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सीहोर जिले में नहीं थम रहे मछुआ सहकारी समितियों के फर्जीवाड़े, अब लाड़कुई में सामने आई गड़बड़ियां

- पहले बायां, फिर आष्टा और अब लाड़कुई में पाई गई कमियां, फिर भी सहकारिता विभाग नहीं कर पा रहा सख्ती

सुमित शर्मा, सीहोर
9425665690
भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका सहकारिता विभाग सीहोर जिले की मछुआ सहकारी समितियों के फर्जीवाड़े को भी नहीं रोक पा रहा है। अब तक सहकारिता विभाग के जिम्मेदारों की मिलीभगत से संचालित हो रही इन समितियों के फर्जीवाड़े अब लगातार सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब बाबा मछुआ सहकारी समिति मर्यादित लाड़कुई की गड़बड़ियां सामने आई है। गड़बड़ियों की शिकायत के बाद जांच कराई गई, जिसमें बाबा मछुआ सहकारी समिति कागजों में ही चल रही थी। अब संयुक्त पंजीयक सहकारी सोसायटी भोपाल संभाग संजय दलेला ने नोटिस थमाकर जबाव मांगा है।
सीहोर जिले में करीब 175 मछुआ कल्याण सहकारी समितियां संचालित हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर मछुआ सहकारी समितियां फर्जीवाड़ा करके ही संचालित हो रही है। इन सभी मछुआ सहकारी समितियों को भंग करने के निर्देश कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर द्वारा दिए गए थे, लेकिन इसके बाद भी अब तक इन पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। इन मछुआ सहकारी समितियों की लगातार शिकायतें विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच रही है। अब बाबा मछुआ सहकारी समिति मर्यादित लाड़कुई जिला सीहोर की शिकायत यहां के ग्रामवासियों द्वारा की गई थी। शिकायत के बाद इसकी जांच सहायक संचालक मत्स्याद्योग भारत सिंह मीना जिला सीहोर द्वारा कराई गई। इसमें बाबा मछुआ सहकारी समिति मर्यादित लाड़कुई क्रियाशील नहीं पाई गई। अब तक यह मछुआ समिति कागजों में ही संचालित हो रही है। विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इसका आडिट भी हो रहा था, लेकिन अब इसका फर्जीवाड़ा सामने आया है। इससे पहले बुदनी विधानसभा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बायां में भी रेवा मछुआ सहकारी समिति की जमकर गड़बड़ियां सामने आई थी। रेवा मछुआ सहकारी समिति भी नियम विरुद्ध तरीके से वर्षों तक संचालित होती रही। इसका वास्तविक लाभ जिन मछुवारों को मिलना चाहिए था, वे तो परेशानियां उठाते रहे, लेकिन लाखों के बारे-न्यारे दूसरे ही करते रहे। जब इसका फर्जीवाड़ा सामने आया तो अन्य सीहोर जिले की अन्य मछुआ समितियों की भी जांच कराई गई, जिनमें से ज्यादातर फर्जीवाड़े में ही संचालित होना पाया गया था, लेकिन कलेक्टर के निर्देश के बाद भी अब तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। इसी तरह आष्टा की भी मछुआ सहकारी समिति की गड़बड़ी सामने आ चुकी है।
सहकारिता विभाग के एक्ट में बदलाव के बाद बड़ी मुश्किलें-
दरअसल सहकारिता विभाग द्वारा एक्ट में बदलाव भी किए गए हैं। इसके बाद अब सहकारी समितियों के अब तक होने वाले आॅडिट में भी अधिकार छिने गए हैं। एक्ट में बदलाव के बाद अब सहकारिता विभाग के आॅडिटरों की मुश्किलें भी बढ़ना शुरू हो गर्इं हैं।
जबाव देने से कतरा रहे हैं अधिकारी-
सहकारिता विभाग के इस फजीवाड़े को लेकर अब विभाग के अधिकारी ही जबाव नहीं दे रहे हैं। वे जबाव देने से कतरा रहे हैं। इस संबंध में जानकारी के लिए सहकारिता उपायुक्त सीहोर भूपेंद्र सिंह, संयुक्त आयुक्त सहकारिता भोपाल संभाग संजय दलेला सहित उप संचालक मत्स्योद्योग सीहोर भारत सिंह मीना से भी चर्चा करने की कोशिश की गई, लेकिन इन्होंने फोन रिसीव नहीं किए।

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