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सीहोर : नेशनल लोक अदालत में हुआ 2162 प्रकरणों का निराकरण, 6 करोड़ से ज्यादा जमा हुई समझौता राशि

अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी एक-दूसरे को फूलमाला पहनाकर खुशी-खुशी घर लौटे

सीहोर। जिले में जिला एवं तहसील स्तर पर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ प्रधान जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रकाशचंद्र आर्य ने किया। लोक अदालत में 2162 प्रकरणों का निराकरण किया गया एवं समझौता राशि 6 करोड़ 65 लाख 52 हजार 808 रूपए जमा हुई। इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा प्रारंभ की गई अनूठी पहल ’एक कदम जागरूकता की ओर’ के संबंध में तैयार शॉर्ट वीडियो दिखाया गया। इस पहल से प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न कानूनी विषयों को सम्मिलित करते हुए आमजन को सरल भाषा में समझ योग्य माध्यम से जानकारी प्रदान की जाएगी। प्रधान जिला न्यायाधीश श्री आर्य ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सुसज्जित फ्रंट ऑफिस का लोकार्पण भी किया। इस फ्रंट ऑफिस में आने वाले पक्षकारों को विधिक सहायता, योजनाओं की जानकारी एवं सकारात्मक वातावरण निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश प्रकाश चंद्र आर्य ने कहा कि लोक अदालत से पक्षकारों के साथ अधिवक्ताओं एवं न्यायिक अधिकारियों को भी परम शांति की अनुभूति होती है, क्योंकि इससे एक प्रकरण नहीं, बल्कि एक विवाद हमेशा के लिए निराकृत हो जाता है एवं पक्षकारों के बीच आपसी स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित होते हैं। यही लोक अदालत की सबसे सुंदर बात है। उन्होंने कहा कि हमें हर योजना को उसके मूर्तरूप में लागू कर आमजन को लाभान्वित करना चाहिए। आमजन को सस्ता, सरल और सुलभ न्याय दिलाने का लोक अदालत एक प्रभावी स्थान है, जो वर्तमान समय में समाज के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों के त्वरित निराकरण से पक्षकारों का न्यायिक प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ता है, जिससे और अधिक न्याय प्राप्ति के लिए इच्छुक पक्षकार अपने विवाद लेकर न्यायालय के समक्ष आने के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया। इसके साथ ही उन्होंने न्यायालय परिसर में लगाए गए बैंक, नगर पालिका, विद्युत मंडल आदि के स्टॉलों का निरीक्षण किया और लोक अदालत में आए नागरिकों की समस्याएं सुनकर संबंधितों निराकरण के निर्देश दिए।
कुल 2162 प्रकरणों का किया गया निराकरण-
सीहोर जिले में आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल 2162 प्रकरणों का निराकरण किया गया एवं समझौता राशि 6 करोड़ 65 लाख 52 हजार 808 रूपए जमा हुए हैं। नेशनल लोक अदालत में आपसी समझौते के आधार पर निराकरण कराए जाने के लिए न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम में लंबित 818 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 598 प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामा के आधार पर हुआ एवं समझौता राशि 5 करोड़ 11 लाख 64 हजार 334 रुपए जमा कराई गई। इसी प्रकार नेशनल लोक अदालत की खंडपीठ के समक्ष कुल 14,340 प्रीलिटिगेशन प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 1564 प्रकरणों का निराकरण हुआ एवं समझौता राशि 1 करोड़ 53 लाख 88 हजार 474 रुपए जमा कराई गई।
यह रहे उपस्थित-
नेशनल लोक अदालत के अवसर पर प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय वैभव मंडलोई, विशेष न्यायाधीश हेमंत जोशी, प्रथम अपर जिला न्यायाधीश संजय गोयल, द्वितीय जिला न्यायाधीश एमके वर्मा, तृतीय जिला न्यायाधीश स्मृतासिंह ठाकुर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता गुप्ता, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव स्वप्नश्री सिंह, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राधेश्याम यादव, जिला विधिक सहायता अधिकारी जीशान खान, महाप्रबंधक विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड सुधीर शर्मा, श्रीसत्य साईं विश्वविद्यालय सीहोर से फैकल्टी सदस्य एवं आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं, एनजीओ के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, मुख्यालय सीहोर के पैनल एवं अन्य अधिवक्तागण लीगल एड डिफेंस काउंसिल्स, खंडपीठ सदस्य, विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारीगण, पक्षकारगण न्यायालयीन कर्मचारी गण, पैरालीगल वालेन्टियर्स आदि उपस्थित रहे।
अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी खुशी-खुशी घर लौटे-
नेशनल लोक अदालत में आवेदक पूजा ने अपने पति धर्मराज के खिलाफ कुटुम्ब न्यायालय सीहोर में भरण पोषण के लिए मामला प्रस्तुत किया था और उसके पति धर्मराज ने पत्नी पूजा के विरुद्ध तलाक का दावा प्रस्तुत किया था। दोनों करीब डेढ़ वर्ष से अलग-अलग रह रहे थे। इसी प्रकार दूसरे प्रकरण में आवेदक जितेन्द्र अपनी पत्नी उषा से तीन वर्ष से अलग रह रहे थे। दोनों के तीन बच्चे हैं। विवाद बहुत बढ़ गया था। इन दोनों ही प्रकरणों में पति-पत्नि के मध्य छोटी-मोटी पारिवारिक बातों को लेकर वह अलग-अलग रहने लगे जो कि विवाद में परिवर्तित होकर अलगाव की स्थिति निर्मित हो गई। इन प्रकरणों में पारिवारिक मामला तथा भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए न्यायालय वैभव मंडलोई एवं प्रधान न्यायाधीश द्वारा लोक अदालत में समझाईश के पश्चात् दोनों पक्षों ने राजीनामा कर साथ जाने पर सहमति व्यक्त की। राजीनामा करने वाले सभी पक्षकारों को फूल माला पहनाकर खुशी-खुशी घर के लिए विदा किया गया। इसी प्रकार नेशनल लोक अदालत में दीपेन्द्र मालू के लंबित आपराधिक प्रकरणों में आरोपी एवं फरियादी दोनों का एक-दूसरे पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हुआ था। दोनों प्रकरण के आरोपी एवं फरियादी को समझाईश दी गई पर वह किसी भी स्थिति में राजीनामा के लिए तैयार नहीं थे। प्रधान जिला न्यायाधीश को जब यह जानकारी मिली तो उनके द्वारा पक्षकारों को बुलाकर व्यक्तिगत रूप से समझाईश दी गई एवं एक पक्षकार जो कि छोटा भाई एवं भतीजा था उसका बड़े भाई एवं काका के मध्य समझाईश के माध्यम से समझौता कराया गया।

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