी के इस फैसले का विरोध करते हुए नाराज़गी जाहिर की है। पार्टी से टिकट मांग रहे एडवोकेट मनोहर सिंह पंडितिया विगत दिनों कांग्रेस से प्रत्याशी घोषित किए गए कमल सिंह चौहान के चुनावी कार्यालय के शुभारंभ अवसर पर नहीं पहुंचे। कांग्रेस में बगावत का संदेश है कि अभी भी यदि कमल सिंह चौहान का टिकट नहीं बदला गया तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

कांग्रेस का धुल सकता है कलंक-
आष्टा विधानसभा सीट से कांग्रेस की हार का कलंक इस बार धुल सकता है। आष्टा विधानसभा सीट पर वर्ष 1977 से 2018 तक हुए 10 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार ही जीत का स्वाद चख पाई है। वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजीत सिंह ने कांग्रेस कोे विजयी दिलाई थी। इसके बाद से कांग्रेस यहां पर कभी नहीं जीती। इस बार कांग्रेस आष्टा विधानसभा सीट पर जीत का स्वाद चखने के लिए लालायित है और इसके लिए पार्टी ने पहले से ही रणनीति भी तय की। इस बार कांग्रेस का खेेल बिगाड़ने वाले प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी के कमल सिंह चौहान खुद कांग्रेस से प्रत्याशी है। ऐसे में उनकी जीत की संभावनाएं कुछ हद तक तोे नजर आती है, लेकिन अंदरखाने की बगावत कहीं खेल न बिगाड़ दे।

इतने मतदाता हैं आष्टा विधानसभा में-

Sehore district wise Assembly Constituencies Madhya Pradesh Election map 2018

आष्टा विधानसभा में कुल 2,77,070 मतदाता हैं। इनमें 1,43,156 पुरूष मतदाता, 1,33,912 महिला मतदाता और 2 अन्य मतदाता शामिल हैं। इसी प्रकार जेंडर रेशो 935, इपी रेशो 6308, पीडब्ल्यूडी मतदाता 5071 तथा 18 से 19 वर्ष के 13864 मतदाता हैं। 80 वर्ष से अधिक आयु के 5182 मतदाता हैं। यह रिजर्व सीट है। यह पर एससी-एसटी मतदाताओें का बाहुल्य है। इसके अलावा मेवाड़ा, खाती, ब्राह्म्ण समाज का भी अच्छा खासा वोट बैैंक हैं।

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