7 लाख की जमीन दान कर दो भाइयों ने दिलाया गोदी गांव को सम्मान

सीहोर। जिले की आष्टा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत गोदी गांव में लंबे समय से चली आ रही एक बड़ी सामाजिक समस्या का समाधान आखिरकार हो गया है। गांव के दो किसान भाइयों ने अपनी करीब 7 लाख रुपये की निजी जमीन दान कर गांव को वह सम्मान दिलाया जिसकी कमी वर्षों से खल रही थी।
ग्राम गोदी के लोगों को दशकों से यह अपमानजनक सच्चाई झेलनी पड़ रही थी कि किसी भी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए कोई सम्मानजनक जगह नहीं थी। परिवारजन मजबूरी में खेतों या जर्जर, छतहीन स्थानों पर अंतिम संस्कार करते थे। बारिश के दिनों में तो स्थिति असहनीय हो जाती थे, जब परिवार को शव के पास खड़े होने में भी कठिनाई होती थी।
दो भाइयों का नि:स्वार्थ बलिदान
इस पीड़ा को गहराई से महसूस करते हुए गांव के प्रेम सिंह परमार और अर्जुन सिंह परमार नाम के दो जागरूक किसान भाइयों ने एक प्रेरणादायक पहल की। उन्होंने अपनी 36 डेसीमल निजी भूमि अंतिम संस्कार स्थल के लिए मध्यप्रदेश शासन के नाम दान कर दी। सामान्य परिस्थितियों में अपनी मेहनत की कमाई से अर्जित जमीन दान करना आसान नहीं होता, लेकिन दोनों भाइयों ने नि:स्वार्थ भाव से यह बड़ा कदम उठाकर मानवता और सामाजिक जिम्मेदारी का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
पंचायत ने संभाली कमान
भूमि दान के बाद ग्राम पंचायत लोरास खुर्द के युवा सरपंच भगवानसिंह पटेल ने सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने तुरंत पंचायत से प्रस्ताव पास कराकर पांचवें वित्त की राशि से श्मशान घाट का निर्माण कार्य शुरू कराया। सरपंच पटेल ने बताया कि लगभग 2.50 से 3 लाख की लागत से वहां चबूतरा और टीन शेड का निर्माण किया गया है, जिससे अब बारिश में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया गरिमापूर्ण ढंग से हो सकेगी। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि आने वाले समय में यहां बाउंड्री वॉल और पक्की पहुंच मार्ग का निर्माण भी कराया जाएगा।
समाज के लिए बने प्रेरक
हाल ही में नानकपुर में जर्जर मशान घाट की खबरें सामने आने के बाद गोदी गांव के प्रेम सिंह और अर्जुन सिंह की यह पहल पूरे क्षेत्र के लिए एक आदर्श बनकर सामने आई है। ग्रामीणों ने दोनों भाइयों के इस अमूल्य उपहार की सराहना की है और शासन प्रशासन से अपील की है कि उन्हें सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाए। उनका कहना है कि इस पहल ने यह सिखाया है कि बदलाव की शुरुआत व्यक्ति से ही होती है और यदि हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे तो समाज की किसी भी समस्या का समाधान कठिन नहीं है। इन दोनों भाइयों ने सिर्फ जमीन ही नहीं, बल्कि मृत्यु के बाद सम्मान की भी व्यवस्था की है।