
सीहोर। जिले के भैरूंदा विकासखंड का लाड़कुई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इस समय आरोपों का अखाड़ा बना हुआ है। यहां पर मेडिकल आफिसर डॉ महेश पांडे एवं नर्सिंग आफिसर रीना मालवीय के बीच में दंगल चल रहा है। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। मेडिकल आफिसर डॉ महेश पांडे का आरोप है कि नर्सिंग आफिसर उनके साथ में अभद्रता करती है तो वहीं नर्सिंग आफिसर रीना मालवीय का आरोप है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। नर्सिंग आफिसर ने डॉ महेश पांडे पर आरोप लगाया है कि वे उनके साथ में अभद्रता करते हैं, उनके कमरे में आकर उन्हें यहां से जाने का कहते हैं, पागल औरत बोलते हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में डेसर नहीं है। कई बार गंभीर मरीज यहां पर इमरजेंसी में आते हैं और उन्हें ड्रेसिंग की जरूरत होती है, लेकिन डेÑसर नहीं होने से कभी स्वीपर तो कभी गार्ड उनकी ड्रेसिंग करते हैं। नर्सिंग स्टॉफ भी कई बार ड्रेसिंग करता है, लेकिन नर्सिंग स्टॉफ के पास कई काम रहते हैं। उन्हें मरीजों को देखना पड़ता है, इमरजेंसी में भी देखना पड़ता है, आईपीडी, इंजेक्शन सहित अन्य जिम्मेदारियां भी निभाना पड़ती है। ऐसे में कई बार डेÑसिंग नहीं कर पाते। नर्सिंग आफिसर रीना मालवीय ने यह भी कहा कि गंभीर मरीजों को ड्रेसिंग में कई बार लापरवाही कर दी जाती है, जिससे मरीज भी परेशान होते हैं। यदि यहां पर ड्रेसर की नियुक्ति की जाए तो यह बेहतर रहेगा। इसके लिए कई बार बोला गया है, लेकिन अब तक नियुक्ति के संबंध में कोई पहल नहीं हुई है।
डेसर की मांग की तो विवाद कर लिया-
नर्सिंग आफिसर रीना मालवीय ने कहा कि उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर डेसर की मांग की, जिस पर डॉ. महेश पांडे भड़क गए और उन्होंने उनसे ही विवाद कर लिया। डॉ. महेश पांडे ने एक आदेश भी निकालकर बोर्ड पर चस्पा कर दिया, जिसमें नर्सिंग स्टॉफ का वेतन काटने की भी बात लिखी गई है। आदेश में उन्होंने नर्सिंग स्टॉफ को डेसिंग सहित अन्य कार्य करने के लिए भी लिखा है, जबकि इनमें से ज्यादातर काम सभी नर्सिंग स्टॉफ करता है। उन्होंने कहा कि यहां पर डिलेवरी भी नर्सिंग स्टॉफ द्वारा कराई जाती है। कोई डॉक्टर नहीं आता है। इसी तरह कई बार इमरजेंसी केस आने पर डॉक्टर नहीं देखते और उन्हें सिस्टर ही रेफर कर देती है।
सामान मांगों तो कहते हैं बजट नहीं है-
लाड़कुई अस्पताल में स्थिति और भी ज्यादा गंभीर है। यहां पर नर्सिंग स्टॉफ द्वारा 6 माह से सामान की मांग की जा रही है। सामान की उपलब्धता नहीं होने से मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में पिछले 6 माह से सामान की उपलब्धता नहीं कराई जा रही है। कहा जा रहा है कि बजट नहीं है। बार-बार सामान के लिए लिख रहे हैं, लेकिन वहां से लिखकर भेज देते हैं कि बजट नहीं है। इतना ही नहीं यहां पर सिर्फ दो सफाईकर्मी है। वे 12-12 घंटे की ड्यूटी करते हैं। कई बार नर्सिंग स्टॉफ से सफाई भी कराई जाती है।
हर दिन आते हैं 200 से ज्यादा मरीज-
लाड़कुई के आसपास बड़ी संख्या में आदिवासी गांव हैं। यहां पर इलाज के लिए वे ही सबसे ज्यादा आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक दिन 200 से 250 मरीज यहां पर इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। कई बार दुर्घटना वाले गंभीर मरीज भी आते हैं, लेकिन उन्हें यहां पर इलाज नहीं मिल पाता है। डॉक्टर ज्यादातर समय अपने स्टॉफ क्वार्टर में ही मरीजों को देखते हैं, इसके लिए ओपीडी भी समय पर नहीं लगती।
नहीं उठाया प्रभारी ने फोन-
इस संबंध में चर्चा करने के लिए लाड़कुई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. महेश पांडे को उनके मोबाइल नंबर 9907207562 पर फोन लगाया, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
इनका कहना है-
लाड़कुई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का मामला संज्ञान में आया है। वहां पहुंचकर स्थिति देखी एवं डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ को निर्देशित किया गया है कि वे समय पर ओपीडी शुरू करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. मनीष सारस्वत, बीएमओ, भैरूंदा विकासखंड