एक ’बेबाक कलम’ का खामोश होना….सादर श्रद्धांजलि
सुमित शर्मा
जिसको जन्म मिला है उसकी मृत्य भी तय है… जो आया है उसे जाना भी है… ये शाश्वत सत्य भी है, लेकिन उसके बाद भी कोई इस सत्य को जानने एवं मानने को तैयार नहीं होता। बेहद कम लोग होते हैं, जोे इस सत्य कोे जान पाते हैं और अपना जीवन सदकर्मों मेें लगाते हैैं। ऐसे ही बिरले लोगों में शामिल थे वरिष्ठ पत्रकार, समाजसेवी और इन सबसे उपर एक सच्चे मां नर्मदा केे भक्त, सेवक सुरेेश जैमिनी, जिनकी बेबाक कलम अब हमेशा के लिए खामोश हो गई…। यकीन नहीं होता कि कल तक जो नर्मदा भक्त मां नर्मदा की जय-जयकार लगा रहा था… मां नर्मदा के आंचल में अपने आपको पाकर धन्य हो रहा था… अब आज मां नर्मदा के आंचल में हमेशा केे लिए समां गया। बेहद कम होते हैं ऐसे भाग्यशाली, जिनके लिए ईश्वर ने अपना द्वार खोल दिया और श्रीचरणों में स्थान दे दिया। कहा जाता है कि एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति अपने प्राण त्यागता है उसे ईश्वर अपने श्रीचरणोें में स्थान देते हैं। आदरणीय दादा ऐसे ही बिरले लोगों में शामिल थेे, जिनकी देह ने देवउठनी एकादशी पर प्राण त्यागे और उन्हें परमपिता परमात्मा ने अपने श्रीचरणोें में स्थान दिया। मैं भी अपने आपको धन्य मानता हूं कि मैं ऐसे ही बिरले व्यक्तित्व के धनी दादा के संपर्क में रहा। हालांकि उनके संपर्क मेें आए हुए अभी 2-3 साल ही हुए थे, लेकिन जब भी मिलते थे तोे ऐसा लगता था कि हमारे संबंध वर्षों पुराने हैं। उनसे मिलने पर एक अपनतत्व की भावना जाग्रत होती थी। कई बार आदरणीय दादा का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ, लेकिन कई मौकों पर उनसे अच्छी तीखी बहस भी हुई, लेकिन वह बहस सार्थक थी। मुद्दोें पर बात होती थी, बहस होती थी, लेकिन बहस खत्म होने के बाद दादा फिर अपने अंदाज में आ जाते थे। घूमने-फिरने, खिलाने के शौकीन रहे दादा कभी भी फोन करके बुला लेते थे और कहते थे कि चलो आज खाना खाने चलते हैं। हालांकि ऐसा सौभाग्य कम ही मिल पाता था, लेकिन दादा की बेबाक कलम हमेशा सिस्टम को दुरूस्त रखने में कारगर रही। बेबाक कलम जब भी चली उसकी सार्थकता भी सिद्ध हुई। चाहे अवैध कार्य होे, अवैध उत्खनन हो, भ्रष्टाचार हो हर मुद्दे पर बेबाक कलम ने अपनी ताकत दिखाई और कई मौकोें पर प्रशासन एवं सिस्टम को भी हार माननी पड़ी। अब यह बेबाक कलम हमेशा के लिए शांत हो गई, लेकिन यह कलम हमेशा अपनी बेबाकी के लिए जानी जाएगी। आदरणीय सुरेश जैमिनी दादा के परिवार को ईश्वर यह दुख सहन करने की शक्ति देे…. सादर नमन, सादर श्रद्धांजलि…