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बनारस की सियासत में बड़े-बड़ों की प्रतिष्ठा दांव पर, जानें यहां के समीकरण

बनारस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरी बार भी बंपर वोटो से जिता कर लोकसभा पहुंचाने वाले बनारस की चुनावी रणभूमि में उत्तर प्रदेश की सियासत का इम्तिहान है। इम्तिहान होगा बनारस के विधायकों का। इम्तिहान होगा योगी सरकार में मंत्री बनाए गए नेताओं का। साथ ही यह इम्तिहान है उन राजनीतिक दलों का भी जो 2017 के विधानसभा चुनावों में इसी चरण के मतदान में खेल तो अच्छा कर गए थे, लेकिन इस बार राजनीतिक चौसर में मोहरे बदल गए।

बनारस में धुआंधार तरीके से हो रहे चुनाव प्रचार को लेकर राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्र के बड़े-बड़े मंत्री और भाजपा सांसदों के अलावा भाजपा शासित दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बनारस में आमद से चुनावी माहौल ना सिर्फ गर्म हुआ है, बल्कि परिणाम की अपेक्षा भी उसी के अनुसार की जाने लगी है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि बनारस की जनता ने जिन विधायकों को जिताकर मंत्री बनाया उनसे ज्यादा तो देश के प्रधानमंत्री और स्थानीय सांसद नरेंद्र मोदी ने स्थानीय जनता से ना सिर्फ तो मुलाकात की, बल्कि विधायको और मंत्रियों से ज्यादा दौरे भी कर डालें। उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा के चुनावों का कल आखिरी चरण का मतदान होना है। पूर्वांचल के 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर होने वाले मतदान में 613 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा, लेकिन इन सभी जिलों में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा का चुनाव बनारस में माना जा रहा है।

राजनैतिक विश्लेषक उमेश चंद्र कहते हैं कि कई वजहों में प्रमुख वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा संसदीय सीट का होना। वह कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का बनना जितना महत्वपूर्ण रहा है उतना ही इस बार काशी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का बनना और उसका भव्य शुभारंभ सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूर्वांचल की कई सीटों पर प्रभाव डालने वाला है।

हालांकि, बनारस के स्थानीय लोग खुलकर बोलते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र होने के चलते भाजपा को वोट तो दे रहे हैं लेकिन स्थानीय विधायक और मंत्रियों से उनकी जो उम्मीदें थीं, वह पूरी नहीं हुईं। खासतौर से बनारस दक्षिण के विधायक और योगी सरकार में मंत्री नीलकंठ तिवारी को लेकर लोगों में नाराजगी है। इस नाराजगी का अंदाजा विधायक नीलकंठ तिवारी को भी है।

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यही वजह है नीलकंठ तिवारी ने कुछ दिन पहले एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला था, जिसमें उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार किया था। राजनीतिक विश्लेषक उमेश चंद कहते हैं कि किसी मंत्री का चुनाव से पहले इस तरीके की स्वीकारोक्ति बहुत कुछ संदेश देती है।

समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के मंत्री अगर चुनाव से पहले इस बात की स्वीकारोक्ति करते हैं तो यह बताता है कि भाजपा को चुनावी परिणामों के जनादेश का एहसास है। चौधरी कहते हैं कि जिस तरीके से 2017 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने सातवें चरण में प्रदर्शन किया था इस बार उससे कहीं ज्यादा सीटें जीतने वाले हैं।

2017 के विधानसभा चुनावों में बनारस की 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा का परचम लहराया था, लेकिन राजनैतिक विश्लेषक इस बार माहौल दूसरा बता रहे हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों समेत भाजपा सांसद और अन्य बड़े नेताओं ने बनारस में टिक कर माहौल को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश तो की है, लेकिन राजनैतिक चौसर में इस बार तस्वीर थोड़ी बदली हुई नजर आ रही है।

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि पिछली बार जो पार्टियां भाजपा के साथ थी, वही अब सपा के साथ है। फिर भारतीय जनता पार्टी की 5 साल चली सरकार से उम्मीदगी और ना उम्मीदगी का आकलन भी जनता कर रही है। ऊपर से योगी सरकार के कुछ मंत्रियों का रवैया जनता के मनमाफिक नहीं रहा जितना कि होना चाहिए था।

शुक्ला कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बनारस में लगातार रैलियों और जनसंवाद से माहौल बदला है। बनारस के स्थानीय नागरिक जगत कहते हैं कि जिन विधायकों को मंत्री बनाया गया था, उनसे मिलना मुश्किल था। जगत नाराजगी में कहते हैं कि स्थानीय मंत्रियों से ज्यादा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस का दौरा किया है।

2017 के विधानसभा चुनाव में इसी आखिरी चरण के 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों में भाजपा को 29 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा की सहयोगी अपना दल को चार और सुभाषपा को 3 सीटें मिली थी। इसी चरण में समाजवादी पार्टी ने 11 सीटों पर कब्जा किया था, जबकि बसपा ने छह और निषाद पार्टी को 1 सीट मिली थी।

इस बार माहौल थोड़ा बदला है। कभी भाजपा के साथ चुनाव लड़ी ओमप्रकाश राजभर की सुभाषपा इस बार समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनावी समर में है। जबकि निषाद पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ। जिन 9 जिलों में कल चुनाव होना है उसमें आजमगढ़, मऊ, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, भदोही, सोनभद्र, मिर्जापुर और बनारस शामिल है।

इस चरण में भारतीय जनता पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान की भी परीक्षा होनी है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी और योगी सरकार में मंत्री नीलकंठ तिवारी संगीता बलवंत अनिल राजभर और रविंद्र जायसवाल भी चुनावी मैदान में परीक्षा दे रहे हैं।

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