वीआईटी छुट्टी का आज आखिरी दिन, कल से शुरू होगी युनिवर्सिटी

सीहोर। कोठरी स्थित वीआईटी यूनिवर्सिटी में 19 वर्षीय छात्रा नेहा साहुकार की मौत और छात्रों के भीषण हंगामे के बाद घोषित अवकाश आज 8 दिसंबर समाप्त हो रहा है। कल से यूनिवर्सिटी फिर से शुरू हो जाएगी, लेकिन संस्थान पर लगे गंभीर अवैध निर्माण, करोड़ों के बकाए और दूषित पानी के आरोपों पर जिला प्रशासन की अब तक की ढील पर छात्रों में गहरा रोष है। यह मामला अब सिर्फ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं, बल्कि सरकारी नोटिसों की अनदेखी और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
ऐसे शुरू हुई विवाद की शुरुआत
24 नवंबर: छात्रा नेहा साहुकार की सेप्टिक शॉक (गंभीर टीबी के कारण) से मौत होने की खबर सामने आई।
26 नवंबर: छात्रों ने हॉस्टल की खराब मेडिकल सुविधाओं, घटिया भोजन और गंदे पानी को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया।
26-27 नवंबर की रात: गुस्साए 4000 छात्रों ने कैंपस में जमकर तोडफ़ोड़ कीद्वए वाहनों को आग लगा दी और विरोध प्रदर्शन किया।
27 नवंबर: स्थिति को देखते हुए प्रबंधन ने 8 दिसंबर तक अवकाश घोषित कर छात्रों को घर भेजना शुरू किया।
27-28 नवंबर: पीएचई, खाद्य एवं औषधि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने कैंपस से पानी, खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए और छात्रों की स्वास्थ्य जांच शुरू की।
28 नवंबर: पिता का ईमेलरू मृत छात्रा नेहा के पिता सुनील साहुकार का भावुक ईमेल सामने आया, जिसमें उन्होंने घटिया भोजन, गंदे पानी और नगण्य सुविधाओं को बेटी की सेहत बिगडऩे का कारण बताते हुए फीस वापसी की मांग की।
28 नवंबर: नगर परिषद कोठरी के नोटिस से सामने आया कि कैंपस के 11 बिल्डिंग ब्लॉक अवैध हैं और उन पर 42.40 लाख का फायर एनओसी शुल्क बकाया है। राजस्व विभाग की जांच में खुलासा हुआ कि कॉलेज कृषि भूमि पर संचालित है और 12.01 लाख का भू-राजस्व शुल्क बकाया है।
29 नवंबर: पीएचई विभाग की रिपोर्ट में 18 सैंपलों में से 4 फेल हो गए, जिनमें हानिकारक श्ईण् कोलीश् बैक्टीरिया पाया गया। दूषित पानी के कारण $30 से अधिक छात्रों को पीलिया होने की बात सामने आई।
विधानसभा में गूंजा मामला
वीआईटी विवाद बीते मंगलवार को विधानसभा में जोर-शोर से उठा। कांग्रेस विधायकों ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए आरोप लगाया कि दूषित पानी और खराब खाने के कारण लगभग $300 से अधिक छात्र पीलिया जैसी बीमारियों का शिकार हुए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने सदन को बताया कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार $23 छात्र और 13 छात्राओं में जॉन्डिस के लक्षण पाए गए थे।
छात्रों की शिकायत पर हॉस्टल वार्डन प्रशांत पांडे एवं अन्य के विरुद्ध मारपीट की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। तोडफ़ोड़ और आगजनी के आरोप में छात्रों के विरुद्ध भी एक अलग मामला दर्ज किया गया है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन परिसर में स्थायी रूप से पुलिस बल तैनात कर लगातार स्थिति पर निगरानी रख रहा है।
सवाल? क्या नियमों से ऊपर है संस्थान
यह पूरा घटनक्रम यह बताता है कि वीआईटी प्रबंधन ने फायर सुरक्षा से लेकर राजस्व नियमों तक का खुला उल्लंघन किया है। नगर परिषद के तीन-तीन नोटिस, राजस्व विभाग का बकाया और पीएचई की पानी रिपोर्ट के बावजूद संस्थान को इतनी ढील क्यों दी गई। आमजनों के मन में एक ही सवाल है कि जब जिले में छोटे अतिक्रमणों पर भी तत्काल कार्रवाई होती है तो एक ऐसा शिक्षण संस्थान, जिसने लाखों का बकाया रखा और छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला, उस पर अब भी कठोर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? कल से यूनिवर्सिटी फिर शुरू हो रही है, ऐसे में सभी की निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं कि क्या वह इन स्पष्ट अवैध निर्माणों और लापरवाही पर ‘मूकदर्शक’ बना रहेगा या सख्त एक्शन लेगा।



