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इछावर का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री को गंवाना पड़ी है अपनी कुर्सी, इसलिए शिवराज 17 सालों में इछावर कभी नहीं गए

सुमित शर्मा, सीहोर
विधानसभा चुनाव का दौर जारी है। चुनाव को लेकर एक रोचक पहलू भी है। सीहोर जिले की इछावर विधानसभा सीट यूं तो भारतीय जनता पार्टी का अजेय गढ़ है। यहां से वर्ष 1985 से भाजपा के करण सिंह वर्मा विधायक हैं, लेकिन वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में ’हूं कई करूं…’ के गीत ने उनकी हार करवा दी थी। उस समय कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल ने करण सिंह वर्मा को शिकस्त दी थी। इछावर से जुड़ा एक रोचक पहलू ये भी है कि इछावर में जो भी मुख्यमंत्री आया है उसको अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल के दौरान इछावर कभी नहीं गए। हालांकि वे इछावर विधानसभा के अन्य स्थानों पर गए हैैं, लेकिन इछावर नहीं पहुंचे। हालांकि इस मिथक को तोड़ने का प्रयास कई मुख्यमंत्रियोें ने किया है, लेकिन उन्हें अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है। वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया। वे 15 नवंबर 2003 को इछावर में आयोजित हुए सहकारी सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे। इसके बाद मध्यप्रदेश में हुए चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इछावर के मिथक को तोड़ने की कोशिश मुख्यमंत्री डॉ. कैलाश नाथ काटजू ने भी की थी। वे भी 12 जनवरी 1962 को विधानसभा चुनाव के एक कार्यक्रम में भाग लेने इछावर आए थे और इसके बाद 11 मार्च 1962 को हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हार गई और डॉ. कैलाशनाथ काटजू को अपनी सत्ता से हांथ धोना पड़ा। 1 मार्च 1967 को द्वारका प्रसाद मिश्र भी इछावर आए थे और 7 मार्च 1967 को हुए नए मंत्रिमंडल के गठन से उपजे असंतोष के चलते मिश्र को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान का भी एक बार कार्यक्रम इछावर के लिए तय किया गया। उन्हें सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा के भैरूंदा से इछावर पहुंचना था, लेकिन भैरूंदा के नेताओं ने इस बारे में बताया तो मुुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना कार्यक्रम निरस्त कर दिया।
इछावर में रहा है खाती समाज का बाहुल्य, जीतते भी इसी समाज से हैं-
इछावर विधानसभा यूं तो भाजपा का गढ़ मानी जाती रही है, लेकिन इस अवैध गढ़ को वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार शैलेंद्र पटेल ने ढहा दिया था। उन्होेंने वर्ष 1985 से लगातार जीत दर्ज कराते आ रहे विधायक करण सिंह वर्मा कोे हराकर यह उपलब्धि हासिल की थी। हालांकि वे वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव हार भी गए थे, लेकिन इस बार फिर से कांग्रेस ने उन पर ही भरोसा जताकर इछावर सीट पर मुकाबला बेहद रोमांचक बना दिया है। इछावर विधानसभा में खाती समाज का बाहुल्य भी है। यहां से खाती समाज के विधायक ही अब तक बनतेे रहे हैैं। भाजपा केे करण सिंह वर्मा के सामनेे कांग्रेस ने कई अन्य समाज के प्रत्याशियों को भी मैदान मेें उतारा, लेकिन उन्हें कोई भी चित नहीं कर सका। 2013 में शैलेेंद्र पटेल ने ही उन्हें शिकस्त दी थी।
ये है इछावर विधानसभा सीट में मतदाताओं की स्थिति-
इछावर विधानसभा में कुल 2,25,144 मतदाता हैं। इनमें 1,17,071 पुरूष मतदाता, 1,08,071 महिला मतदाता और 2 अन्य मतदाता शामिल हैं। इसी प्रकार जेंडर रेशो 923, इपी रेशो 63.20, पीडब्ल्यूडी मतदाता 2009 एवं 18 से 19 वर्ष के 11332 मतदाता, 80 वर्ष से अधिक आयु के 3873 मतदाता हैं।
ये है इछावर में जातिगत वोटों का समीकरण-
इछावर विधानसभा में कुल 2,25,144 मतदाता हैं। इनमें 1,17,071 पुरूष मतदाता, 1,08,071 महिला मतदाता और 2 अन्य मतदाता शामिल हैं। इनमें 65-70 हजार खाती समाज के वोट हैं। हार-जीत में इस वर्ग का वोट बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी प्रकार 15-17 हजार मतदाता परमार समाज के हैं। 15-16 हजार मेवाड़ा समाज, 35-40 हजार एससी, 20-22 हजार एसटी, 4-5 हजार ठाकुर, 3-4 हजार ब्राहम्ण, 6-7 हजार सेंधव समाज, 15-17 हजार मुस्लिम वोट सहित अन्य समाजों केे वोट हैं।
ये रहे इछावर से अब तक विधायक-
– वर्ष 1977 में नारायण प्रसाद गुप्ता, जनता पार्टी से
– वर्ष 1980 में हरिचरण वर्मा, कांग्रेस से
– वर्ष 1985 में करण सिंह वर्मा, भाजपा
– वर्ष 1990 में करण सिंह वर्मा, भाजपा
– वर्ष 1993 में करण सिंह वर्मा, भाजपा
– वर्ष 1998 में करण सिंह वर्मा, भाजपा
– वर्ष 2003 में करण सिंह वर्मा, भाजपा
– वर्ष 2008 में करण सिंह वर्मा, भाजपा
– वर्ष 2013 में शैलेंद्र पटेल, कांग्रेस
– वर्ष 2018 में करण सिंह वर्मा, भाजपा

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