
सुमित शर्मा, सीहोर
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मध्यप्रदेश में वर्ष-2023 में विधानसभा चुनाव, वर्ष-2024 में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इससे पहले पंचायतीराज चुनाव, नगरीय निकाय चुनाव, मंडी चुनाव सहित अन्य चुनाव भी होने हैं, लेकिन चुनावों को लेकर कहीं भी कांग्रेस पार्टी की गंभीरता नजर नहीं आ रही है। यही कारण है कि जहां भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी शंखनाद करके आगे की तैयारियोें एवं रणनीतियोें पर चर्चा करना शुरू कर दिया है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी अब तक संगठनात्मक स्तर पर नियुक्तियां ही नहीं कर पाईं हैं। ऐसी स्थिति में पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता भी असमंजस में है कि वे क्या करें और क्या न करें?
सीहोर जिला इस समय देश-दुनिया के नक्शेे पर चर्चाओं में हैं। एक तरफ पंडित प्रदीप मिश्रा के कारण सीहोर जिले की वाहवाही हो रही हैै, लोग लगातार सीहोर जिले को खोज रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ राजनीतिक दृष्टि से सीहोर जिला बदनाम भी हो रहा है। खासकर कांग्रेस पार्टी के संगठनात्मक रवैैयेे कोे लेकर, क्योंकि सीहोर जिले में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के अलावा पूरी तरह भंग पड़ी हुई है। जिला स्तर पर अध्यक्ष का पद है, लेकिन अन्य नेताओें कोे अब तक जिम्मेदारियां नहीं सौैंपी गई हैं तो वहीं ब्लॉक स्तर पर भी पूरी पार्टी भंग है। ऐसे में पार्टी के आगामी कार्यक्रम एवं आयोजन कैसेे होंगे, इसको लेकर पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता चिंतित भी हैं। सीहोर जिले की चारों विधानसभा सीटें भाजपा के पास है। कांग्रेस इन सीटों पर कब्जा जमाना चाहती है, खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुदनी विधानसभा की सीट पर कांग्रेस की पैनी नजर है, लेकिन यदि इस तरह से कांग्रेस की चुनावी तैयारियां हुईं तो कांग्रेस को सीटें तो नहीं मिलेेंगी, बल्कि कांग्रेस के पास झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता भी नहीं बचेंगे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस समय गुस्सा भी है, तोे वहीं वे पार्टी के लिए समर्पित भी हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर कांग्रेस के युवा नेता बतातेे हैैं कि पार्टी की तैयारियां तोे चल रही हैैं, लेकिन संगठनात्मक रूप से पार्टी क्या निर्णय लेगी, इस संबंध में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
गुटबाजी में उलझी है कांग्रेस-
सीहोर जिले में जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह तोेमर हैं। उनके अलावा अभी किसी भी नेता के पास पद नहीं हैं। बलवीर सिंह तोेमर भी चाहते हैैं कि जल्द से जल्द संगठनात्मक नियुक्तियां हो जाएं, लेकिन कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी कहीं न कहीं इसमें अड़ंगा लगाए हुए हैं। आगामी समय में लगातार चुनाव ही चुनाव है। इन चुनावों में पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओें की अहम जिम्मेेदारियां होती हैैं, लेकिन आपसी गुटबाजी के कारण न तो संगठनात्मक नियुक्तियां हो पा रही हैैं औैर न ही पार्टी की चुनावी तैैयारियां दिख रही हैं। बुदनी ब्लॉक के कांग्रेस केे कई वरिष्ठ नेता हैं, जो चुनाव लड़ने की तैयारियां भी कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने के लिए कोई भी आगे नहीं दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस के नेता घरों से ही पार्टी चला रहे हैैं, जबकि इस समय कांग्रेस कोे जरूरत है कि उनके नेता सड़क पर आकर विपक्ष की भूमिका निभाएं। कांग्रेस कहीं भी विपक्ष की भूमिका में नजर नहीं आ रही है, यही कारण है कि सरकार भी निरकुंशता के साथ काम कर रही है, मनमर्जी से काम कर रही है। हाल ही में कई ऐसे मुद्दे सामनेे आए हैैं, जिन्हेें कांग्रेस पार्टी भुना सकती थी, जनता के बीच में जाकर माहौल बना सकती थी, लेकिन कांग्रेस नेताओें की आपसी गुटबाजी के कारण ये मुद्दे नहीं उठ पाए।
इन मुद्दों को भूल गई कांग्रेस-
सीहोर जिले में कई ऐसे मुद्दे सामनेे आए, जिन्हें कांग्रेस पार्टी को भुनाना चाहिए था, लेकिन कांग्रेस नेता घरों में ही बैैठे रह गए। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पेयजल की समस्या को लेकर शिकायतेें हुईं, पेयजल की समस्याएं भी हैैं, लेकिन कांग्रेस को ये समस्याएं नजर नहीं आईं। इसी तरह किसानों के दम पर पिछले विधानसभा चुनाव मेें कांग्रेस ने सरकार बनाई, लेकिन इस समय किसानों की परेेशानियां कांग्रेस नेताओें कोे नजर नहीं आ रही है। किसानों के अब तक गेहूं के पैसे नहीं आए हैं। इसी तरह किसानोें को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही हैै, गांवों में जमकर बिजली कटौती की जा रही है, लेकिन कांग्रेस इन मुद्दों को उठाने में पूरी तरह सेे विफल साबित हुई।
भाजपा ने शुरू की तैयारियां-
इधर भारतीय जनता पार्टी की चुनावी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। राजधानी के जंबूरी मैदान में आदिवासी सम्मेलन के साथ भाजपा चुनावी मोड में आ गई है। सीहोर के क्रिसेंट होटल में युवा मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारियों की अहम बैठक भी हो गई है, जिसमें युवा मोेर्चा के आगामी कार्यक्रमोें कोे लेकर विचार-मंथन किया गया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी मेें अब तक संगठनात्मक नियुक्तियां ही नहीं हो पाईं हैं। ऐसे में पार्टी के युवा नेेता एवं कार्यकर्ता असमंजस में है कि वे क्या करेें?