राजनीतिक

BJP बैठक में नहीं आने पर निलंबित सांसदों पर भड़की, पीयूष गोयल ने विपक्ष की मंशा पर उठाए सवाल

नई दिल्ली
राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन को लेकर गतिरोध जारी है। आज केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता पीयूष गोयल ने कहा कि 12 निलंबित राज्यसभा सांसदों को अपनी गलती का एहसास करना चाहिए और सभापति से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में विपक्षी नेता नहीं आए। गोयल ने आरोप लगाया कि विपक्ष नहीं चाहता कि संसद चले। उन्होंने कहा कि अशांति और व्यवधान पैदा करना विपक्ष का मंत्र है। 

राज्यसभा की कार्रवाई बार-बार हो रही स्थगित
विपक्षी सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर सोमवार को भी राज्यसभा में गतिरोध नहीं थमा और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने जैसे ही शून्यकाल आरंभ करने के लिए जनता दल (यू) के रामनाथ ठाकुर का नाम पुकारा, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी अपने स्थान पर खड़े थे और वह कुछ बोलना चाह रहे थे।

नायडू ने की निलंबित सांसदों से अपील
नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे सदन में शांति बहाल करें और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने दें। उन्होंने कहा, ''मेरी प्राथमिकता है कि सदन में अनुशासन और मर्यादा का पालन हो, चर्चा हो।''  नायडू ने कहा कि शुक्रवार को उन्होंने सरकार और विपक्ष से आग्रह किया था कि वे सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर आपस में बात करें और गतिरोध समाप्त करें ताकि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके। उन्होंने कहा, ''लेकिन…मंत्री ने मुझसे मुलाकात की…उन्होंने मुझे जो बताया वह बेहद निराशाजनक है।'' इसके बाद भी जब सदस्यों का हंगामा नहीं थमा तब उन्होंने यह कहते हुए सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी कि ''चर्चा हो… निर्णय हो…यह मेरी कामना है। लेकिन आप इसके पक्ष में नहीं दिख रहे हैं।'' इसके बाद सभापति ने 11 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

12 सांसदों को किया गया है निलंबित
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ''अशोभनीय आचरण'' करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। इनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं। विपक्ष इन सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहा है जबकि सरकार का कहना है कि जब तक ये सदस्य माफी नहीं मांगेंगे तब तक उनका निलंबन रद्द नहीं किया जाएगा। इसी वजह से सदन में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है और कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है। शुक्रवार को नायडू ने सरकार और विपक्षी दलों से आग्रह किया था कि वह आपस में चर्चा कर गतिरोध दूर करें।
 

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