राजनीतिक

पाटीदारों को साध कर बड़ी जीत की तैयारी में भाजपा, कांग्रेस की कमजोरी का भी मिलेगा फायदा

 नई दिल्ली।
 
गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा पाटीदार समुदाय के गढ़ माने जाने वाले सौराष्ट्र में को साधने में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात दौरा भी सौराष्ट्र केंद्रित है और इसे पार्टी की चुनावी रणनीति का बड़ा हिस्सा माना जा रहा है। गौरतलब है कि पिछली बार सौराष्ट्र में ही भाजपा को झटका लगा था। वह सरकार तो बनाने में सफल रही थी, लेकिन 100 सीटों के आंकड़े से नीचे रह गई थी। गुजरात में 182 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें सौराष्ट्र में 54 सीटें आती हैं। पिछली बार भाजपा को यहां पर केवल 23 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस 30 सीटें जीतने में सफल रही थी। भाजपा ने सूरत की दम पर सरकार बनाई थी, जहां उसने विपरीत माहौल के बावजूद बड़े राजनीतिक दांव के जरिए अधिकांश सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी। हालांकि, पार्टी 100 सीटों का आंकड़ा पार करने में असफल रही थी और 99 पर सीमित रह गई थी। स्पष्ट बहुमत मिलने के चलते हुए सरकार बनाने में सफल रही थी।

पाटीदारों का गढ़ है सौराष्ट्र
सौराष्ट्र पाटीदार समुदाय का गढ़ माना जाता है और पिछले विधानसभा चुनाव के पहले राज्य में जब 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन शुरू हुआ था, तो उसका सबसे ज्यादा असर भी यही पर रहा था। यही वजह रही कि भाजपा को यहां पर चुनावी झटका भी लगा था। लेकिन तब से अब तक स्थितियां काफी बदली है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं। देर सबेर उनके भाजपा के साथ आने की भी संभावना है। इस बीच लेवा पटेल से जुड़ा क्षेत्र का सबसे बड़ा खोडलधाम संस्थान पर भी भाजपा की नजर है। हालांकि इस संस्थान के अध्यक्ष नरेश पटेल का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। ऐसे में भाजपा ने इस संस्थान से जुड़े परेश गजेरा को साधना शुरू कर दिया है।

मिलेगी अब तक की सबसे बड़ी जीत?
इस बार भाजपा की रणनीति गुजरात में अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल करने की है। गुजरात से ही देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री होने के कारण भाजपा वहां पर बड़ी तैयारी भी कर रही है। यही वजह है कि साल भर पहले उसने अपनी राज्य की पूरी सरकार को ही बदल दिया था, ताकि सत्ता विरोधी माहौल को कम किया जा सके। अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह लगातार राज्य के दौरे कर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस की कमजोरी का मिलेगा फायदा
भाजपा के लिए लाभ की एक बात यह भी है कि वहां पर कांग्रेस पिछ्ली बार की तुलना में कमजोर दिख रही है। उसके राज्य के बड़े नेता अहमद पटेल का निधन का भी असर पड़ा है। हालांकि इस बीच आम आदमी पार्टी ने राज्य में दस्तक दी है, लेकिन उससे भाजपा से ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होने की संभावना है। इसके बावजूद भाजपा अपनी रणनीति में कोई शिथिलता नहीं आने दे रही है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button