राजनीतिक

चुनाव परिणाम को कैपिटल हिल्स दंगे से बदलना चाहते थे ट्रम्प? कांग्रेस समिति ने सुनवाई में किए कई दावे

वाशिंगटन
अमेरिका के कैपिटल हिल में पिछले साल 6 जनवरी को हुए दंगों में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प फंसते दिख रहे हैं। अमेरिकी कांग्रेस समिति की पहली सुनवाई में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प समर्थकों द्वारा यू.एस. कैपिटल पर हमले को एक सोची समझी साजिश करार दिया। वहीं सुनवाई के दौरान ट्रम्प को इस साजिश का मुख्य रचयिता बताया गया। समिति के अनुसार ट्रम्प इस दंगे से चुनाव परिणाम बदलना चाहते थे। गुरुवार को प्राइम-टाइम टेलीविजन पर दिखाए गए अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की चयन समिति की सुनवाई में ट्रम्प शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और अभियान अधिकारियों की वीडियो टेप की गई गवाही को शामिल किया।

अगले कुछ हफ्तों में पूरा सच आएगा सामने
सुनवाई के दौरान समिति के अध्यक्ष बेनी थाम्पसन ने कहा कि उस दिन दंगे में जो कुछ हुआ उसपर साफ नहीं कह सकते लेकिन ट्रम्प इसमें मुख्य रचयिता लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान सिर्फ डेमोक्रेट या सिर्फ रिपब्लिकन की रक्षा नहीं करता है। यह हम सभी की रक्षा करता है। बेनी ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में, हम आपको उस दिन की वास्तविकता का पूरा सच बता देंगे।

इवांका ने माना-चुनाव में नहीं हुई थी कोई धांधली
सुनवाई के दौरान साझा किए गए वीडियो साक्ष्य के एक टुकड़े में पूर्व राष्ट्रपति की सलाहकार और उनकी बेटी  इवांका ट्रम्प ने यह माना कि 2020 के चुनाव में कोई धांधली नहीं हुई थी। इवांका ट्रम्प ने गवाही दी, "मैं अटॉर्नी जनरल बर्र का सम्मान करती हूं इसलिए मैंने उनकी बात मान ली और गवाही दी।" इवांका के बयान पर पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस गवाही से यह साफ हो गया कि ट्रम्प के चुनाव धांधली के दावे बकवास थे।

इन लोगों की ली गई गवाही
सुनवाई के दौरान इवांका ट्रम्प और उनके पति जेरेड कुशनर के अलावा कई और लोगों की गवाही ली गई। इनमें तत्कालीन उपराष्ट्रपति माइक पेंस और उनके चीफ आफ स्टाफ, जनरल मार्क, अटार्नी जनरल विलियम बर्र समेत तत्कालीन ट्रंप सरकार के प्रमुख अधिकारियों की गवाही के वीडियो पेश किए गए। एक वीडियो में ट्रंप द्वारा हमले को उकसाते हुए देखा गया।

यह है पूरा मामला
बता दें कि पिछले साल 6 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप की हार के बाद उनके समर्थकों की भीड़ ने अमेरिका के पार्लियामेंट (कैपिटल हिल) पर हमला कर दिया था। यह हमला 1812 के युद्ध के बाद अमेरिकी संसद पर सबसे बड़ा हमला था। उग्र भीड़ ने पुलिस पर भी हमला कर दिया था। ट्रंप के समर्थकों का कहना था कि इस चुनाव में धांधली से बाइडन को जीताया गया है और उसे प्रमाणित करने से रोकने की मांग कर रहे थे। इस हमले में तोड़फोड़ के साथ गोलीबारी भी हुई थी।

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