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सीहोर में आदिवासियों का जमावड़ा, डीलिस्टिंग को लेकर महारैली

भाजपा नेताओं ने भी दर्ज कराई उपस्थिति, मंच पर रही जिले के आदिवासी नेताओं की उपस्थिति

सीहोर। सीहोर जिले सहित देशभर में हो रहे धर्मांतरण के मामलों को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच लगातार कार्य कर रहा है। इसी को लेकर सीहोर में भी आदिवासियों का जमावड़ा लगा। रविवार को जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले सीहोर के टाउन हॉल प्रांगण में एकत्रित हुए आदिवासी समाज के लोगों को डीलिस्टिंग के बारे में बताया गया एवं उन्हें समझाया गया कि उन्हें किसी के बहकावे में नहीं आना है। इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत में आदिवासी महानायक टंट्या भील सहित अन्य महानायकों के चित्रों पर माल्यार्पण किया गया।
आदिवासी नेताओं ने मंच से बताया कि जिस प्रकार अधिनियम 341 में अनुसूचित जाति के लिए अपना धर्म बदलने पर सभी प्रकार की सुविधाएं एवं आरक्षण से वंचित किया जा सकता है। उसी प्रकार अनुसूचित जनजाति को भी 342 अधिनियम में संशोधन करके यह प्रावधान जोड़ा जाए कि जो जनजाति व्यक्ति ईसाई या मस्लिम बनेगा उसको आरक्षण सहित सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा। दरअसल लगातार आदिवासियों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन करके ईसाई एवं मुस्लिम बनाया जा रहा है। इसी को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच काम कर रहा है। जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा इसके लिए गांव-गांव जाकर बैठकें करके आदिवासियों को समझाया जा रहा है।
आदिवासी नेताओं ने दी सीख-
सीहोर के टाउन हॉल प्रांगण में आयोजित महारैली के दौरान मंच से आदिवासी नेताओं ने उपस्थित जनसमूह को जहां डीलिस्टिंग के बारे में बताया तो वहीं उन्हें समझाया गया कि उन्हें किसी के बहकावे में आकर धर्म एवं जाति परिवर्तन नहीं करना है। अब जो भी आदिवासी भाई-बहन धर्म परिवर्तन करेंगे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल सकेगा।
क्या है डीलिस्टिंग अभियान-
आदिवासी समाज के लोग धर्म परिवर्तन करके ईसाई एवं मुस्लिम धर्म अपना रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें लाभ आदिवासी समाज के ही मिल रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें मिल रहा है। इसके लिए जनजाति सुरक्षा मंच मांग कर रहा है कि जो भी लोग धर्म परिवर्तन करके दूसरा धर्म अपना रहे हैं उन्हें आदिवासी समाज की सूची से बाहर किया जाए और उन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी नहीं दी जाए। इसी को लेकर डीलिस्टिंग के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
संसदीय समिति को भी दिया था प्रस्ताव-
जनजाति सुरक्षा मंच मध्यप्रदेश के संयोजक कैलाश निनामा, जनजाति सुरक्षा मंच के पदाधिकारी जिला अध्यक्ष रमेशचंद्र बारेला सहित अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि इस विषय को 1970 में सांसद स्व. कार्तिक बाबूराव ने 348 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर के साथ संसदीय समिति के सामने प्रस्तुत किया था, परंतु उनकी इस मांग को नहीं माना गया। अब हमें इस अभियान के माध्यम से प्रत्येक ग्राम के लोगों के पास जाकर उन्हें समझाने की जरूरत है। ग्राम सभा के माध्यम से भी प्रस्ताव पारित किया जाए कि हम डीलिस्टिंग के समर्थन में हैं।
प्रमुख मार्गों से निकाली गई महारैली-
जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा सीहोर में महारैली भी निकाली गई। इससे पहले सुबह टाउन हॉल प्रांगण में आदिवासी समाज के लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। दोपहर तक लोग एकत्रित हुए। इस दौरान यहां पर संबोधन कार्यक्रम चलता रहा। दोपहर बाद टाउन हॉल से महारैली की शुरूआत हुई, जो बस स्टैंड से होते लिसा टॉकीज चौराहा होते हुए वापस टाउन हॉल के पास पहुंची।
भाजपा नेताओं ने भी दर्ज कराई उपस्थिति-
डीलिस्टिंग को लेकर आयोजित महारैली में जिले के आदिवासी नेताओं में निर्मला बारेला सहित भाजपा नेताओं ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। हालांकि भाजपा नेताओं ने मंच साझा नहीं किया। मंच पर आदिवासी समाज के नेताओं एवं वरिष्ठों को स्थान दिया गया। भाजपा के सीहोर विधायक सुदेश राय, इछावर विधायक करण सिंह वर्मा, आष्टा विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय, सीताराम यादव, राजकुमार गुप्ता, मंडल अध्यक्ष प्रिंस राठौर, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष भूपेंद्र पाटीदार, युवा नेता प्रदीप पटैरिया के जनजाति सुरक्षा मंच के पदाधिकारी जिला अध्यक्ष रमेशचंद्र बारेला, जिला संगठन मंत्री दिनेश अहोरिया सहित अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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