सीहोर: पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्रधाम में गुरु पूर्णिमा पर होगा दीक्षा समारोह
सीहोर के होटल, धर्मशाला और लॉज फुल, लाखों श्रद्धालु होंगे दीक्षा समारोह में शामिल

सीहोर। भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्यधिक सम्मानित स्थान प्राप्त है। भारतीय इतिहास पर नज़र डाले तो उसमें गुरु की भूमिका समाज को सुधार की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक के रूप में होने के साथ क्रान्ति को दिशा दिखाने वाली भी रही है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है। भक्ति कभी समाप्त नहीं होना चाहिए, मनुष्य की इच्छा और आकांक्षा कभी समाप्त नहीं होना चाहिए। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी श्रीगुरु श्रीशिव महापुराण के अंतिम दिन भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिव महापुराण का श्रवण किया। इधर गुरूपूर्णिमा के अवसर पर कुबेरेश्वर धाम में दीक्षा समारोह का आयोजन भी किया गया है। इसमेें शामिल होने के लिए देशभर सेे भक्त आए हैं। इसकेे कारण सीहोर नगर केे सभी होटल, लॉज सहित धर्मशालाएं पूरी तरह पैक हो गईं हैं।
शिष्य को गुरु पर हमेश विश्वास होना चाहिए-
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि हमारी संस्कृति में हमेशा से गुरु-शिष्य के संबंध को बहुत अहम माना गया है। आध्यात्मिक पथ पर ऐसा क्या ख़ास है कि साधक को एक अनुभवी या आत्मज्ञानी गुरु की ज़रूरत होती है और क्या एक साधक को अपने गुरु के ऊपर पूरा भरोसा होना जरुरी है।
आज किया जाएगा भव्य दीक्षा समारोह-
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि बुधवार को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भव्य गुरु दीक्षा समारोह का आयोजन किया जाएगा। कुबेरेश्वरधाम पर पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा यहां पर बने भव्य पंडाल से शिष्यों को सुबह नौ बजे से दीक्षा दी जाएगी, इसके अलावा दोपहर में एक बजे से समारोह का लाइव प्रसारण किया जाएगा। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भव्य भंडारे के अलावा आधा दर्जन से अधिक पंडाल लगाए गए हैं। दीक्षा समारोह में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आने का क्रम शुरू हो गया है। इसके कारण पूरा शहर सहित आस-पास का क्षेत्र भगवान शिव की नगरी में तब्दील हो गया है। सीहोेर के सभी होटल, लॉज एवं धर्मशालाएं पूरी तरह से पैैक हो गईं हैं। कई सामाजिक संगठनोें ने भी अपनेे-अपने समाजों की धर्मशालाओें कोे भक्तोें के लिए खोल दिया है।
प्रशासन के अधिकारी एवं जवान रहेंगे तैनात-
चितावलिया हेमा स्थित कुबेरेश्वर धाम, जहां सीहोर और आष्टा की तरफ से श्रद्धालु पहुंचेंगे। इस दौरान वाहनों की आवाजाही ज्यादा रहेगी। ऐसे में दुर्घटनाएं न हो इसके लिए यातायात पुलिस ने चितावलिया हेमा जोड़ के दोनों तरफ की सड़क को वन-वे कर करने का फैसला लिया है। फोरलेन के एक हिस्से पर सिर्फ श्रद्धालु ही आ-जा सकेंगे और दूसरी तरफ से आम लोग आ जा सकेंगे। इसके लिए पुलिस विभाग और यातायात विभाग के करीब 150 से अधिक जवानों को वन वे पर तैनात किया जाएगा। इसके अलावा समिति के द्वारा भी व्यवस्था में सहयोग दिया जा रहा है। आटो और वाहनों के लिए अलग स्टैंड की व्यवस्था भी की गई है। जिला प्रशासन के भी अधिकारियोें कोे यहां पर तैैनात किया गया है, ताकि व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहे।
सावन माह में 16 जुलाई से शिव महापुराण की कथा-
जानकारी के अनुसार सावन माह में आगामी 16 जुलाई से जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा के द्वारा ऑनलाइन आयोजन किया जाएगा। इस दौरान शिव महापुराण की कथा का श्रवण भी कराया जाएगा।
गीता भवन में होगा गुरू पूर्णिमा पर आयोजन-
गुरु पूर्णिमा महोत्सव के मौके पर सीहोर में बुधवार को कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। शहर के गीता भवन पर यशोदानंदन समिति के सदस्यों ने भी कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल होंगे। इसके साथ ही गुरु दीक्षा का आयोजन भी किया जाएगा। विश्व धर्म संसद के प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर अजय पुरोहित लोगों को गुरु मंत्र देकर शिष्य बनाएंगे। इसके साथ ही गायत्री परिवार, गायत्री शक्ति पीठ के तत्वावधान में सुबह से ही कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे।
गुरु पूर्णिमा पर श्री महंत नारायण दास जी के शिष्य बनेंगे महेश दास-
सीहोर के प्राचीन राधेश्याम मंदिर गल्ला मंडी सीहोर एवं रामलला बड़ा मंदिर बढ़ियाखेड़ी के महंत एवं दोनों मंदिरों के संचालक महंत नारायण दास जी के द्वारा गुरु पूर्णिमा के अवसर पर महेश दास जो कि लगभग 10 वर्षों से राधेश्याम मंदिर गल्ला मंडी सीहोर में रहकर भगवान व महंत नरसिंह दास जी के शिष्य महंत नारायण दास जी की सेवा कर रहे हैं। महंत नारायण दास जी द्वारा 13 जुलाई 2022 दिन बुधवार को महेश दास को भद्र, नामकरण, जनेऊ, कंठी एवं तिलक, पंच संस्कार करते हुए परंपरागत साधु संत एवं ब्राह्मण एवं अन्य भक्तों के समक्ष अपना शिष्य बनाएंगे।