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पदम योग में इस दिन मनाया जाएगा सूर्य पर्व मकर संक्रांति

सीहोर। मकर सक्रांति को लेकर जनसाधारण में भ्रांति बनी हुई है कि 14 जनवरी को मनाए या 15 जनवरी को मनाएं। इस बारे में स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य डा पंडित गणेश शर्मा का कहना है कि 14 जनवरी शनिवार सप्तमी तिथि को सूर्य मकर राशि में रात्रि 8:45 पर प्रवेश कर रहे हैं और सूर्यास्त शाम को 5:41 पर हो रहा है। ऐसी स्थिति को लेकर काफी लोग भ्रमित हैं कि सूर्यास्त के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है तो क्या अगले दिन मकर सक्रांति मनाई जाएगी। धर्म शास्त्रों जैसे निर्णय सिंधु सागर एवं ब्राह्मण निर्णय आदि के आधार पर वचन मिलता है कि यदि सूर्य मकर राशि में प्रदोष काल के समय अथवा मध्य रात्रि के समय प्रवेश करता है तो अगले दिन मकर सक्रांति मनानी चाहिए, लेकिन सूर्य मकर राशि में प्रदोष काल एवं मध्य रात्रि में प्रवेश नहीं कर रहा है, तब ऐसी स्थिति में क्या 14 जनवरी को मकर सक्रांति मनानी चाहिए? धर्म शास्त्रों का कहना है कि प्रत्येक सक्रांति के 16 घड़ी पूर्व और 16 घड़ी बाद तक का समय पुण्य काल रहता है। इस नियम के अनुसार 14 जनवरी को दोपहर 2:21 से पुण्य काल प्रारंभ हो जाएगा और रात्रि को 3:09 पर तक पुण्य काल समाप्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति में निर्णय सिंधु सागर में आचार्य कमलाकर एवं हेमाद्री तथा ब्रह्मवैर्ताक पुराण में मिलता है कि कर्क सक्रांति में तो मात्र 30 (12 घंटे ) घड़ी तक, लेकिन मकर सक्रांति में 10 घड़ी अधिक पुण्य काल होता है। अर्थात 40 घड़ी (16घंटे ) तक पुण्य काल रहता है। आचार्य माधवाचार्य का मत है कि यदि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच में यदि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो ऐसी स्थिति में पहले दिन ही मकर सक्रांति मनानी चाहिए। लेकिन इस बार सूर्य मकर राशि में सूर्यास्त के बाद प्रवेश कर रहा है तो ऐसी स्थिति में अगले दिन मकर सक्रांति मनानी चाहिए। अर्थात 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होगा। इसके पीछे और ठोस कारण शास्त्रों में यत्र-तत्र मिलते हैं। जैसे आचार्य वृद्ध गार्गय का वचन है कि सूर्यास्त से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय के बीच में यदि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो दूसरे दिन पुण्य काल में स्नान, दान, जप, तप एवं श्राद्ध कर्म आदि करने चाहिए। दूसरा मत है कि सूर्य की द्वादश सक्रांतिओ में मात्र मिथुन, कन्या, धनु, मकर एवं मीन की सक्रांति में पुण्य काल पर (आगे ) समय का लेना चाहिए। अर्थात् सूर्य के राशि में प्रवेश होने के बाद का समय पुण्य काल होता है, साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुहूर्त गणपति, मुहूर्त मार्तंड एवं मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार भी 15 जनवरी को ही मकर सक्रांति मनाना शास्त्र सम्मत है।
मकर सक्रांति का महत्व –
जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब उत्तरायण में भी प्रवेश करता है और उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा गया। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण में ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, संस्कार, उपनयन यगोपवित आदि धार्मिक गतिविधियां करना शुभ होता है। साथ ही सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो शनि की राशि में प्रवेश करता है अर्थात सूर्य देव अपने पुत्र के घर पर प्रवेश करते हैं। भीष्म पितामह ने भी इसी दिन अपने प्राण त्यागे थे, क्योंकि देवताओं के दिन इसी दिन से प्रारंभ होते हैं। इसे ही आम भाषा में उत्तरायण भी कहते हैं। अतः निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि मकर सक्रांति का यह पावन पर्व 15 जनवरी सन 2023 को अष्टमी तिथि वार रविवार एवं पद्म योग में मनाना शास्त्र सम्मत होगा। पंडित गणेश शर्मा के अनुसार मकर सक्रांति में दान का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण के अनुसार जो मनुष्य उत्तरायण में तिल, धेनु को देता है वह सब इच्छाओं को प्राप्त करता है तथा परमसुख का लाभ प्राप्त करता है। विष्णु धर्मानुसार उत्तरायण सक्रांति पर वस्त्र दान करना महान फल को देने वाला है तथा तिल बैल को देने से रोगों से छुटकारा पाता है।
मकर संक्रांति पर्व का पुण्‍य काल मुहूर्त :
– 07:15:13 से 12:30:00 तक।
महापुण्य काल मुहूर्त :
– 07:15:13 से 09:15:13 तक

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