राजनीतिक
प्राकृतिक कृषि को टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर भारत माता को रसायन मुक्त बनाना है : नरेंद्र मोदी
आणंद में आयोजित कृषि और खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने किया आह्वान, प्रदेश के 939 मंडलों में किसान मोर्चा द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सुना गया मोदी जी का संदेश
भोपाल। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग ने देश में हुई हरित क्रांति में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन अब बदलाव का समय है। हमें देश में प्राकृतिक कृषि को टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर भारत माता को रसायन मुक्त बनाना है। खेती बहुआयामी हों, प्राकृतिक हो और फूड प्रोसेसिंग हो, ये विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायकल्प करने में बहुत मदद करेंगे। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के आणंद में आयोजित कृषि और खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। प्रधानमंत्री का संदेश प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा द्वारा प्रदेश में 939 मंडलों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने किसानों के साथ प्रधानमंत्री जी का संदेश सुना।
गुजरात के आणंद में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किसानों, कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों को संबोधित किया। सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्रसिंह तोमर, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत का भी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम से प्रदेश के किसानों को जोड़ने और प्रधानमंत्री जी का संदेश प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने के लिए किसान मोर्चा द्वारा प्रदेश के 939 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां पार्टीजनों के साथ हजारों किसानों ने बड़ी स्क्रीन पर प्रधानमंत्री जी का कार्यक्रम देखा। कृषि उपज मंडी सीहोर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल और भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री दर्शन सिंह चौधरी ने भी किसानों के साथ भाग लिया ।
अतीत का अवलोकन कर अनुभवों से सीखने की जरूरत
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें और आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं। श्री मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हमें अतीत का अवलोकन कर अनुभवों से सीख कर नए मार्ग बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने के लिए अनेक अनेक कदम उठाए गए हैं। जिसमें सिंचाई नेटवर्क, किसान रेल, किसान सम्मान निधि जैसे कदमों से किसानों को संबल मिला है। मत्स्य पालन, सौर ऊर्जा, मधुमक्खी पालन, बायोफ्यूल जैसे वैकल्पिक माध्यम से किसान जुड़े हैं, जिससे किसानों को कृषि के लिए संसाधन एवं विकल्प मिले हैं!
गुजरात के आणंद में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किसानों, कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों को संबोधित किया। सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्रसिंह तोमर, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत का भी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम से प्रदेश के किसानों को जोड़ने और प्रधानमंत्री जी का संदेश प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने के लिए किसान मोर्चा द्वारा प्रदेश के 939 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां पार्टीजनों के साथ हजारों किसानों ने बड़ी स्क्रीन पर प्रधानमंत्री जी का कार्यक्रम देखा। कृषि उपज मंडी सीहोर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल और भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री दर्शन सिंह चौधरी ने भी किसानों के साथ भाग लिया ।
अतीत का अवलोकन कर अनुभवों से सीखने की जरूरत
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें और आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं। श्री मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हमें अतीत का अवलोकन कर अनुभवों से सीख कर नए मार्ग बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने के लिए अनेक अनेक कदम उठाए गए हैं। जिसमें सिंचाई नेटवर्क, किसान रेल, किसान सम्मान निधि जैसे कदमों से किसानों को संबल मिला है। मत्स्य पालन, सौर ऊर्जा, मधुमक्खी पालन, बायोफ्यूल जैसे वैकल्पिक माध्यम से किसान जुड़े हैं, जिससे किसानों को कृषि के लिए संसाधन एवं विकल्प मिले हैं!