राजनीतिक

संभाजी राजे छत्रपति ने राज्यसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान

 मुंबई

 

महाराष्ट्र में 6 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को चुनाव होना है. महाराष्ट्र विधानसभा में सीटों का गणित देखें तो बीजेपी 2 सीटों पर अपने उम्मीदवार को आसानी से उच्च सदन भेज सकती है. जबकि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक एक सीट पर आसानी से अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकती है. वहीं, महाविकास अघाड़ी और बीजेपी पर कुछ सदस्य अतिरिक्त हैं, ऐसे में दोनों 6वीं सीट पर जीत हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं और उम्मीदवार उतारना चाहते हैं.

लेकिन मौजूदा राज्यसभा सांसद संभाजी राजे छत्रपति ने इस चुनाव में निर्दलीय उतरने का फैसला किया है. हालांकि, अभी वे राष्ट्रपति द्वारा नामित राज्यसभा सदस्य हैं. संभाजी राजे ने सभी पार्टियों से उन्हें समर्थन देने की अपील की है. संभाजी राजे इससे पहले मराठा आरक्षण मार्च में प्रमुख चेहरा थे और अब उनके राज्यसभा चुनाव में उतरने के ऐलान ने महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों को चिंता में डाल दिया है.

शरद पवार ने दिया समर्थन का संकेत

एनसीपी प्रमुख शरद पवर ने हाल ही में संभाजी राजे छत्रपति को समर्थन देने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि एनसीपी के पास कुछ अतिरिक्त सदस्य हैं और वे संभाजी राजे का समर्थन कर सकते हैं. वहीं, संभाजी को राज्यसभा भेजने वाली बीजेपी ने अभी तक यह फैसला नहीं किया है कि वह संभाजी का समर्थन करेगी या नहीं. बीजेपी अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. भाजपा का समर्थन कर रहे एक निर्दलीय विधायक महेश बाल्दी और नितिन गडकरी के एक करीबी ने संभाजी राजे के नामांकन फॉर्म पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्हें अपने नामांकन के लिए 9 और हस्ताक्षरों की जरूरत होगी.

शिवसेना 6वीं सीट पर चुनाव लड़ने पर अड़ी

उधर, शिवसेना भी 6वीं सीट पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. मंगलवार को इस मुद्दे पर महाविकास अघाड़ी की सीएम उद्धव ठाकरे के आवास पर मीटिंग भी हुई. इस दौरान शिवसेना ने 6वीं सीट पर उम्मीदवार उतारने की अपनी इच्छा भी व्यक्त की. मीटिंग के बाद महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और उद्धव के करीबी अनिल पारब ने कहा, शिवसेना 6वीं सीट पर उम्मीदवार उतारने चाहती है. हमें पता है कि कैसे इसे जीतना है. उधर, शिवसेना सांसद विनायक राउत ने कहा है कि अगर संभाजी राजे शिवसेना में शामिल होते हैं, तो शिवसेना संभाजी का समर्थन करेगी.
 
उधर, बीजेपी भी संभाजी राजे का समर्थन करने का मन बना रही है. दरअसल, बीजेपी राजनीतिक रूप से मजबूत माने जाने वाले मराठा समुदाय तक पहुंचने का मौका नहीं छोड़ना चाहती है.

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