सीहोर-भैरूंदा। हरदा में 6 फरवरी 2024 को हुए पटाखा फैक्ट्री कांड के पीड़ितों को 8 माह के बाद भी मुआवजा सहित अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं। ये वे पीड़ित हैं, जिनके घर एवं सामान हरदा स्थित पटाखा फैक्ट्री में आग लगने के कारण पूरी तरह नष्ट हो गए थे। यह पटाखा फैक्ट्री राजू अग्रवाल की थी। इस अग्निकांड में कई लोगों की मौतें हुईं थीं तो वहीं बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। धमाका इतना तेज था कि 80 किलोमीटर दूर तक इसकी धमक सुनाई दी। हरदा से लगे 15-20 किलोमीटर तक के गांवों में तो हालत भयावह थे। हरदा नगर तो पूरी तरह से कांप गया था। इस कांड के पीड़ित लगातार प्रशासन से मुआवजा, राहत राशि, मकान सहित अन्य मांगें कर रहे हैं, लेकिन इन्हें सिर्फ आश्वासन मिलते रहे। इन्हें कोई सुविधाएं नहीं दी गईं। अब इन पीड़ितों ने न्याय के लिए हरदा से भोपाल तक पदयात्रा शुरू की, लेकिन इनकी न्याय पदयात्रा को सीहोर जिले की सीमा गोपालपुर में रोक दिया गया। दरअसल पीड़ितों को उचित मुआवजा व पुनर्वास की मांग को लेकर यात्रा संयोजक हेमंत चौहान के नेतृत्व में हरदा से भोपाल मुख्यमंत्री निवास तक के लिए करीब 40 लोग निकले हैं। इनकी यात्रा कई पड़ावों के बाद सीहोर जिले के गोपालपुर में पहुंची। यहां पर न्याय यात्रा को रोक दिया गया।
प्रशासन-पीड़ित आमने-सामने –
हरदा से भोपाल के लिए पदयात्रा कर रहे पटाखा फैक्ट्री कांड के पीड़ित जब सीहोर जिले की सीमा गोपालपुर पहुंचे तो यहां पर उन्हें रोक दिया गया। सभी पीड़ितों को गोपालपुर के मां नर्मदा स्कूल प्रांगण में रोककर रखा गया। इस दौरान पीड़ितों ने पुलिस पर कई तरह के आरोप भी लगाए। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस उनके साथ ही अपराधियों जैसा बर्ताव कर रही है, जबकि वे लोग तो न्याय के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। हालांकि यात्रा को हरदा प्रशासन द्वारा रोका गया। हरदा कलेक्टर, एसपी, एसडीएम, तहसीलदार सहित अन्य अमला भी यहां पर पहुंचा। इस दौरान कलेक्टर-एसपी लगातार पीड़ितों को न्याय दिलाने का आश्वासन देते हुए उन्हें यात्रा वापस हरदा ले जाने की बातें करते रहे। अधिकारियों ने कहा कि वे उनकी मांगों को पूरा करेंगे, लेकिन पीड़ित भी अड़ गए कि पहले उन्हें इसके आदेश लिखित में दिए जाएं, उसके बाद ही वे न्याय यात्रा को वापस ले जाएंगे। हरदा जिला प्रशासन एवं पीड़ित आमने-सामने डटे रहे। इस दौरान भैरूंदा नायब तहसीलदार संदीप गौर, गोपालपुर थाना प्रभारी महेंद्र सिंह गौर सहित पुलिस स्टॉफ भी मौके पर मौजूद रहा।
इसलिए नहीं बनी बात –
हरदा कलेक्टर द्वारा पीड़ितों से कहा गया कि वे उनकी सभी मांगों को पूरा करेंगे, लेकिन उन्हें न्याय यात्रा वापस हरदा ले जानी होगी। पीड़ितों ने कहा कि उनके कुछ साथी कलेक्टर, एसपी के साथ हरदा जाएंगे और उन्हें लिखित में देना होगा। हालांकि लंबे समय तक प्रशासन एवं पीड़ितों में ये चर्चाएं होती रहीं, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद सभी पीड़ितों ने अपनी न्याय यात्रा को गोपालपुर से आगे बढ़ा दिया। पीड़ितों को गोपालपुर थाने के सामने भी रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन वे लगातार आगे बढ़ते गए। पीड़ितों के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। वे भी पदयात्रा कर रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि पटाखा फैक्ट्री मालिक राजू अग्रवाल खुलेआम हरदा में घूम रहा है एवं अपनी उधारी वसूल रहा है, लेकिन उसकी फैक्ट्री के कारण हमारे आशियाने उजड़ गए, सामान बर्बाद हो गया। हमारे परिवार तितर-बितर हो गए, लोग मारे गए। इतना सब होने के बाद भी अब तक प्रशासन द्वारा कोई मुआवजा नहीं दिलाया गया है।
ये हैं प्रमुख मांगें –
हरदा फैक्ट्री कांड के पीड़ितों की मुख्य मांगों में से उन्हें मकान, प्लाट की रजिस्ट्री करना, मकान बनाने के लिए मटैरियल उपलब्ध कराना, मुआवजा राशि देना प्रमुख है।
भयावह था हादसा, आज भी कांप जाती है रूह-
हरदा में संचालित अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट का हादसा आज भी वहां के लोग नहीं भूले हैं। याद करते ही उनकी रूह कांप जाती है। इसमें हरदा जिला प्रशासन की भी बड़ी लापरवाही सामने आई थी। हालांकि हादसे के बाद कलेक्टर, एसपी को वहां से हटा दिया गया था। इस अवैध फैक्ट्री का मालिक राजू अग्रवाल था, जिसका अवैध सम्राज्य ढाई एकड़ में फैला हुआ था। उस ढाई एकड़ जमीन के आसपास सैकड़ों लोग रहते थे। इसके बावजूद प्रशासन ने उन्हें फैक्ट्री चलाने की अनुमति दी थी। इस मामले में कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि फैक्ट्री का मालिक राजू अग्रवाल सजायाफ्ता है। इस फैक्ट्री में दो साल पहले भी एक हादसा हुआ था। उसमें भी तीन लोगों की मौत हुई थी। स्थानीय लोगों ने फैक्ट्री को लेकर चार-पांच बार कलेक्टर से भी शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया। उसी का नतीजा रहा कि एक बार फिर से बड़ा हादसा हो गया है। राजू अग्रवाल की यह फैक्ट्री 20 साल से चल रही थी। बताया जा रहा है कि उसने आसपास के घरों में बारूद का अवैध भंडारण कर रखा था। वह प्रशासन की आंख में धूल झोंकने के लिए आसपास के घरों में अवैध भंडारण करता था।
अधिकारियों ने नहीं की बात –
इस मामले को लेकर हरदा कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक से चर्चा करनी चाही, लेकिन उन्होंने चर्चा नहीं की। कोई भी अधिकारी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था। इधर सीहोर जिला पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि सीहोर जिले की सीमा पर न्याय यात्रा से हरदा के प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस ने बातचीत की है। सीहोर पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा। सीहोर पुलिस ने यात्रा को नहीं रोका है।