राजनीतिक

जिलों में अकेले नहीं लिए जा सकेंगे फैसले, जिलावार मंथन में BJP भांप रही स्थिति

भोपाल
भाजपा 2023 के चुनाव में जिला प्रबंध समिति को सबसे ताकतवर बनाकर चुनाव लड़ेगी। जिलों में संगठनात्मक फैसलों में कोर कमेटी की मंजूरी जरूरी होगी। जिलावार कोर कमेटी के मंथन में पार्टी यह पता कर रही है कि किस विधानसभा में भाजपा मजबूत और कहां कमजोर है।

मिशन 2023 में भाजपा इस जिद के साथ चुनाव मैदान में उतरना चाहती है कि किसी भी स्थिति में जीत चाहिए। इसीलिए सबसे जरूरी है कि संगठन सशक्त हो और हर छोटे-बड़े नेता और जनप्रतिनिधि एक दूसरे के लगातार संपर्क में रहें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि जिलों में कोर कमेटी सर्वाधिक सशक्त होगी। जिला अध्यक्ष या कोई और अकेले कोई महत्वपूर्ण संगठनात्मक फैसले नहीं ले सकेंगे। ऐसे मामलों को कोर कमेटी के संज्ञान में लाना जरूरी होगा।

भाजपा प्रदेश संगठन ने जिला स्तर पर संगठनात्मक गतिविधियों में कसावट लाने के लिए सोमवार से चल रही जिलों की कोर कमेटियों की बैठकों में ये निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में मंगलवार को भी सुबह से प्रदेश कार्यालय में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। जिलावार हो रही बैठकों में सबसे पहले सात से आठ बिन्दुओं पर जिला अध्यक्ष रिपोर्ट दे रहे हैं, इसके बाद जिला कोर कमेटी के सदस्यों से सुझाव लेने का काम भी किया जा रहा है। इस पूरे मंथन में जो बात सामने आ रही है, उसमें पार्टी के शीर्ष नेताओं का साफ कहना है कि उन्हें आगामी चुनाव में जीत चाहिए। इसके लिए जो संसाधन आपको चाहिए वह हमें बताएं। मैदानी मेहनत और जमावट की जिम्मेदारी आपकी है लेकिन दिखावा नहीं होना चाहिए। जिन सीटों पर भाजपा 2018 में चुनाव हारी थी वहां के ताजा हालातों की रिपोर्ट भी ली जा रही है। साथ ही जीती हुई सीट पर जनमत के बारे में भी संगठन पदाधिकारी पूछताछ कर रहे हैं।

कई जिलों में नहीं हुई कोर कमेटी की बैठक पर नाराजगी
संगठन पदाधिकारियों ने सोमवार और मंगलवार की बैठकों में इस बात पर नाराजगी जताई है कि कुछ जिलों में अब तक कोर कमेटी की बैठक नहीं हुई है। वहीं कुछ जिलों में एक दो बैठकें ही हो सकी हैं। हर पंद्रह दिन में कोर कमेटी की बैठक के निर्देश दिए गए हैं जिसमें स्थानीय और प्रदेश स्तर के मसलों पर चर्चा और प्रस्ताव पारित कर जानकारी भेजना होगा।

 जनप्रतिनिधियों से समन्वय की कमी पर नाराजगी
कुछ जिलों में सांसदों और विधायकों के साथ संगठन के समन्वय की कमी का मसला भी बैठक में उठा है। इनसे कहा गया है कि आपसी मतभेद भुलाकर बैठकें और संवाद करें। समन्वय होना जरूरी है। वहीं जिला अध्यक्षों,कोर कमेटी सदस्यों को प्रवास के लिए भी कहा गया है। कोर कमेटी में शामिल सांसद, स्थानीय मंत्री, जिला अध्यक्ष, संभागीय व जिला प्रभारी, महामंत्री की जिम्मेदारी आगामी चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण बताकर लगातार सक्रिय रहने के लिए कहा गया है।

सरकार के कार्यक्रमों में प्रशासन बुलाता है या नहीं
संगठनात्मक बैठकों के साथ कोर कमेटी से यह भी रिपोर्ट ली जा रही है कि जिलों में सरकारी कार्यक्रमों में संगठन की पूछ परख है या नहीं। जिला अधिकारी उन्हें कार्यक्रमों में बुलाते हैं या नहीं बुलाते। जो नहीं बुला रहे, ऐसे अफसरों की जानकारी दी जाए। इसमें यह भी पूछा जा रहा है कि जिलों में रहने वाले वरिष्ठ नेता पार्टी की बैठकों में आते हैं या नहीं आते हैं? जो जनप्रतिनिधि जनता और संगठन की नहीं सुनते, उनका भी फीडबैक लिया जाए और ऐसे जनप्रतिनिधियों की रिपोर्ट संगठन को दी जाए।

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