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Sehore News : शिव महापुराण की कथा बैकुंठ पहुंचाने का सबसे बड़ा माध्यम है: पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर। सत्संग, भजन, कीर्तन, कथा, शिव महापुराण, प्रवचन ही बैकुंठ का स्वरूप है। हम जब प्रवचन, ध्यान और जप-तप में रहते हैं, वही हमारा सबसे अच्छा पल रहता है। महापुराण की कथा बैकुंठ पहुंचाने का सबसे बड़ा माध्यम है। किसी ने भी बैकुंठ नहीं देखा है। हर मनुष्य को चाहिए कि वह संसार की चाहना नहीं रखे। उस परम के प्रति प्रेम और चाहत रखे। जो ऐसा करता है उसे संसार के पीछे भागना नहीं पड़ता है बल्कि संसार उसके पीछे-पीछे चला आता है। ऐसा व्यक्ति परम धाम की यात्रा आसानी से पूरी कर लेता है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर के विशाल परिसर में जारी सात दिवसीय श्री नारद शिव महापुराण के पांचवें दिवस भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहा कि इसका श्रवण करने से हमारी 71 पीढ़ी को मोक्ष प्राप्त होता है, अन्य कथाएं तो आपकी सात पीढ़ी को मोक्ष प्रदान करती है, लेकिन बाबा भोलेनाथ की यह कथा आपके समस्त संकटों से छुटकारा दिलाती है।
उन्होंने कहा कि शिव पुराण में शिव भक्ति और शिव महिमा का विस्तार से वर्णन है। लगभग सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं। शिव पुराण में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से वर्णन है। भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है। शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। अन्य देवताओं की भांति भगवान शिव को सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती। शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। वे तो औघड़ बाबा हैं। जटाजूट धारी, गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मालाएं, शरीर पर बाघम्बर, चिता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वे सारे विश्व को अपनी पदचाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं। इसीलिए उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है। उनकी वेशभूषा से जीवन और मृत्यु का बोध होता है। शीश पर गंगा और चन्द्र जीवन एवं कला के प्रतीक हैं। शरीर पर चिता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है। यह जीवन गंगा की धारा की भांति चलते हुए अन्त में मृत्यु सागर में लीन हो जाता है।
18 जून को किया जाएगा समापन-
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर एक बजे से शाम चार बजे तक शिव महापुराण का आयोजन किया जाएगा, वहीं रात्रि को सुंदरकांड के पाठ किया जाएगा। इसके आगामी शनिवार को यहां पर जारी सात दिवसीय श्री नारद शिव महापुराण का विश्राम किया जाएगा।
पंडित प्रदीप मिश्रा के जन्मदिन पर 71 पौधों का वितरण-
भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के जन्म दिन के अवसर पर शहर के छावनी स्थित सत्यनारायण मंदिर पर अग्रवाल महिला मंडल और अग्रवाल महिला महासभा के संयुक्त तत्वाधान में 71 पौधों का वितरण किया गया। इस मौके पर पंडित प्रदीप मिश्रा की धर्मपत्नी जिज्ञासा मिश्रा और उनकी भाभी ममता मिश्रा ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की और उसके उपरांत पौधों का वितरण किया। इस संबंध में जानकारी देते हुए अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष ज्योति अग्रवाल और अग्रवाल महिला महासभा की जिलाध्यक्ष अंजू अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को आयोजित पौधा वितरण कार्यक्रम में 71 पौधों का वितरण किया। तुलसी, विल्व पत्र, आंवला सहित अन्य पौधे शामिल थे।

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