राजनीतिक

बीजेपी कर्नाटक में उन तरीकों को छोड़ने जा रही है, जो वह हिंदी पट्टी के राज्‍यों और गुजरात में अपना चुकी है  

नई दिल्‍ली । बीजेपी कर्नाटक में उन  तरीकों को छोड़ने जा रही है, जो वह हिंदी पट्टी के राज्‍यों और गुजरात में अपना चुकी है। कर्नाटक में बीजेपी लगातार दूसरे कार्यकाल की उम्‍मीद कर रही है। राज्य में मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। सूत्रों ने कहा कि पार्टी अपने अधिकांश मौजूदा विधायकों को मैदान में उतारेगी। इसका कारण बताया जा रहा है कि ज्यादातर नेताओं का अपना वोट बैंक और समर्थन समूह है। 
भाजपा ने अन्य जगहों पर हमेशा अपने मौजूदा विधायकों की जगह नए चेहरों के साथ नेतृत्व किया है और बाद में किसी भी सत्ता-विरोधी लहर से बचने के लिए मंत्रियों की एक नई टीम बनाई है। इसके मुताबिक, यह मांग की गई है कि कर्नाटक में भी यही मॉडल अपनाया जाए। कई नेताओं ने मांग की है कि विधायकों के रिश्तेदारों को भी टिकट न दिया जाए।
हालांकि पार्टी के थिंक टैंक के मुताबिक, कर्नाटक की राजनीतिक स्थिति गुजरात से अलग है। 120 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां नेता अपने निजी प्रभाव से चुनाव जीतते हैं। सूत्रों ने कहा कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता है तो उन्हें दल बदलने में कोई झिझक नहीं होगी। 
येदियुरप्पा ने कहा है कि 224 सदस्यीय सदन में अधिकतम छह या सात विधायकों को ड्रॉप किया जा सकता है। कुछ की उम्र 75 साल के करीब है तो कुछ की तबियत ठीक नहीं है। उन्हें टिकट से वंचित किया जा सकता है, लेकिन उम्मीदवार चयन में उनसे पूछा जाएगा। 
भाजपा के गुजरात चुनाव फार्मूले के कुछ गंभीर परिणाम भी सामने आए थे। हाल के विधानसभा चुनावों से पहले गुजरात में 42 और हिमाचल प्रदेश में 11 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं देने के बाद पार्टी को दोनों राज्यों में विद्रोह का सामना करना पड़ा था। 
सत्ता में वापसी के लिए भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्‍य के नेताओं की अपने निर्वाचन क्षेत्रों में व्यक्तिगत पकड़ पर निर्भर है। प्रमुख रणनीतिकार अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा होंगे, जिन्होंने यह पीएम मोदी को 2024 में पीएम बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने का वादा किया है। 
येदियुरप्पा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और पर्दे के पीछे से काम करेंगे। उनके छोटे बेटे बीवाई विजयेंद्र उनकी सीट शिकारीपुरा से चुनाव लड़ सकते हैं। वंशवादी राजनीति के आरोपों को खारिज करने के लिए भाजपा अब तक विजयेंद्र को टिकट या पार्टी में पद देने के लिए तैयार नहीं रही है। 
पीएम मोदी इस साल अब तक छह बार कर्नाटक का दौरा कर चुके हैं। वहीं उनके इस महीने में दो बार राज्य का दौरा करने की उम्मीद है। पीएम मोदी 25 मार्च को दावणगेरे में एक बड़ी रैली को संबोधित कर सकते हैं, जिसमें चार विजय संकल्प रैलियों का समापन होगा। उससे पहले 19 या 21 मार्च को सरकारी कार्यक्रमों को लेकर प्रदेश का दौरा कर सकते हैं। 

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