राजनीतिक

विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों के हंगाम के भेंढ़ चढ़ गया राज्यसभा में प्रश्नकाल 

नई दिल्ली । राज्यसभा में गुरुवार को शून्यकाल विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों और सत्ताधारी सांसदों के हंगामे की भेंट चढ़ गया। हंगामे की वजह से शून्यकाल के दौरान सदन की कार्यवाही दो बार 15-15 मिनट के लिए और एक बार दो मिनट के स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस शिव सेना और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य उच्च अदालतों की नियुक्तियों में सरकार के कथित हस्तक्षेप और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग सहित कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे थे।
हालांकि उपसभापति हरिवंश ने इस बारे में विपक्षी सदस्यों के नियम 267 के तहत दिए गए कार्यस्थगन के नोटिस खारिज किया। आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा कांग्रेस के प्रमोद तिवारी अखिलेश प्रसाद सिंह एल हनुमंथैया जेबी मेथर और सैयद नासिर हुसैन तथा शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने उच्च अदालतों की नियुक्तियों में सरकार के कथित हस्तक्षेप केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग किसानों के आंदोलन से उत्पन्न स्थिति सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे। नोटिस अस्वीकार किए जाने के बाद विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे। इस दौरान सत्ताधारी दल के कुछ सदस्यों ने भी अपने स्थानों पर खड़े होकर कुछ कहने का प्रयास किया। भाजपा सदस्य पूर्ण शराबबंदी लागू कर चुके बिहार राज्य के सारण जिले में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से हुई लोगों की मौत का मुद्दा उठाना चाह रहे थे। सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बजकर 18 मिनट पर सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए 11 बजकर 33 मिनट तक स्थगित कर दी।
इसके बाद दोबारा बैठक शुरू हुई तब सदन में वहीं स्थिति थी। विपक्षी सदस्य अपने अपने मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे वहीं बिहार से भाजपा के सदस्य जहरीली शराब से लोगों की मौत के मुद्दे को उठाने देने की मांग कर रहे थे। अपनी बात का कोई असर न होता देख उपासभापति ने उन्होंने दूसरी बार 11 बजकर 36 मिनट पर बैठक पुन: 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद जब 11 बजकर 50 मिनट पर तीसरी बार कार्यवाही आरंभ हुई तब भी सदन में हंगामा जारी था। 

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